डॉ अंबेडकर पर बयान को लेकर विपक्ष का विरोध-प्रदर्शन, लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही टली

    कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने बुधवार सुबह लोकसभा में डॉ. बीआर अंबेडकर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणी पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव पेश किया.

    डॉ अंबेडकर पर बयान को लेकर विपक्ष का विरोध-प्रदर्शन, लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही टली
    संसद परिसर में डॉ अंबेडकर पर संसद में टिप्पणी को लेकर प्रदर्शन करते कांग्रेस समेत विपक्षी दल के नेता | Photo- ANI

    नई दिल्ली : बुधवार को हंगामे के बीच संसद के दोनों सदनों - लोकसभा और राज्यसभा - को आज दोपहर 2:00 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया है. यह तब हुआ जब विपक्ष ने बाबासाहेब अंबेडकर के बारे में राज्यसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा की गई टिप्पणी को लेकर संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया.

    इस बीच, कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने बुधवार सुबह लोकसभा में डॉ. बीआर अंबेडकर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणी पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव पेश किया.

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    विपक्ष का डॉ अंबेडकर और उनकी विरासत का अपमान करने का आरोप

    अपने स्थगन प्रस्ताव नोटिस में टैगोर ने अमित शाह पर डॉ. बीआर अंबेडकर की विरासत का "अपमान" करने और "लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने" का आरोप लगाया.

    टैगोर ने नोटिस में कहा, "मैं आज इस सदन का ध्यान केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा 17 दिसंबर, 2024 को राज्यसभा में हमारे संविधान के निर्माता डॉ. बी.आर. अंबेडकर के बारे में की गई बेहद आपत्तिजनक और अपमानजनक टिप्पणियों की ओर आकर्षित करना चाहता हूं. ये टिप्पणियां न केवल डॉ. अंबेडकर की विरासत का अपमान करती हैं, बल्कि उन करोड़ों लोगों की भावनाओं को भी ठेस पहुंचाती हैं, जो उन्हें आधुनिक भारत के संस्थापक पिता और सामाजिक न्याय और समानता के प्रतीक के रूप में मानते हैं."

    गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में की थी ये टिप्पणी, जिसका हो रहा विरोध

    मंगलवार को संविधान के 75 साल पूरे होने पर राज्यसभा में दो दिवसीय चर्चा के समापन पर अपने संबोधन में अमित शाह ने कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि अंबेडकर का नाम लेना पार्टी के लिए 'फैशन' बन गया है.

    उन्होंने कहा, "अगर उन्होंने अंबेडकर के बजाय इतनी बार भगवान का नाम लिया होता तो उन्हें सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता."

    टैगोर ने अमित शाह के बयान को "ईशनिंदा" और संविधान के निर्माण में अंबेडकर की भूमिका को "कमज़ोर करने का प्रयास" बताया.

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    संसद में पेश हुआ वन नेशन, वन इलेक्शन बिल, विपक्ष का विरोध

    इससे पहले, संविधान (129वां संशोधन) विधेयक पेश किया गया था, जिसमें 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' नीति का प्रस्ताव किया गया था, जो लोकसभा और राज्य विधानसभाओं दोनों के लिए एक साथ चुनाव कराने का प्रयास करता है. विधेयक को विस्तृत चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा गया है.

    लोकसभा अध्यक्ष ने विधेयक पेश करने पर मतदान के परिणाम की घोषणा की. मतदान में 269 सदस्यों ने पक्ष (हां) और 196 ने विपक्ष (नहीं) में मतदान किया. इसके बाद कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पर संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 को औपचारिक रूप से पेश किया और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान के जवाब में विधेयक को जेपीसी को भेजने पर सहमति जताई.

    लोकसभा में बोलते हुए शाह ने कहा, "जब एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक को मंजूरी के लिए कैबिनेट में लाया गया था, तो पीएम मोदी ने कहा था कि इसे विस्तृत चर्चा के लिए जेपीसी को भेजा जाना चाहिए. अगर कानून मंत्री जेपीसी को बिल भेजने के लिए तैयार हैं, तो इसे पेश करने पर चर्चा समाप्त हो सकती है."

    कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने पेश के संसद में ये बिल

    मेघवाल ने दिन के कार्यक्रम के अनुसार केंद्र शासित प्रदेश अधिनियम, 1963, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली अधिनियम, 1991 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन करने के लिए एक विधेयक भी पेश किया. इन संशोधनों का उद्देश्य दिल्ली, जम्मू और कश्मीर और पुडुचेरी में विधानसभा चुनावों को प्रस्तावित एक साथ चुनावों के साथ जोड़ना है.

    विपक्ष ने इन विधेयकों की आलोचना की है, जिनका कहना है कि ये (विधेयक) संविधान के मूल ढांचे को निशाना बनाते हैं और आरोप लगाते हैं कि ये भारत के संघीय ढांचे के लिए खतरा पैदा करते हैं और सत्ता को केंद्रीकृत करने का लक्ष्य रखते हैं.

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