रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच एक नया प्रस्ताव सामने आया है, जो दुनिया का ध्यान आकर्षित कर रहा है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक ऐसी योजना का सुझाव दिया है, जो युद्ध को खत्म करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकती है. इसमें भारत जैसे देशों की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है. पुतिन ने यूक्रेन में संयुक्त राष्ट्र (UN) के तहत अस्थायी सरकार बनाने का प्रस्ताव रखा है, ताकि वहां चुनाव कराए जा सकें.
पुतिन ने भारत का नाम लेकर क्या कहा?
पुतिन के मुताबिक, यूक्रेन में मौजूदा सरकार की कानूनी वैधता खत्म हो चुकी है, क्योंकि राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की का कार्यकाल मई 2024 में समाप्त हो चुका था और इसके बाद से नए चुनाव नहीं हुए हैं. इसलिए, रूस मानता है कि जेलेंस्की प्रशासन से शांति समझौता करना गैर-कानूनी होगा, और भविष्य में कोई दूसरी सरकार इस समझौते को मानने से इनकार कर सकती है.
पुतिन का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय प्रैक्टिस के तहत यूक्रेन में एक अस्थायी UN सरकार बनाई जा सकती है, जिसमें उन देशों की भूमिका होगी, जो तटस्थ हैं और जिन पर रूस को भरोसा है. भारत, जो वैश्विक राजनीति में संतुलित दृष्टिकोण अपनाने के लिए जाना जाता है, इस योजना में अहम भूमिका निभा सकता है.
पुतिन ने भारत का नाम लेकर कहा कि रूस, भारत को एक विश्वसनीय और तटस्थ शक्ति मानता है, जो पश्चिमी देशों के प्रभाव से अलग रहकर समाधान निकाल सकता है. भारत ने पहले भी रूस और यूक्रेन के बीच बातचीत को बढ़ावा दिया था और कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शांति का समर्थन किया है. अगर यह प्रस्ताव अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार किया जाता है, तो भारत जैसे देश UN प्रशासन का हिस्सा बन सकते हैं, जो यूक्रेन में चुनाव कराएंगे और वहां स्थिरता लाने में मदद करेंगे.
पुतिन ने पश्चिमी देशों को चेतावनी भी दी
पुतिन ने पश्चिमी देशों को चेतावनी भी दी है. उन्होंने कहा कि रूस के खिलाफ लड़ाई में पश्चिमी देशों ने उसकी सैन्य ताकत को हल्के में लिया है, खासकर रूस के जिरकॉन हाइपरसोनिक मिसाइलों की क्षमता को. पुतिन ने ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने शायद भूल कर दिया कि रूस के पास ऐसी ताकतें हैं, जो दुश्मन को चौंका सकती हैं.
जिरकॉन हाइपरसोनिक मिसाइलें 9,000 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकती हैं और किसी भी आधुनिक एंटी-मिसाइल सिस्टम को चकमा देने में सक्षम हैं. इन मिसाइलों से लैस रूसी न्यूक्लियर सबमरीन पश्चिमी देशों के खिलाफ एक बड़ी रणनीतिक बढ़त बनाए हुए हैं.
अब सवाल यह है कि क्या UN प्रशासन शांति ला सकता है? पुतिन का यह प्रस्ताव एक बड़ा कूटनीतिक कदम हो सकता है. अगर यूएन के तहत अस्थायी सरकार बनाई जाती है और भारत जैसे देश इसमें शामिल होते हैं, तो यह रूस और पश्चिमी देशों के बीच संतुलन स्थापित करने में मदद कर सकता है. हालांकि, पश्चिमी देशों के लिए यह चुनौती हो सकती है. अमेरिका और यूरोपीय देश अब तक यूक्रेन को सैन्य सहायता दे रहे हैं और वे नहीं चाहेंगे कि रूस की शर्तों पर शांति स्थापित हो. लेकिन रूस जिस तरह युद्ध में बढ़त बना रहा है, वह पश्चिमी देशों के लिए एक नई चुनौती पेश कर सकता है.
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