Economic Survey 2025: कुछ दिनों पहले देश में यह बहस छिड़ी थी कि किसी को हर सप्ताह कितने घंटे काम करना चाहिए. भारत के प्रमुख उद्योगपति नारायण मूर्ति और एलएंडटी के चेयरमैन एनएस सुब्रमण्यम ने इस मुद्दे पर अपनी राय दी थी. मूर्ति ने 70 घंटे काम करने का समर्थन किया है, जबकि सुब्रमण्यम ने 90 घंटे काम करने की सलाह दी है. इन बयानों ने व्यापक चर्चाएं शुरू कर दीं, जिसमें कई लोग इसे व्यवहारिक नहीं मानते, और यह बहस सोशल मीडिया से लेकर मेनस्ट्रीम मीडिया तक फैल गई.
Economic Survey में मिला जवाब
अब यह मामला संसद तक पहुंच चुका है और इसे वर्तमान बजट सत्र में प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण में भी चर्चा का विषय बनाया गया. इस सर्वेक्षण में सरकार ने देश की आर्थिक स्थिति, खर्च और जीडीपी की वृद्धि पर जानकारी दी. इन चर्चाओं के बीच 2024 में वर्क-लाइफ बैलेंस पर भी बात की गई.
आर्थिक सर्वेक्षण में शुक्रवार को प्रस्तुत रिपोर्ट में यह चिंता जताई गई कि लंबे वर्क-आवर्स स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डाल सकते हैं. इस सर्वेक्षण में पेगा एफ, नफ्राडी बी (2021) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए बताया गया कि जबकि लंबे घंटे काम करने से उत्पादन में वृद्धि हो सकती है, लेकिन 55-60 घंटे से अधिक काम करने से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है.
हर दिन 12 घंटे काम करना खतरनाक
इसके अलावा, आर्थिक सर्वेक्षण ने सैपियन लैब्स सेंटर फॉर ह्यूमन ब्रेन एंड माइंड द्वारा किए गए एक अध्ययन का भी जिक्र किया, जिसमें बताया गया कि जो लोग प्रतिदिन 12 घंटे या उससे अधिक समय तक डेस्क पर बैठकर काम करते हैं, उन्हें मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. इससे यह स्पष्ट होता है कि 70 या 90 घंटे काम करने का विचार मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल सकता है.
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