The JC Show : दिल, दोस्ती, डील in Mauritius

डॉ. जगदीश चंद्र ने कहा कि नई दिल्ली से 5828 किलोमीटर दूर, समुद्र के पार दिल और दोस्ती के रिश्तों के नए सेतु बनाने वाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मॉरिशस यात्रा सचमुच बेहद सफल और एतिहासिक रही.

The JC Show : दिल, दोस्ती, डील in Mauritius
The JC Show

THE JC SHOW: भारत 24 के सीईओ और एडिटर इन चीफ डॉ. जगदीश चंद्र के 'The JC Show' का लाखों-करोड़ों दर्शकों को इंतजार रहता है. इस बार The JC Show प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मॉरिशस दौरे को लेकर है. आइए पढ़ते हैं The JC Show का संपूर्ण विश्लेषण

सवाल: दिल, दोस्ती, डील in मॉरिशस इसके मायने क्य हैं? 

जवाबः इस सवाल का जवाब देते हुए डॉ. जगदीश चंद्र ने कहा कि नई दिल्ली से 5828 किलोमीटर दूर, समुद्र के पार दिल और दोस्ती के रिश्तों के नए सेतु बनाने वाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मॉरिशस यात्रा सचमुच बेहद सफल और एतिहासिक रही. जहां दिल भी मिले दोस्ती आगे बढ़ी और भारत-मॉरिशस के व्यापारिक और आर्थिक रिश्तों को आगे बढ़ाने के लिए 8 से ज्यादा  बाइलेटरल डील्स भी हुई. 

उदारता दिखाते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने एक पार्लियांमेंट बिल्डिंग गिफ्ट की. इसी के साथ में मॉरिशस के National इंट्रस्ट और Sovereignty की रक्षा का वचन पीएम मोदी ने दोहराया. इसके साथ ही भारत को ग्लोबल साउथ का लीडर बनाने की दिशा में ये यात्रा बड़ा कदम थी. नरेंद्र मोदी को वहां का लीडर बनाने में ये यात्रा मील का पत्थर साबित हुई. 

जहां तक लोकप्रियता का सवाल है तो मोदी तो नरेंद्र मोदी की इस लोकप्रियता ने पिछले सभी रिकॉर्ड्स को तोड़ दिया है. उन्होंने कहा कि सड़क के दोनों ओर मोदी की एक झलक पाने के लिए खड़े हजारों लोगों की कतारों को देखकर मुझे सच मुच एक बार को ऐसा लगा कि मोदी, एक चक्रवर्ती सम्राट की मुद्रा में, अपने ही देश के एक हिस्से में लोगों का हालचाल जानने के लिए आए हैं.  

उन्होंने कहा कि इस तरह का दृश्य वहां था. डॉ. जगदीश चंद्र बोले कि इसके साथ ही ये कहना पड़ेगा कि मोदी ने एक बार फिर Roots को पकड़ा है. दोस्ती को पकड़ा... धर्म और संस्कृति को एक बार फिर से जोड़ा. अगर हम इस यात्रा को दो शब्दों में समेटे तो कहा जा सकता है कि at the end of the  day two nations came more closer is the hug in their arms...

सवालः आखिर मोदी ने मॉरिशस में कैसे लहराया परचम? 

जवाबः भारत 24 के सीईओ और एडिटर इन चीफ जगदीश चंद्र ने इस सवाल के जवाब में कहा कि दो दिन तक नरेंद्र मोदी ने वहां पर पूरा माहौल बनाकर रखा. पूरा मंत्रिमंडल लेने आया, पूरा मंत्रिमंडल छोड़ने आया, सारे शहर में होर्डिंग्स लगे हुए थे. ऐसा बिल्कुल नहीं लगा की प्रधानमंत्री मोदी किसी एक दूसरे कंट्री में हैं. कई बार दृश्य देखकर  ऐसा लगा कि मोदी अहमदाबाद या वाराणसी या पटना और वाराणसी में रोड शो कर रहे हैं. मेरा ये दावा है कि इस बार मॉरिशस में लाखों लोगों की जो भीड़ मोदी को देखने के लिए उमड़ी अब अगर वहां ट्रंप या फिर चीनी राष्ट्रपति  भी जाएंगे तो शायद इतनी भीड़ उन्हें देखने के लिए नहीं जुटेगी. 

सवालः विदेश मामलों से जुड़े कुछ Experts का यह कहना है कि आज विदेशों में भारत की जो ब्रांडिंग नरेंद्र मोदी कर रहे हैं वो मनमोहन सिंह, नरसिम्हा राव और यहां तक की अटल जी के कार्यकाल से भी बहुत बेहतर है क्या इस आकलन से आप सहमत हैं? 

जवाबः इसपर डॉ. जगदीश चंद्र बोले कि बिल्कुल सही पिछले कई वर्षों से विदेशों में भारत की जो इंटरनेशनल ब्रांडिंग है वो केवल और केवल नरेंद्र मोदी के कारण है, नरेंद्र मोदी का Aura, उनके रुतबे, उनका आभामंडल उसके कारण से है. और इसका एक बड़ा कारण ये भी है कि नरेंद्र मोदी एक ग्लोबल लीडर हैं. मनमोहन सिंह, नरसिम्हा राव और अटल जी एक ग्लोबल लीडर नहीं थे. अटल जी लोकप्रिय तो थे लेकिन ग्लोबल लीडर नहीं थे. लेकिन नरेंद्र मोदी ग्लोबल लीडर हैं. आज जो नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता है, वो अटल जी से भी ज्यादा है. ब्रांडिंग का अगर सवाल है तो आजकल कई बड़े देश ब्रांडिंग का काम इंटरनेशनल कंपनियों को देने लगे हैं. उन्होंने साऊदी अरब का उदहारण देते हुए कहा कि हाल ही में साऊदी अरब ने भी ब्रांडिंग का काम एक बड़ी कंपनी को दिया है. लेकिन भारतीय प्रधानमंत्री को ब्रांडिंग के लिए किसी कंपनी की जरुरत नहीं है. He is All in one  उनकी ब्रांडिंग Suo Moto है. यानी उसे करना नहीं पड़ता वो स्वतः ही होती है. 

इस ब्रांडिंग का कारण है कि नरेंद्र मोदी के शासन काल में, जो छोटे-छोटे देश हैं उनसे संबंधित जो मसले हैं. वो खुद प्रधानमंत्री के स्तर पर तय होते हैं. उनके डेलीगेशन में सीनियर अफसर, विदेश मंत्री, अजितक डोभाल ये सबलोग वहां जाते हैं. इससे पहले तक ऐसा नहीं था, छोटे-मोटे देशों की जो यात्राएं थी उनमें कोई मंत्री चला गया, कोई अफसर चला गया, ज्यादा से ज्यादा सिंबोलिक के तौर पर उपराष्ट्रपति  को भेद दिया गया वहां पर लेकिन अब स्थिति में बदलाव है. उस ब्रांडिंग की कमान नरेंद्र मोदी ने अपने हाथों में ले ली है. इसी का परिणाम है कि आज एक Composite international Branding जो भारत की है. उसका पूरा श्रेय नरेंद्र मोदी को दिया जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी. 

सवालः रुस के राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन के साथ हुए युद्धविराण का श्रेय ट्रंप के साथ नरेंद्र मोदी को भी दिया है इस Development को आप कैसे देखते हैं? 

जवाबः यह काफी नेचुरल और जस्टिस न्यायपूर्ण बात है. यह बात पुतिन भी अच्छे से जानते हैं कि ट्रंप के सीन में आने से पहले उनकी सारी उम्मीद और यहां तक की यूक्रेन की भी उम्मीद इस युद्धविराम के लिए नरेंद्र मोदी पर ही टिकी हुई थी. नरेंद्र मोदी से आशा थी और एक पल ऐसा आया था कि दोनों ने सहमति व्यक्त कर दी थी. फिर चर्चा चली कि दिल्ली में हो या साऊदी अरब में उसके बाद ट्रंप पिक्चर में आए. उन्होंने कहा कि पुतिन ने जो कहा है वो सच कहा है इसके साथ ही नरेंद्र मोदी का जो कथन था, यह चरितार्थ हुआ, वह सत्य चरितार्थ हुआ कि तारीख में समस्याओं का हल युद्ध के मैदान में नहीं है, यह टेबल पर बैठकर होगा. भारत किसी के साथ नहीं है लेकिन भारत शांति के साथ में है. जो कुछ भी पुतिन ने कहा है एख तो उसने Thank You हा है, जिसके हकदार हैं नरेंद्र मोदी, दूसरा उन्होंने युद्ध और शांति के बार में जो नरेंद्र मोदी की फिलोसफी थी उसे भी Endorse किया है. अलबत्ता ये बात जरुर है कि पुतिन ने भारत के साथ चीन के राष्ट्रपति को, ब्राजिल और कुछ अन्य लोगों को भी धन्यवाद कहा है. लेकिन जो प्राइम प्लेयर्स हैं इसके अंदर ट्रंप, पुतिन नरेंद्र मोदी और जेलेंस्की यही लोग हैं. 


सवालः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कहा है कि For us, मॉरिशस is Family आखिर इतना लाड़-प्यार क्यों उमड़ रहा मोदी के मन में? इसकी वजह क्या है 

जवाबः इस सावल के जवाब में डॉ. जगदीश चंद्र ने कहा कि नरेंद्र मोदी बेसिकली भावुक व्यक्ति हैं. कोई भी उन्हें लाड़-प्यार करता है, उन्हें सम्मान देता है तो वह उसको रिटर्न गिफ्टॉ देते हैं. लोगों का मान-सम्मान देखा एयरपोर्ट पर सब लोग लेने आ रहे हैं, सब लोग हाथ जोड़कर खड़े हैं. इसलिए पीएम मोदी ने इसपर कहा कि हमारा रिश्ता जो है एक बिजनेस पार्टनर का नहीं है. हम एक परिवार हैं. और आप हमारे परिवार का ही एक हिस्सा हैं. नरेंद्ग मोदजी ने आगे बढ़कर कहा कि मैं जब भी यहां आता हूंस आप लोगों से बात करता हूं मुझे ऐसा महसूस होता है कि मैं भी आप में से ही  एक हूं मैं 200 साल पुरानी स्मृतियों में लौट जाता हूं. किताबों में पढ़ता हूं, यहां की हवा, मिट्टी और पानी में जो है,  वह भारत की खुशबू मुझे दिखाई देती है. हमारे जो पूर्वज थे उनकी मेहनत थी खून पसीना था उसकी सुगंध मुझे दिखाई देती है. हम एक साथ हैं, एक परिवार का हिस्सा हैं. पीएम की बातों को सुनकर वहां की जो लीडरशिप हैं वो गदगद थी. मुख्यता उनका कहना ये था कि  You are virtually and extension of us आप हमारा ही हिस्सा है. हम एक परिवार हैं. 

सवालः 20 अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों के बाद अब मॉरिशस में भी मोदी को मिला देश का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार? विदोशों में आखिर क्यों इतनी होड़ मची हैं मोदी को सम्मानित करने की? 

जवाबः आपका कहना सही है कि होड़ जैसा ही है. मोदी जी को 21 इंटरनेशनल सम्मान अब तक आ चुके हैं. रूस, USA, फ्रांस, यूएई, सऊदी, दे चुका है. न जाने कितने देश वहां पर दे चुके हैं, फेहरिस्त काफी  लंबी है. नरेंद्र मोदी ने साफ तौर पर कहा है कि मैं विनम्रता से इस सम्मान को स्वीकार करता हूं. यह सम्मान मेरा नहीं है, ये भारत मॉरिशस के बीच जो ऐतिहासिक-सांस्कृतिक रिश्ते हैं उनका सम्मान है. हमारे पूर्वजों ने मॉरिशस को खून-पसीना बहा कर मॉरिशस को ख़ड़ा किया है. यह उसका सम्मान है. यह पांचवा सम्मान है जो किसी विदेशी व्यक्ति को वहां की सरकार ने दिया है. उन्हें सम्मान देने के लिए होड़ उनकी प्रतिभा, Aura जो है जो ग्लोबल लीडर की इमेज है  वो राष्ट्रो को प्रेरित करती है. मॉरिशस ने जो सम्मान दिया है वो भारत के जो संबंध है उनमें ऐतिहासिक मोल बनाने के लिए और उसे मजबूत करने के लिए यह सम्मान उन्हें दिया गया है. 

सवालः प्रधानमंत्री ने भारत कॉ तरह मॉरिशस में भी एक नई  पार्लियामेंट बिल्डिंग का गिफ्ट मॉरिशस को देने की घोषणा की है आखिर इतना बड़ा दिल लेकर कैसे धरती पर आए हैं पीएम मोदी? 

जवाबः पीएम मोदी के व्यक्तित्व को लेकर दो Contradiction है. यह बिल्डिंग जो दान में दिया वो राजा की मुद्रा में दिया है. इस मुद्रा में एक भाग है गवर्नेंस तो वो शानदार गवर्नेंस करते हैं. उनकी पर्सनालिटी का पार्ट है एक फकीर, साधु, योगी का खुद के होम स्टेट अहमदाबाद  में उनका मकान तक नहीं है. यह उनकी पर्सानिलीटी का Contradiction है. राजा की मुद्रा में और एक बड़े भाई की मुद्रा में बड़े भाई की तरफ से दिया गया छोटे भाई को उपहार है. हर जगह इसकी तारीफ हो रही है. PM ने नई धारणा को जन्म देते हुए कहा कि इंडिया इज मदर ऑफ डेमोक्रेसी इसे और भी मजबूत किया है. 


सवालः प्रधानमंत्री ने भारत कॉ तरह मॉरिशस में भी एक नई  पार्लियामेंट बिल्डिंग का गिफ्ट मॉरिशस को देने की घोषणा की है आखिर इतना बड़ा दिल लेकर कैसे धरती पर आए हैं पीएम मोदी? 

जवाबः पीएम मोदी के व्यक्तित्व को लेकर दो Contradiction है. यह बिल्डिंग जो दान में दिया वो राजा की मुद्रा में दिया है. इस मुद्रा में एक भाग है गवर्नेंस तो वो शानदार गवर्नेंस करते हैं. उनकी पर्सनालिटी का पार्ट है एक फकीर, साधु, योगी का खुद के होम स्टेट अहमदाबाद  में उनका मकान तक नहीं है. यह उनकी पर्सानिलीटी का Contradiction है. राजा की मुद्रा में और एक बड़े भाई की मुद्रा में बड़े भाई की तरफ से दिया गया छोटे भाई को उपहार है. हर जगह इसकी तारीफ हो रही है. 

सवालः अपनी मॉरिशस यात्रा में क्या-क्या दे आए नरेंद्र मोदी मॉरिशस की जनता और सरकार को? 

जवाबः उनका मन करता है जो छोटे देशों की जरुरतें होती हैं उन्हें पूरा करते हैं. 1100 मिलियन की मदद मॉरिशस को नरेंद्र मोदी मदद दे चुके हैं. 50 प्रतिशत लोन है और 50 प्रतिशत का ग्रांट है. प्रोजेक्ट्स का अगर नंबर देखें तो छोटे-मोटे पब्लिक ओरिएंटेड प्रोजेक्ट्स हैं. 96 प्रोजेक्ट्स भारत ने सरकार ने शुरू कराया है. उन्होंने कहा कि 96 में से 51 पूरे किए जा चुके हैं. 

इतना ही नहीं इन योजनाओं के अलावा मॉरिशस में भारत ने मेट्रो बनवा दी सुप्रीम कोर्ट की बिल्डिंग को भी वहां भारत ने ही बनाया है. मॉरिशस को भारक ने  ENT अस्पताल बना कर दिया है. क्लाइमेट चेंज के एग्रीमेंट हो रहे हैं. पीएम का मन करता है ग्रांट देने की कोई सीमा तो है नहीं. देखकर ऐसा लगता है कि यह भारत का  सहयोग है. यह सहयोग आगे भी जारी रहने वाला है. 

सवालः पीएम मोदी की इस यात्रा के दौरान मॉरिशस के प्रधानमंत्पी नवीन रामगुलाम ने यह कहा है कि हम चाहते हैं कि भारत से ज्यादा से ज्यादा लोग मॉरिशस आएं ऐसा हम चाहते हैं, तो आखिर यह कैसे फर्क है मॉरिशस और ट्रंप की सिटिजनशिप पॉलिसी में? 

जवाबः दोनों पॉलिसियों में एक कॉन्ट्रास्ट है. एक व्यक्ति बाहें फैलाकर आपका स्वागत कर रहा है और दूसरा कहता है कि जाओ यहां से ट्रंप हवाई जहाज में बिठाकर वापस भेज रहे हैं. यही मूल अंतर दोनों देशों की नीतियों में है. भारत का बुनियादी रूप से मॉरिशस में सम्मान है. भारतीय टैलेंटेड हैं. सहयोग दे हैं, मॉरीशस के पीएम राष्ट्रपति को पता है. मॉरिशस का निर्माण किसने किया है ये पता है कि भारत से आए मजदूरों ने ही बनाया है. इसलिए वहां के लोग आभार मानते हैं और कहते हैं कि और लोग आओ आपका स्वागत है. ट्रंप की डीपोर्टेशन पॉलिसी हवा का झोंका है. 

सवालः मैंने सुना है कि इस बार मॉरिशस में नरेंद्र मोदी का जो स्वागत हुआ है वो सचमुच में अद्भुत है और एतिहासिक भी आपने देखा होगा कि नरेंद्र मोदी की विदेश यात्राओं के दौरान आजकल उनका फोकस bilateral एग्रीमेंट के साथ-साथ उन देशों में रहने वाले प्रवासी भारतीयों पर भी रहता है पीएम की इस सोच को आप कैसे देखते हैं? 

जवाबः डॉ.जगदीश चंद्र ने कहा कि स्वागत तो सच में अद्भुत था. सुबह 6 बजे का समय था पीएम मोदी के आगमन के लिए करीब 200 वीवीआईपी एयरोपोर्ट पहुंचे थे. प्रधानमंत्री और उपप्रधानमंत्री पहुंचे, सारा मंत्रिमंडल, चीफ जस्टिस और LoP वहां पहुंचे. संसद के स्पीकर स्वागत के लिए आए. इसे देखकर खुद पीएम भी प्रभावित हुए. भोजपुरी गीतों से पीएम मोदी का स्वागत किया गया. उस गीत का हिन्दी में अर्थ ये है कि धन्य हमारा देश जो मोदी जी पधारे. स्वागत का माहौल था. सारा शहर होर्डिंग्स से पटा पड़ा था. जो भी भारतीय देश से बाहर है उनके मन में प्रधानमंत्री मोदी को देखने की इच्छा है. यह एक अच्छा प्रयास है भारत के बाहर रहने वाले लोगों को जोड़े रखने का. 


सवालः अगर नरेंद्र मोदी मॉरिशस  से चुनाव लड़े तो क्या होगा वहां का Scenario? 

जवाबः सबसे बड़ी बात ये है कॉ नरेंद्र मोदी को कहां-कहां से लड़ाएंगे आप? देश में ही होड़ रहती है, कोई कहता है कि अहमदाबाद से लड़ो, तो कोई वाराणसी से लड़ों तो कोई कहता है कि गुवाहाटी से लड़ों कोई चाहता है कि वो जयपुर से लड़ें. सारा शहर और देश उन्हें अपने इलाके से चुनाव लड़वाना चाहता है. इस दृष्टी से नरेंद्र मोदी ऐसे पहले लीडर हैं जिनकों भारत में लोग 543 संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ाना चाहते हैं. सभी सीटें पीएम मोदी के लिए सुरक्षित हैं. वरना नेता तो सेफ सीट देश में खोजते हैं. भारत में बड़ी संख्या में लोग उन्हें चुनाव लड़वाना चाहते हैं. भारत नहीं दुबई में भी लोग वहां से चुनाव लड़वाना चाहके हैं. अब पीएम मॉरिशस गए तो वहां के लोग भी ऐसा ही चाहते हैं. अगर इस तरह दूसरे देश में चुनाव लड़ने का प्रावधान होता भी तो नरेंद्र मोदी चुनाव जीत जाएंगे. 13 लाख लोग हैं 70 प्रतिशत भारतीय हैं, पीएम मोदी चुनाव निश्चित ही जीत जाएंगे.  हमे ऐसे लीडर पर प्राउड है जिसकी पूरे संसार में धूम है. 


सवालः मॉरिशस में नेशनल  डे की परेड हो रही थी, अचानक पीएम मोदी ने किसे किया सैल्यूट? क्या आपको जानकारी है इस बारे में? 

जवाबः इस पर डॉ. जगदीश चंद्र ने कहा कि मैंने पढ़ा इसमें सभी लोग कतार में खड़े थे. पीएम मोदी और वहां के पीएम थे. परेड की सलामी चल रही थी, अचानक  उन्होंने देखा भारतीय सेना की  असम-मेघालय की टुकड़ी गुजरी एकदम से राष्ट्र प्रेम और प्रधानमंत्री की आत्मा जागती हैं. इसलिए एकदम से उन्होंने इस तरह सलाम किया. सब लोग हैरान थे कि ये क्या है? यह पीएम का राष्ट्रप्रेम है, सेना तो गदगद है. दिल्ली में और वहां भी देखो कैसे प्रधानमंत्री है. मैं यह बात पहले भी कह चुका हूं कि पीएम मोदी के मन में एक सैनिक बैठा हुआ है. एक कमांडर बैठा हुआ है, बचपन में वो चाहते थे कि मैं आर्मी में जाऊं वो जा नहीं पाए. लेकिन आज भी जब वो आर्मी की ड्रेस पहनकर खड़े होते हैं, तो लगता है कमांडर इन चीफ जो होता है वही हैं. 

वैसे राष्ट्रपति होता है लेकिन दिखते हैं वो, उनके मन में आर्मी के प्रति जज्बा जो है. वो खास है, जैसे ही उन्होंने उस टुकड़ी को देखा तो उनका हाथ उठा और सलाम किया, देश में विदेश में सभी को ये अच्छा लगा. 

सवालः मॉरिशस में नेशनल  डे की परेड हो रही थी, अचानक पीएम मोदी ने किसे किया सैल्यूट? क्या आपको जानकारी है इस बारे में? 

जवाबः इस पर डॉ. जगदीश चंद्र ने कहा कि मैंने पढ़ा इसमें सभी लोग कतार में खड़े थे. पीएम मोदी और वहां के पीएम थे. परेड की सलामी चल रही थी, अचानक  उन्होंने देखा भारतीय सेना की  असम-मेघालय की टुकड़ी गुजरी एकदम से राष्ट्र प्रेम और प्रधानमंत्री की आत्मा जागती हैं. इसलिए एकदम से उन्होंने इस तरह सलाम किया. सब लोग हैरान थे कि ये क्या है? यह पीएम का राष्ट्रप्रेम है, सेना तो गदगद है. दिल्ली में और वहां भी देखो कैसे प्रधानमंत्री है. मैं यह बात पहले भी कह चुका हूं कि पीएम मोदी के मन में एक सैनिक बैठा हुआ है. एक कमांडर बैठा हुआ है, बचपन में वो चाहते थे कि मैं आर्मी में जाऊं वो जा नहीं पाए. लेकिन आज भी जब वो आर्मी की ड्रेस पहनकर खड़े होते हैं, तो लगता है कमांडर इन चीफ जो होता है वही हैं. 

वैसे राष्ट्रपति होता है लेकिन दिखते हैं वो, उनके मन में आर्मी के प्रति जज्बा जो है. वो खास है, जैसे ही उन्होंने उस टुकड़ी को देखा तो उनका हाथ उठा और सलाम किया, देश में विदेश में सभी को ये अच्छा लगा. 

सवालः 10 साल बाद मोदी की  इस दूसरी मॉरिशस यात्रा के दौरान आखिर क्या-क्या बदल गया है भारत और मॉरिशस में? 

जवाबः भार तो 10 सालों में पूरा बदल गया है, मोदी के टाइम में आपने देखा होगा मॉरिशस में कुछ ज्यादा नहीं बदलाव हुआ है. वो तीसरी बार प्रधानमंत्री बने हैं. लेकिन मोदी की तरह तीसरी बार लगातार नहीं बने हैं. पांच-पांच साल का गैप रहा है. कोई विकास की मांग उस तरीके से नहीं बस सकी. बेसिकली क्या है वहां एफडीआई का ब्लैक मनी कन्वर्ट करने की एक इंडस्ट्री चलती रही है, तो वो रहा है. वित्त का, कृषि का, शिपिंग का थोड़ा बहुत रहा है. तो ऐसा कोई बहुत बड़ा परिवर्तन नहीं आया है. 

लेकिन भारत तो पूरा आमूलचूल बदल चुका है, कायाकल्प हो गया है. पहले देश कहा था और आज कहैं है. आज पांचवी अर्थव्यवस्था पर खड़े हैं. तीसरी बनने वाले हैं और ना जाने क्या क्या. नरेंद्र मोदी की उपलब्धियों की  फेहरिस्त बहुत लंबी है. कुल मिलाकर कोई कंपैरिजन नहीं है. भारत और मॉरिशस बहुत आगे बढ़ा लेकिन स्थायी सरकार, एक ही गवर्मेंट नहीं होने के कारण से उतना आगे नहीं बढ़ा जितना दूसरे देश बढ़ते हैं. 

सवालः भारत के लिए मॉरिशस के लिए क्या महत्व है मॉरिशस का? 

जवाबः मॉरिशस का बहुत बड़ा महत्व है सबसे पहली बात है कि it has a strategic location it is central in indian ocean और भारत और नरेंद्र मोदी जो हैं ग्लोबल साऊथ का लीडर बनना चाहते हैं. नेतृत्व भारत को दिलाना चाहते हैं, इसलिए मॉरिशस का बड़ा रोल है. दूसरा फैक्टर चाइना का है. चाइना चाहता है कि मॉरिशस के पास सुरक्षा कवच भारत का नहीं हो भारत की प्रिजेंस लगातार वहां नहीं है तो किसी भी दिन मॉरिशस पर कब्जा कर सकता है. ताइवान की बात करता है, तो कल को मॉरिशस की भी बात कर सकता है. 

इसलिए चाइना फैक्टर भारत को प्रेरित करता है हमारी सुरक्षा का umbrella या हमारी जो importance उसके साथ ऐसा रहे. तीसरा फैक्टर है बिजनेत पार्टनरशिप, ट्रेड पार्टनरशिपर दोनों देशों के बीच. चौथा फैक्टर वर्चुअली मॉरिशस एक तरीके से हमसे सहायता ले रहा है. हम भी उसे सहायता दे रहे हैं, तो It is an extension of india. नरेंद्र मोदी ने खुद कहा है कि आप हमारे परिवार का एक हिस्सा हैं.  एक मिनि  इंडिया होने का भी उसका एक अपना कैरेक्टर है. 70 प्रतिशत लोग भारतीय ही हैं जो चला रहे हैं. From Historical और from the defence point of view from maritime point of view कहिए, from an emotional point of view, from cultural background point of view मॉरिशस is our requirement और इसको भारत सरकार स्वीकार करती है. 

सवालः मोदी की मॉरिशस यात्रा के दौरान भारत और मॉरिशस में 8 बड़े समझौतों पर हस्ताक्षर हुए हैं. आखिर क्या है इसकी strategic relevance? 

जवाबः  relevance है इनकी, क्योंकि इस बार बहुत क्रिटिकल समझौते हुए हैं. क्योंकि नरेंद्र मोदी की जो विजिट है, वो बहुत ऑर्गेनाइज्ड और रिजल्ट ओरिएंटेड होती है. पीएम नरेंद्र मोदी कुल 33 घंटे वहां रहे और 8 बड़े समझौते बाइलेट्रल एग्रीमेंट्स वहां हुए हैं. सबसे बड़ा समझौता तो डिफेंस और मैरीटाईम का है. क्योंकि सारा नेवल बेस है वहां पर और इंडियन नेवी ने भी वहां पर अच्छा काम किया है. हालांकि इनकी सीमाएं हैं, इंडियन नेवी को ऐसा लगता है कि उनका बजट एलोकेशन जो है कुछ कम हो गया है. 


अगर naval में हमारी प्रेजेंस बढ़ानी है तो उस बेल्ट में हमारी कैपेसिटी बिल्डिंग करनी है तो  नेवी का बजट हमें बढ़ाना होगा. क्या है कि जो डिफेंस और जो Maritime Presence है. जो स्ट्रैटेजी है, वो जो एग्रीमेंट हुआ है वो बहुत इंपॉर्टेंट है. दूसरा है Common Currency agreement, ये आपके साथ है. जो  Maritime क्राइम है, उनको रोकने की बात हुई है, बड़ा important है. मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने की बात हुई ईडी के साथ वहां के इंस्टिट्यूशन का तालमेल हुआ है. ड्रिंकिंग वाटर प्रोजेक्ट के लिए बड़ा पैसा दे रहे हैं. UPI है, ऐसे कई बड़े समझौते और सारे समझौते ऐसे हैं जो कागजों के लिए नहीं हैं. वो क्या है कि एग्जीक्यूशन लायक हैं और सारे के सारे एग्जीक्यूट होंगे. अच्छे समझौते हुए हैं. जिनसे आशा की जानी चाहिए, दोनों देशों के व्यापारिक, आर्थिक और सैनिक संबंध जो हैं और मजबूत होंगे. 

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