Ambedkar Nagar: उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर जिले में एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक सरकारी आवास के बंद कमरे से 22 लाख रुपये की भारी रकम मिली. यह कमरा 11 सालों से सील पड़ा हुआ था, और इसे अब डीएम के निर्देश पर खोला गया. इस कमरे में मिली धनराशि के बाद एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है. दरअसल, इस कमरे का संबंध उस एसीएमओ (अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी) से है, जिसकी संदिग्ध परिस्थितियों में 2014 में मौत हो गई थी. आइए जानते हैं इस मामले के बारे में विस्तार से.
एसीएमओ बीएन तिवारी की रहस्यमयी मौत
यह मामला 29 जनवरी 2014 का है, जब अंबेडकरनगर में स्थित मीरानपुर सीएचसी के सरकारी आवास में एसीएमओ डॉ. बीएन तिवारी का शव संदिग्ध हालत में पाया गया था. डॉ. तिवारी का शव उनके बेड पर मिला था और इसकी सूचना प्रशासन को दी गई थी. उनके शव के पास कोई स्पष्ट कारण नहीं पाया गया, जिससे यह मामला एक रहस्य बनकर रह गया. इसके बाद प्रशासन ने उनका आवास सील कर दिया और इस मामले की जांच शुरू कर दी.
11 साल बाद खोला गया बंद कमरा
डीएम अनुपम शुक्ला की अनुमति के बाद, 11 साल बाद उस सरकारी आवास का कमरा खोला गया. इस दौरान जांच टीम के सामने एक अजीब और चौंकाने वाला दृश्य था. कमरे में घरेलू सामान और पुराने नोटों की गड्डियां बिस्तर के नीचे और अलमारी में पाई गईं. जब ताला खोला गया, तो टीम के होश उड़ गए, क्योंकि कमरे से कुल 22 लाख 48 हजार 505 रुपये की राशि बरामद हुई. इसमें से 1000 रुपये के नोटों की गड्डी में 7 लाख 76 हजार रुपये थे, जबकि 500 रुपये के नोटों की गड्डी से 14 लाख 72 हजार 500 रुपये मिले.
लापरवाही पर उठे सवाल
इस घटना ने न केवल प्रशासन की लापरवाही को उजागर किया है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा किया है कि इतने लंबे समय तक इस पैसे का कोई हिसाब नहीं रखा गया. दरअसल, 11 साल तक इस कमरे को बंद रखा गया और यह धनराशि वहां पड़ी रही, जिससे यह भी सवाल उठता है कि क्या यह रकम सरकारी खजाने में आनी चाहिए थी या फिर इसका कोई अन्य इस्तेमाल हुआ था?
चौंकाने वाली प्रतिक्रिया
इस पूरे मामले के सामने आने के बाद सोशल मीडिया और अन्य मंचों पर इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि 11 साल तक इस धनराशि का कोई रिकॉर्ड क्यों नहीं रखा गया. क्या यह किसी प्रकार का घोटाला था? क्या इस पैसों का कोई गलत तरीके से इस्तेमाल तो नहीं किया गया था?
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