पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ फिर उगला जहर, ट्रेन हाईजैक और तालिबान से रिश्ते को लेकर क्या कहा?

पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में मंगलवार को एक ट्रेन पर हुए हमले ने सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है. बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने जाफर एक्सप्रेस को हाईजैक कर लिया, जिसमें 500 से अधिक यात्री सवार थे.

Pakistan again spews venom against India holds it responsible for Balochistan train hijack
प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- ANI

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में मंगलवार को एक ट्रेन पर हुए हमले ने सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है. बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने जाफर एक्सप्रेस को हाईजैक कर लिया, जिसमें 500 से अधिक यात्री सवार थे. इनमें से महिलाओं, बच्चों और सामान्य नागरिकों को रिहा कर दिया गया, जबकि पाकिस्तानी सेना के जवानों, खुफिया एजेंसियों के अधिकारियों और सरकारी कर्मचारियों को बंधक बना लिया गया.

इस घटना के बाद पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों और सेना ने जवाबी कार्रवाई करते हुए अब तक 16 विद्रोहियों को मारने का दावा किया है, जबकि BLA ने 30 से अधिक पाकिस्तानी सैनिकों को मारने का दावा किया है. हालांकि, इन दावों की स्वतंत्र पुष्टि नहीं हो सकी है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, बलूच लिबरेशन आर्मी ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है और 214 यात्रियों को बंधक बनाने का दावा किया है.

पाकिस्तान सरकार की प्रतिक्रिया और आरोप

घटना के बाद पाकिस्तान सरकार की ओर से कड़े बयान सामने आए हैं. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के सलाहकार राणा सनाउल्लाह ने इस हमले के पीछे बाहरी तत्वों का हाथ होने की संभावना जताई है. उन्होंने दावा किया कि हमलावरों को अफगानिस्तान में सुरक्षित ठिकाने मिले हुए हैं और यह गतिविधियां भारत द्वारा प्रायोजित की जा रही हैं.

पाकिस्तानी मीडिया से बातचीत में सनाउल्लाह ने कहा, "अफगानिस्तान के अंदर से भारत इन्हें संचालित कर रहा है. तालिबान शासन से पहले ऐसा नहीं था, लेकिन अब उन्हें वहां घात लगाने की सुविधा मिल गई है." पाकिस्तान सरकार ने अफगानिस्तान से इन गतिविधियों को रोकने की मांग भी की है, और चेतावनी दी है कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो पाकिस्तान इन समूहों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा.

सुरक्षा स्थिति पर गहराते सवाल

यह घटना पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा झटका मानी जा रही है. पिछले कुछ वर्षों में बलूचिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि देखी गई है, जिसका असर पाकिस्तान के रणनीतिक और आर्थिक हितों पर भी पड़ा है. खासकर, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) को लेकर बलूच स्वतंत्रता संगठनों के विरोध के कारण इस क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ रही है.

पाकिस्तान लंबे समय से आतंकवाद और उग्रवादी समूहों से जूझ रहा है, लेकिन इस तरह की घटनाएं यह संकेत देती हैं कि सुरक्षा चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं. पाकिस्तान सरकार द्वारा अन्य देशों पर आरोप लगाने से अधिक, आवश्यक है कि वह अपने आंतरिक सुरक्षा तंत्र को मजबूत करे और बलूचिस्तान में व्याप्त असंतोष को हल करने के लिए राजनीतिक समाधान तलाशे.

आगे की रणनीति

सरकार को चाहिए कि वह बलूचिस्तान में जारी अशांति के मूल कारणों की पहचान करे और स्थानीय समुदायों के साथ संवाद स्थापित करे. साथ ही, अफगानिस्तान से लगती सीमा पर सुरक्षा को और कड़ा किया जाए ताकि किसी भी तरह के बाहरी प्रभाव को रोका जा सके. इस प्रकार की घटनाओं से निपटने के लिए दीर्घकालिक नीति अपनाना ही पाकिस्तान के हित में होगा.

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