अफ्रिका के बुरकीना फासो में आतंकी हमला, 100 से अधिक सैनिक और आम नागरिकों हुए शिकार

    अफ्रीकी महाद्वीप के अशांत देश बुरकीना फासो एक बार फिर आतंकवाद की भीषण चपेट में आ गया है. रविवार को देश के उत्तर में स्थित रणनीतिक रूप से अहम शहर ड्जीबो और उसके आसपास के इलाकों में हुए समन्वित आतंकी हमलों में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई.

    100 people died in africa and in terror attack at burkina
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    अफ्रीकी महाद्वीप के अशांत देश बुरकीना फासो एक बार फिर आतंकवाद की भीषण चपेट में आ गया है. रविवार को देश के उत्तर में स्थित रणनीतिक रूप से अहम शहर ड्जीबो और उसके आसपास के इलाकों में हुए समन्वित आतंकी हमलों में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई. मृतकों में बड़ी संख्या में सैनिक शामिल हैं. यह हमला न केवल बुरकीना फासो की आंतरिक सुरक्षा पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि आतंकी संगठन अब पहले से कहीं ज्यादा संगठित और साहसी हो गए हैं.

    एक साथ 8 जगहों पर कहर

    स्थानीय सूत्रों के अनुसार, यह हमला रविवार सुबह करीब 6 बजे अंजाम दिया गया, जब सैकड़ों आतंकवादियों ने ड्जीबो शहर के सभी प्रवेश मार्गों पर कब्जा कर लिया. इसके बाद एक साथ 8 अलग-अलग ठिकानों पर धावा बोला गया, जिनमें सेना की एंटी-टेरर यूनिट का मुख्य अड्डा भी शामिल था. हमले की जिम्मेदारी अल-कायदा से संबद्ध संगठन ‘जमात नुसरत अल-इस्लाम वल-मुस्लिमीन’ (JNIM) ने ली है.

    प्रत्यक्षदर्शियों की जुबानी: "हम पूरी तरह घिर चुके थे

    हमले में अपनों को खोने वाले एक स्थानीय समाजसेवी और एक छात्रा ने बताया कि आतंकियों ने बेहद सुनियोजित ढंग से शहर को चारों तरफ से घेरा और घंटों तक हमला जारी रखा. सेना को हवाई समर्थन नहीं मिल सका, जिससे नुकसान और बढ़ गया. स्वतंत्र विश्लेषक चार्ली वेर्ब ने वीडियो फुटेज के आधार पर पुष्टि की कि आतंकियों ने क्षेत्र पर लंबे समय तक कब्जा बनाए रखा और सरकार की ओर से तत्काल कोई प्रभावी प्रतिक्रिया नहीं देखी गई.

    सुरक्षा तंत्र की असफलता या आतंकियों की बढ़ती ताकत?

    सुरक्षा मामलों के जानकार वसीम नसर का मानना है कि यह हमला सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि आतंकियों की बढ़ती पकड़ और रणनीतिक आत्मविश्वास का संकेत है. “ड्जीबो जैसे रणनीतिक स्थान पर बिना किसी बाधा के हमला करना दर्शाता है कि JNIM अब देश के अंदर बिना किसी रोक-टोक के आगे बढ़ रहा है,” उन्होंने कहा.

    राजनीतिक अस्थिरता और आतंकी ताकत का गठजोड़

    गौरतलब है कि 2022 में बुरकीना फासो में दो सैन्य तख्तापलट हो चुके हैं. तब से देश की सत्ता एक सैन्य जुंटा के हाथों में है. लेकिन समस्या यहीं खत्म नहीं होती  देश की लगभग आधी आबादी अब भी सरकार के नियंत्रण से बाहर है. सुरक्षा के नाम पर सेना ने हजारों आम नागरिकों को हथियार थमाकर उन्हें स्थानीय मिलिशिया बना दिया है. लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि इस कदम ने जातीय तनाव और अस्थिरता को और बढ़ा दिया है.

    आतंकवाद की गंभीरता को उजागर किया

    बुरकीना फासो की इस घटना ने एक बार फिर अफ्रीका के साहेल क्षेत्र में आतंकवाद की गंभीरता को उजागर किया है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह समझने की ज़रूरत है कि अकेले सैन्य शक्ति से आतंक को नहीं रोका जा सकता. स्थायी समाधान के लिए राजनीतिक स्थिरता, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और स्थानीय समुदायों के विश्वास की बहाली अनिवार्य है.

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