इस्लामाबाद: भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनावपूर्ण हालात के बीच पाकिस्तान ने शनिवार को सतह से सतह पर मार करने वाली 'अब्दाली वेपन सिस्टम' बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया. रक्षा प्रवक्ता के अनुसार, यह परीक्षण 'इंडस एक्सरसाइज' के तहत किया गया, जिसका उद्देश्य सैन्य तैयारियों को परखना और आधुनिक नेविगेशन तकनीकों की जांच करना था.
अब्दाली मिसाइल की मारक क्षमता लगभग 450 किलोमीटर है और यह 500-700 किलोग्राम तक के परमाणु या पारंपरिक (कन्वेंशनल) हथियार ले जाने में सक्षम है. हालांकि रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इसका प्राथमिक उपयोग पारंपरिक हथियारों के साथ सीमित युद्ध परिदृश्य में किया जाना प्रस्तावित है.
तकनीकी क्षमताएं और उपयोग
इस मिसाइल में आधुनिक गाइडेंस और नेविगेशन सिस्टम लगे हैं, जो इसे सटीकता के साथ लक्ष्य भेदने में सक्षम बनाते हैं. इसे 'बैटलफील्ड मिसाइल' के रूप में डिज़ाइन किया गया है. यानी सीमावर्ती क्षेत्रों में सामरिक लक्ष्यों को साधने के उद्देश्य से. सैन्य विश्लेषकों का मानना है कि यह मिसाइल प्रणाली पाकिस्तान की ‘टैक्टिकल न्यूक्लियर डिटेरेंस’ नीति का हिस्सा हो सकती है.
क्षेत्रीय परिप्रेक्ष्य और राजनीतिक संदर्भ
यह परीक्षण ऐसे समय में सामने आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में पुनः तनाव देखा जा रहा है, विशेषकर कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हालिया आतंकी हमले के बाद, जिसमें भारत ने स्पष्ट रूप से पाकिस्तान पर आरोप लगाए हैं.
कुछ दिन पूर्व पाकिस्तान के एक मंत्री द्वारा दिए गए सार्वजनिक बयान, जिसमें परमाणु हथियारों की तैनाती को लेकर भारत को चेतावनी दी गई थी, ने इस तनाव को और गहराया है. विशेषज्ञों के अनुसार, अब्दाली मिसाइल का परीक्षण भी इसी शक्ति प्रदर्शन की एक कड़ी हो सकता है.
भारत और पाकिस्तान की सामरिक तुलना
ग्लोबल फायरपावर रैंकिंग (2024):
भारत: 4वां स्थान
पाकिस्तान: 12वां स्थान
सैन्य खर्च (2024):
भारत: 86.1 अरब डॉलर
पाकिस्तान: 10.2 अरब डॉलर, (स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार)
भारत की सैन्य क्षमताएं वैश्विक स्तर पर कहीं अधिक व्यापक और विविध हैं, जबकि पाकिस्तान अपनी सीमित क्षमताओं को क्षेत्रीय स्तर पर सटीक रणनीति के साथ उपयोग में लाने की कोशिश करता रहा है.
चीन और उत्तर कोरिया का प्रभाव?
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अब्दाली मिसाइल प्रणाली के डिज़ाइन और तकनीक पर चीन और उत्तर कोरिया की तकनीकी छाप देखी जा सकती है. यह भी संभव है कि पाकिस्तान की मिसाइल विकास परियोजनाओं में बाहरी तकनीकी सहायता और रणनीतिक सहयोग की भूमिका हो.
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