मॉस्कोः डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद उनके कठोर बयानों को लेकर चीन और रूस से तेज प्रतिक्रियाएं आई हैं. अपने शपथ ग्रहण के बाद अपने पहले संबोधन में ट्रंप ने चीन को सीधा चुनौती दी, यह वादा करते हुए कि वह पनामा नहर पर चीन का प्रभुत्व समाप्त करेंगे. इसके बाद उन्होंने रूस से यूक्रेन युद्ध समाप्त करने का आह्वान किया. ट्रंप की ये टिप्पणियां बीजिंग और मॉस्को दोनों के लिए असहज साबित हुईं, और इसी बीच, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक वीडियो कॉल के जरिए अपने रणनीतिक संबंधों पर चर्चा की.
पुतिन-जिनपिंग के बीच क्या बात हुई?
इस बातचीत के दौरान, शी और पुतिन ने एक बहु-ध्रुवीय विश्व व्यवस्था की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि उनके द्विपक्षीय संबंध वैश्विक मामलों में स्थिरता का कारण हैं. पुतिन ने रूस-चीन रिश्तों को मित्रता और आपसी विश्वास पर आधारित बताया, और दोनों देशों के बीच यूरोएशिया की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के प्रयासों पर चर्चा की. दोनों नेताओं ने कई क्षेत्रों में चल रहे सहयोगी परियोजनाओं पर भी विचार किया, जिसमें उद्योग, कृषि और परिवहन सहित रूस से चीन को प्राकृतिक गैस का निर्यात भी शामिल है.
यह बातचीत ट्रंप के शपथ ग्रहण के बाद हुई, और उससे पहले सोमवार को पुतिन ने रूस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सदस्यों से वीडियो कॉल पर बात की थी. इस दौरान पुतिन ने कहा कि उन्हें ट्रंप और उनकी टीम से रूस के साथ संबंधों को फिर से बहाल करने की इच्छा के बारे में जानकारी मिली है, जो पिछली अमेरिकी सरकार के दौरान बिना किसी गलती के बंद कर दिए गए थे. ट्रंप के यह बयान भी सामने आए थे कि उन्हें तीसरे विश्व युद्ध को रोकने के लिए हर संभव प्रयास करने की आवश्यकता है, जिस पर पुतिन ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी.
पुतिन ने ट्रंप को उनके राष्ट्रपति बनने पर बधाई दी
पुतिन ने ट्रंप को उनके राष्ट्रपति बनने पर बधाई दी और कहा कि रूस यूक्रेन के साथ एक शांति समझौते पर बातचीत करने के लिए तैयार है. उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यह समझौता केवल एक अस्थायी युद्धविराम नहीं होगा, बल्कि यह स्थायी शांति की ओर एक कदम होगा, जिसमें रूस के हितों को प्राथमिकता दी जाएगी.
ट्रंप के सत्ता में आने के बाद, चीन और रूस दोनों ने अपनी रणनीतियां फिर से परिभाषित करनी शुरू कर दी हैं. आने वाले महीनों में यह वैश्विक राजनीति पर नए प्रभाव डाल सकता है, क्योंकि अमेरिका, चीन और रूस तीनों ही अपनी-अपनी भूमिकाओं को फिर से स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं.
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