भारत के बाद अफगानिस्तान भी रोकेगा पाकिस्तान का पानी, कुनार नदी पर बना रहा डैम, क्या होगा इसका असर?

    भारत के बाद अब अफगानिस्तान ने भी पाकिस्तान की ओर बहने वाली प्रमुख नदियों पर नियंत्रण स्थापित करने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है.

    After India Afghanistan will also stop Pakistans water
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- Internet

    काबुल: दक्षिण एशिया में भू-राजनीति का परिदृश्य अब जल संसाधनों के नए संघर्ष से गरमाने लगा है. भारत के बाद अब अफगानिस्तान ने भी पाकिस्तान की ओर बहने वाली प्रमुख नदियों पर नियंत्रण स्थापित करने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है. तालिबान सरकार कुनार नदी पर एक बड़ा डैम (बांध) बनाने की योजना पर तेजी से काम कर रही है, जो भविष्य में पाकिस्तान के लिए गंभीर जल संकट का कारण बन सकता है.

    रणनीतिक दांव है कुनार प्रोजेक्ट

    तालिबान सरकार के सीनियर सैन्य अधिकारी जनरल मुबीन ने हाल ही में कुनार नदी पर प्रस्तावित बांध स्थल का निरीक्षण किया. उनके इस दौरे का वीडियो बलूच नेता मीर यार बलूच ने सोशल मीडिया पर साझा किया, जिसने इस प्रोजेक्ट की गंभीरता को उजागर कर दिया. जनरल मुबीन ने खुले तौर पर कहा – "यह पानी हमारा खून है, हम इसे यूं ही बहने नहीं देंगे." यह बयान केवल एक डैम को लेकर उत्सुकता नहीं दर्शाता, बल्कि पाकिस्तान को लेकर अफगानिस्तान की बदलती जलनीति की झलक भी देता है.

    उनके अनुसार यह डैम न केवल बिजली उत्पादन के लिए जरूरी है, बल्कि अफगानिस्तान की कृषि और खाद्य सुरक्षा को भी स्थिर बनाएगा.

    क्या है डैम प्रोजेक्ट की तस्वीर?

    तालिबान के जल और ऊर्जा मंत्रालय के प्रवक्ता मतीउल्लाह आबिद ने बताया कि डैम की सर्वे और डिज़ाइन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. अब सरकार निर्माण के लिए वित्तीय संसाधनों की तलाश में है.

    प्रोजेक्ट के संभावित लाभ:

    • 45 मेगावाट बिजली का उत्पादन
    • 1.5 लाख एकड़ जमीन को सिंचाई सुविधा
    • स्थानीय कृषि को बढ़ावा
    • ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली पहुंचाने का जरिया

    ये सभी बातें स्पष्ट संकेत देती हैं कि अफगानिस्तान इस प्रोजेक्ट को केवल विकास के लिहाज से नहीं, बल्कि रणनीतिक स्वावलंबन के रूप में देख रहा है.

    कुनार नदी और पाकिस्तान की बढ़ती चिंता

    कुनार नदी, जो अफगानिस्तान के हिंदूकुश पहाड़ों से निकलती है, जलालाबाद होते हुए पाकिस्तान में प्रवेश करती है और वहां काबुल नदी में मिल जाती है. यह पाकिस्तान की कृषि और पेयजल के लिए एक अहम जल स्रोत है.

    लेकिन असल समस्या यह है कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच अब तक काबुल नदी या उसकी सहायक नदियों पर कोई जल-बंटवारा समझौता नहीं हुआ है. इसका मतलब है कि अफगानिस्तान अंतरराष्ट्रीय कानूनों की बाध्यता से मुक्त होकर अपने हितों के अनुसार पानी का उपयोग कर सकता है.

    क्या होगा पाकिस्तान पर असर?

    पाकिस्तान की मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, यदि कुनार नदी पर यह डैम बन जाता है तो काबुल नदी के जल प्रवाह में 16-17% तक की कमी आ सकती है. इसका सीधा असर होगा:

    • पाकिस्तान के सिंचाई तंत्र पर
    • सिंध और पंजाब के कृषि उत्पादकता पर
    • कई जिलों की जलापूर्ति प्रणाली पर

    पाकिस्तान पहले ही भारत द्वारा सिंधु जल संधि को लेकर उठाए गए सख्त रुख से दबाव में है. चिनाब और झेलम जैसी नदियों पर भारतीय डैम परियोजनाएं पहले ही पाकिस्तान के लिए चुनौती बनी हुई हैं. ऐसे में अफगानिस्तान की ओर से आने वाले पानी पर भी अगर रोक लगती है तो यह संकट दोगुना हो जाएगा.

    भारत की भूमिका: सहयोग से कूटनीति तक

    भारत और अफगानिस्तान के बीच दशकों से जल क्षेत्र में सहयोग होता रहा है. भारत ने अफगानिस्तान के दो बड़े बांध प्रोजेक्ट्स – सलमा डैम और शहतूत डैम – को तकनीकी और वित्तीय सहायता दी है. शहतूत डैम खासकर काबुल नदी पर बनाया जा रहा है और भारत इसके लिए 236 मिलियन डॉलर (करीब 2020 करोड़ रुपये) की मदद कर रहा है.

    शहतूत डैम से लाभ:

    • 20 लाख लोगों को पीने का पानी
    • 4000 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई
    • काबुल शहर की जल आपूर्ति में स्थिरता

    15 मई को भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने तालिबान के विदेश मंत्री से फोन पर बातचीत की, जिसमें इस डैम प्रोजेक्ट पर प्रगति और सहयोग की संभावनाएं चर्चा का विषय रहीं.

    बदलती जल कूटनीति

    पाकिस्तान की पारंपरिक जल रणनीति अब चुनौती में घिरती जा रही है. पहले भारत की ओर से सिंधु जल पर दबाव और अब अफगानिस्तान की तरफ से कुनार और काबुल नदी के प्रवाह को रोकने की योजनाएं — ये दोनों मिलकर पाकिस्तान को गंभीर जल संकट की ओर ले जा सकते हैं.

    इसके साथ ही अफगानिस्तान और भारत के जल-आधारित सहयोग का प्रभाव पाकिस्तान की क्षेत्रीय कूटनीति और सुरक्षा रणनीति पर भी पड़ता दिख रहा है.

    ये भी पढ़ें- पाकिस्तान का साथ देने के बाद अब BRICS में शामिल होना चाहता है तुर्की, क्या भारत लगाएगा इस पर रोक?