अहमदाबाद प्लेन क्रैश में चमत्कार, विश्वास कुमार रमेश को नई ज़िंदगी दे गई ‘लकी सीट’ 11A

    ड्रीमलाइनर जैसे बोइंग विमानों में इकॉनॉमी क्लास आमतौर पर 10-11वीं पंक्ति से शुरू होती है. सीट 11A बाईं ओर खिड़की से सटी होती है और अक्सर इसे "साइलेंट कॉर्नर" भी कहा जाता है, जहां से बाहरी दुनिया का सबसे साफ़ नज़ारा दिखता है.

    Ahmedabad Air India Plane Crash one passenger survived ramesh vishwas kumar
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    Air India Plane Crash: गुरुवार दोपहर जब अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI 171 उड़ान भरने के कुछ मिनटों बाद ही हादसे का शिकार हुई, तब पूरा मंजर तबाही में बदल गया. जलते मलबे, टूटे पंखों और चीखों के बीच जब हर ओर सिर्फ मौत का सन्नाटा था, उसी बीच एक उम्मीद की किरण नजर आई – सीट नंबर 11A पर बैठे यात्री विश्वास कुमार रमेश इस भीषण हादसे में जिंदा बच निकले. यह घटना जितनी चौंकाने वाली है, उतनी ही इंसान की जिजीविषा और किस्मत का अद्भुत उदाहरण भी है.

    कहां है सीट 11A?

    ड्रीमलाइनर जैसे बोइंग विमानों में इकॉनॉमी क्लास आमतौर पर 10-11वीं पंक्ति से शुरू होती है. सीट 11A बाईं ओर खिड़की से सटी होती है और अक्सर इसे "साइलेंट कॉर्नर" भी कहा जाता है, जहां से बाहरी दुनिया का सबसे साफ़ नज़ारा दिखता है. यह सीट विमान के मध्य के थोड़ा आगे और विंग्स से पहले आती है, यानी ऐसी जगह जहां टेक्निकली "क्रैश इम्पैक्ट" थोड़ा कम हो सकता है.

    कैसे बची विश्वास कुमार की जान?

    विशेषज्ञों की मानें तो कुछ अहम कारण थे जो विश्वास कुमार की जान बचा गए. यह सीट सामने और बीच के हिस्से की तुलना में थोड़ा कम जोखिम में मानी जाती है. टेकऑफ के तुरंत बाद हुए हादसे में सबसे ज्यादा नुकसान आमतौर पर नाक (कॉकपिट) और विंग्स के आसपास होता है. ऐसे में किनारे और साइड ऑफसेट सीट पर बैठना सुरक्षित हो सकता है.

    खिड़की से जुड़ी सीटें अक्सर अधिक मजबूत फ्रेम के साथ होती हैं, और यदि पास में कोई एग्ज़िट गेट हो तो रेस्क्यू जल्दी हो सकता है. यह भी माना जा रहा है कि विश्वास कुमार ने सुरक्षा के सभी निर्देशों का सही से पालन किया और सीट बेल्ट बांध रखी थी, जिसने उन्हें झटके से बचाया. जब विमान हादसे के बाद आग पकड़ता है, तो पहले 60 सेकेंड को ‘गोल्डन मिनट’ कहा जाता है. अगर यात्री उस समय में एग्जिट तक पहुंच जाए, तो उसके बचने की संभावना सबसे अधिक होती है.

    सीट ही जान बचा सकती है?

    अंतरराष्ट्रीय एविएशन सुरक्षा रिपोर्ट्स बताती हैं कि विमान के पिछले हिस्से में बैठने वाले यात्रियों के बचने की संभावना लगभग 69% तक होती है. वहीं, इमरजेंसी एग्जिट के पास बैठने वाले यात्रियों को आग और धुएं से पहले बाहर निकलने का मौका मिल जाता है. लेकिन हर हादसा अलग होता है, और तकनीक से ज्यादा कई बार किस्मत और तत्परता जान बचाती है.

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