योगी कैबिनेट में कुल 19 प्रस्तावों पर लगी मुहर, मुजफ्फरनगर-वेदान्ता विश्वविद्यालय का प्रस्ताव भी पास

    लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षा, औद्योगिक विकास और शहरी सुधार की दिशा में एक साथ कई महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय लिए हैं, जो राज्य के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को लंबे समय तक प्रभावित करेंगे.

    19 proposals were approved in the Yogi cabinet meeting
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    लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षा, औद्योगिक विकास और शहरी सुधार की दिशा में एक साथ कई महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय लिए हैं, जो राज्य के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को लंबे समय तक प्रभावित करेंगे. नई विश्वविद्यालयों की स्थापना हो, छात्रवृत्तियों की घोषणा हो या फिर शहरी नियमन से जुड़े अधिनियमों में संशोधन — हर फैसला एक व्यापक रणनीति का हिस्सा है. आइये, इन फैसलों की बारीकियों और असर का मूल्यांकन करते हैं.

    उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019

    राज्य सरकार ने ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ को लागू कर उच्च शिक्षा क्षेत्र में निजी भागीदारी को नियामक रूप दिया है. इस अधिनियम के अंतर्गत विश्वविद्यालय की स्थापना, निगमन और संचालन के स्पष्ट प्रावधान तय किए गए हैं.

    वेदान्ता विश्वविद्यालय, मुजफ्फरनगर

    लाला फतेह चन्द चैरिटेबल ट्रस्ट, मुजफ्फरनगर द्वारा प्रायोजित वेदान्ता विश्वविद्यालय को जनपद मुजफ्फरनगर में 23.33 एकड़ भूमि पर स्थापित किया जाना प्रस्तावित है. उच्च स्तरीय समिति द्वारा दिनांक 19 दिसंबर 2024 को इस प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई और आशय-पत्र जारी करने की संस्तुति की गई.

    के.डी. विश्वविद्यालय, मथुरा

    राजीव मेमोरियल एकेडेमिक वेलफेयर सोसाइटी, मथुरा ने ग्राम अकबरपुर में 50.54 एकड़ भूमि पर विश्वविद्यालय स्थापित करने का प्रस्ताव रखा है. इसके लिए उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन कर "चतुर्थ संशोधन अध्यादेश, 2025" लाया जाएगा.

    बोधिसत्व विश्वविद्यालय, बाराबंकी

    बोधिसत्व चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा प्रस्तावित इस विश्वविद्यालय की स्थापना ग्राम गदिया, बाराबंकी में की जाएगी. इसके लिए "तृतीय संशोधन अध्यादेश, 2025" के तहत अधिनियम में संशोधन प्रस्तावित है.

    अटल बिहारी बाजपेयी-चिवनिंग छात्रवृत्ति योजना

    "भारत रत्न श्री अटल बिहारी बाजपेयी-चिवनिंग उत्तर प्रदेश राज्य सरकार छात्रवृत्ति योजना" उत्तर प्रदेश सरकार और यूनाइटेड किंगडम के FCDO के सहयोग से चलाई जा रही एक संयुक्त पहल है. इसका उद्देश्य राज्य के मेधावी छात्रों को यूके में उच्च शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता देना है. योजना के तहत प्रतिवर्ष 5 छात्रों का चयन किया जाएगा. छात्रवृत्ति में ट्यूशन फीस, शोध शुल्क, रहने का भत्ता और एक वापसी हवाई टिकट शामिल है. सरकार प्रति छात्र लगभग 23 लाख रुपये वहन करेगी. योजना 2025-26 से शुरू होकर 3 वर्षों तक चलेगी. यह योजना न केवल छात्रों के वैश्विक exposure को बढ़ाएगी, बल्कि प्रदेश की अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक छवि को भी मजबूती देगी.

    नगर निगम अधिनियम में संशोधन

    प्रदेश के नगर निगमों की वित्तीय स्थिति को सुदृढ़ करने और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल बनाने हेतु उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1959 की धारा 305 (1) में संशोधन किया गया है. अब आकाश चिन्ह और विज्ञापन अनुज्ञा की अवधि 2 वर्ष के स्थान पर 15 वर्ष होगी. इससे एजेंसियों को लंबी अवधि का निवेश करने की सुविधा मिलेगी. बार-बार निविदा प्रक्रिया की आवश्यकता खत्म होगी और नगर निगमों को स्थायी राजस्व प्राप्त होगा. यह बदलाव प्रदेश के बदलते नगरीय परिदृश्य के अनुसार एक दूरदर्शी निर्णय कहा जा सकता है.

    केजीएमयू अधिनियम में संशोधन

    किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय अधिनियम, 2002 में संशोधन कर धारा 24(1)(A) जोड़ी जा रही है. इसके अनुसार विश्वविद्यालय की कार्य परिषद में अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के वरिष्ठतम प्रोफेसरों को प्रतिनिधित्व देने का प्रावधान किया गया है. यह संशोधन सामाजिक न्याय की भावना को सशक्त करता है और विश्वविद्यालय में समावेशी दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है. 

    सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग नीति

    औद्योगिक आस्थानों के प्रबंधन को सुव्यवस्थित करने हेतु "उत्तर प्रदेश एमएसएमई औद्योगिक आस्थान प्रबन्धन नीति" लायी जा रही है. औद्योगिक भूखण्डों की लीज/रेण्ट अब ई-ऑक्शन के जरिये दी जायेगी. क्षेत्रीय आधार पर रिजर्व प्राइस तय किया गया है: मध्यांचल ₹2500/वर्गमीटर, पश्चिमांचल ₹3000 और पूर्वांचल-बुंदेलखंड ₹2000. अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए 10% आरक्षण सुनिश्चित किया गया है. इस नीति से औद्योगिक निवेश में पारदर्शिता, समावेशिता और आर्थिक लाभ सुनिश्चित होगा.

    लेदर और फुटवियर नीति

    “उत्तर प्रदेश फुटवियर, लेदर और नॉन-लेदर क्षेत्र विकास नीति-2025” का उद्देश्य है राज्य को एक वैश्विक निर्यात केंद्र बनाना है. तकनीकी उन्नयन और आधुनिकीकरण पर विशेष बल देना है. यह कुशल श्रमिकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम है. घरेलू और विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए अनुकूल माहौल तैयार करना है. इस नीति से न केवल निर्यात में वृद्धि होगी बल्कि हजारों रोजगार भी सृजित होंगे.

    ग्रामीण आबादी अभिलेख विधेयक-2025

    ‘स्वामित्व योजना’ के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में घरौनी दस्तावेजों का वितरण किया गया है. अब ‘उत्तर प्रदेश ग्रामीण आबादी अभिलेख विधेयक-2025’ के जरिए उनके नामांतरण, अद्यतन और सुधार की प्रक्रिया को विधिक स्वरूप दिया जाएगा. उत्तराधिकार, विक्रय, वसीयत आदि के आधार पर नाम परिवर्तन की प्रक्रिया निर्धारित की गई है. राजस्व निरीक्षक और तहसीलदार को नामांतरण की अधिकारिता दी गई है. इस विधेयक से ग्रामीण संपत्ति के रिकॉर्ड्स अधिक पारदर्शी, अद्यतित और विवादरहित बन सकेंगे.