अमेरिका की विदेश नीति को लेकर अक्सर यह कहा जाता है कि वह "अपने हितों का दोस्त" है—जिसका साथ जब तक ज़रूरत हो, तब तक निभाया जाता है. सीरिया में चल रहे घटनाक्रम इस धारणा को और पुख्ता करते हैं. जिस सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्स (SDF) को अमेरिका ने कभी इस्लामिक स्टेट और बशर अल असद के खिलाफ खड़ा किया था, आज वही SDF खुद को अमेरिका से उपेक्षित महसूस कर रही है.
दो और अमेरिकी सैन्य अड्डों से वापसी
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ने सीरिया के उत्तरपूर्वी हिस्से में दो और सैन्य ठिकानों—अल-वज़ीर और तेल बेदार—से अपनी सैन्य उपस्थिति खत्म कर दी है. अब इन अड्डों पर सिर्फ नाम मात्र की निगरानी बची है, जहां SDF की छोटी टुकड़ियां तैनात हैं. इन बेसों पर लगे सुरक्षा कैमरे हटा दिए गए हैं और सिर्फ बाहरी दीवारों पर रेज़र वायर बचे हैं.
अमेरिका की वापसी से बढ़ा ISIS का खतरा?
SDF कमांडर मजलूम अब्दी ने चेतावनी दी है कि अमेरिकी फोर्सेस की कमी से ISIS के दोबारा उभरने का खतरा तेज हो गया है. उन्होंने कहा: "ISIS हाल ही में बहुत एक्टिव हो गया है. हमारी कोशिश है कि हालात को काबू में रखा जाए, लेकिन अमेरिकी सहयोग के बिना यह चुनौती कहीं ज्यादा गंभीर हो सकती है."
चार अमेरिकी बेस पहले ही खाली किए जा चुके हैं
यह पहला मौका नहीं है जब अमेरिका ने सीरिया में अपने अड्डे छोड़े हों. ट्रंप प्रशासन की नई नीति के तहत पहले ही कम से कम चार सैन्य अड्डों से अमेरिकी फोर्सेज को हटाया जा चुका है. वॉशिंगटन का उद्देश्य अपनी उपस्थिति को सीमित कर सिर्फ एक प्रमुख बेस तक सीमित रखना है.
SDF के पास अब क्या विकल्प हैं?
सीरियाई डेमोक्रेटिक फोर्स के लिए यह स्थिति असमंजस भरी है. एक ओर ISIS फिर से सक्रिय हो रहा है, दूसरी ओर उनके सबसे बड़े समर्थक—अमेरिका—अब हाथ खींच रहे हैं. अब्दी ने बताया कि ISIS की शाखाएं दमिश्क सहित कई शहरों में फिर से सक्रिय हो गई हैं, और उन्होंने सरकारी हथियार डिपो से गोला-बारूद भी जब्त कर लिया है.
अमेरिका की चुप्पी, रूस की निगाह
पेंटागन की ओर से इस मामले में कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि यह रणनीतिक वापसी अमेरिका की "ओवरसीज कंट्रोल" नीति का हिस्सा है. दूसरी ओर, इस क्षेत्र में रूस की रुचि और प्रभाव लगातार बढ़ रहा है, और वह ऐसी हर स्थिति में अवसर तलाशने के लिए तैयार बैठा है.
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