मॉस्को: दुनिया एक और बड़े वैश्विक संघर्ष की कगार पर खड़ी है. रूस के वरिष्ठ राजनयिक सर्गेई वर्शिनिन ने हाल ही में परमाणु हथियारों से लैस ताकतों के बीच सीधी टकराव की आशंका जाहिर की है. उनका कहना है कि वर्तमान परिस्थितियों में यह खतरा बेहद गंभीर स्तर तक पहुंच चुका है. संयुक्त राष्ट्र के उच्च स्तरीय निरस्त्रीकरण सम्मेलन में बोलते हुए वर्शिनिन ने अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली पर मंडराते इस संकट की ओर ध्यान आकर्षित किया.
वैश्विक शक्तियों की नीतियों पर सवाल
रूसी उप विदेश मंत्री ने परमाणु युद्ध के बढ़ते खतरे के लिए कुछ वैश्विक शक्तियों को जिम्मेदार ठहराया, जो अपने प्रभुत्व को बनाए रखने के लिए दूसरे देशों के हितों की अनदेखी कर रही हैं. उनका मानना है कि सैन्य श्रेष्ठता की होड़ और अंतरराष्ट्रीय समझौतों को कमजोर करने की प्रवृत्ति ने दुनिया को अस्थिरता की ओर धकेल दिया है.
यूक्रेन और मध्य पूर्व के संकट ने बढ़ाई चिंता
वर्शिनिन ने परमाणु युद्ध की आशंका को यूक्रेन और मध्य पूर्व में चल रहे संघर्षों से जोड़ा. उनका कहना है कि यूक्रेन में जारी युद्ध पश्चिमी देशों की आक्रामक नीतियों का परिणाम है, जिसमें कीव को दी जा रही लंबी दूरी की मिसाइलों और हथियारों की आपूर्ति से हालात और बिगड़ रहे हैं. वहीं, मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव भी वैश्विक स्थिरता के लिए गंभीर खतरा बने हुए हैं.
संवाद से समाधान की वकालत
रूस ने हालांकि, बातचीत और कूटनीतिक समाधान की वकालत की है. वर्शिनिन ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी प्रकार का शांति वार्ता आपसी सम्मान और समानता के आधार पर होनी चाहिए, ताकि दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित की जा सके. उनके अनुसार, युद्ध विराम केवल अस्थायी राहत हो सकती है, लेकिन स्थायी शांति के लिए सभी पक्षों के वैध हितों को ध्यान में रखा जाना चाहिए.
रूस और अमेरिका के बीच टकराव
विशेषज्ञों का मानना है कि वर्तमान परिदृश्य में सबसे बड़ा टकराव रूस और अमेरिका के बीच देखने को मिल सकता है. दोनों देशों के पास विशाल परमाणु हथियार भंडार है, और यूक्रेन में जारी संघर्ष के कारण उनके बीच पहले से ही तनाव चरम पर है. रूस ने नाटो पर उकसावे की कार्रवाई का आरोप लगाया है, जबकि अमेरिका और उसके सहयोगी यूक्रेन को लगातार सहायता दे रहे हैं.
हालांकि, अमेरिका में राजनीतिक बदलाव के चलते इस स्थिति में बदलाव की संभावना जताई जा रही है. डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में वापसी के बाद उन्होंने रूस के साथ सीधी बातचीत करने की बात कही है और यूक्रेन की नाटो सदस्यता को अस्वीकार कर दिया है, जिसे रूस के आक्रमण की मुख्य वजह माना जाता है. यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में वैश्विक राजनीति किस दिशा में आगे बढ़ती है और क्या कूटनीतिक प्रयास इस संभावित खतरे को टाल सकते हैं.
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