अमेरिका के सबसे बड़े शहर न्यूयॉर्क में इतिहास रच दिया गया है. भारतीय मूल के डेमोक्रेट उम्मीदवार जोहरान ममदानी ने मेयर चुनाव में शानदार जीत हासिल कर सबको चौंका दिया है. ममदानी न केवल न्यूयॉर्क के पिछले एक सदी में सबसे युवा मेयर बने हैं, बल्कि वे पहले भारतवंशी और पहले मुस्लिम मेयर भी बन गए हैं.
यह जीत केवल एक राजनीतिक सफलता नहीं, बल्कि यह उस नई पीढ़ी की सोच और विविधता का प्रतीक है जो अमेरिका के सामाजिक और राजनीतिक ढांचे को बदल रही है.
न्यूयॉर्क ने चुना बदलाव का चेहरा
इस ऐतिहासिक चुनाव में जोहरान ममदानी को 50% से अधिक वोट मिले जो जनता के भारी समर्थन का संकेत है. चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में भी उनकी बढ़त साफ देखी जा रही थी, लेकिन परिणामों ने इसे निर्णायक रूप से साबित कर दिया. मशहूर फिल्ममेकर मीरा नायर के बेटे और कोलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर महमूद ममदानी के पुत्र जोहरान ने इस चुनाव में न्यूयॉर्क की जनता के दिल में जगह बना ली. उनकी यह जीत न केवल उनके राजनीतिक करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि है, बल्कि यह अमेरिका में प्रवासी भारतीयों की भूमिका को भी एक नई पहचान देती है.
ट्रंप को मिला बड़ा झटका
जोहरान ममदानी की जीत ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को बड़ा झटका दिया है. ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान ममदानी को “पागल कम्युनिस्ट” तक कह दिया था. उन्होंने यहां तक चेतावनी दी थी कि अगर ममदानी मेयर बने, तो न्यूयॉर्क की फेडरल फंडिंग घटा दी जाएगी.लेकिन जनता ने ट्रंप की बयानबाज़ी को दरकिनार करते हुए ममदानी को भारी मतों से जीत दिलाई. यह परिणाम डेमोक्रेट पार्टी के गढ़ न्यूयॉर्क में रिपब्लिकन राजनीति की असफलता का ताजा उदाहरण माना जा रहा है.
विरोधियों को दी करारी मात
ममदानी की राह आसान नहीं थी. उनके सामने दो मजबूत प्रतिद्वंद्वी थे. पहले, न्यूयॉर्क के पूर्व गवर्नर और डेमोक्रेटिक पार्टी के वरिष्ठ नेता एंड्रू कुओमो, और दूसरे, रिपब्लिकन उम्मीदवार कर्टिस स्लिवा, जो ममदानी और कुओमो दोनों को शहर के विकास के खिलाफ बताकर चुनाव मैदान में उतरे थे.लेकिन जनता ने जोहरान ममदानी की ईमानदार और जनहितकारी नीतियों को प्राथमिकता दी और उन्हें स्पष्ट बहुमत से विजेता बनाया.
जनता से किए गए वादे
जोहरान ममदानी ने अपने चुनावी अभियान के दौरान कई ऐसे वादे किए जो सीधे आम जनता से जुड़े थे.उन्होंने कहा था कि अगर वे मेयर बने तो किराए पर फ्रीज लगाया जाएगा ताकि महंगाई के बीच किराएदारों को राहत मिल सके.सभी के लिए मुफ्त बस सेवा शुरू की जाएगी ताकि छात्रों और कामकाजी वर्ग को आवागमन में आसानी हो.साथ ही, वे सरकारी किराना स्टोर खोलने की योजना पर काम करेंगे ताकि जरूरी चीजें किफायती दरों पर मिल सकें.इन जनहितकारी वादों ने ममदानी को आम नागरिकों के बीच लोकप्रिय बना दिया और यही उनकी ऐतिहासिक जीत की नींव साबित हुआ.
कौन हैं जोहरान ममदानी?
जोहरान ममदानी का जन्म युगांडा के कंपाला में हुआ था. जब वे सात साल के थे, उनका परिवार न्यूयॉर्क चला आया और बाद में वहीं बस गया. पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने सामाजिक न्याय और जनहित के मुद्दों पर सक्रिय रूप से काम शुरू किया.कॉलेज के दिनों में उन्होंने “स्टूडेंट्स फॉर जस्टिस इन फिलिस्तीन” नामक संगठन की सह-स्थापना की थी. यही अनुभव उनके राजनीतिक करियर की दिशा तय करने वाला साबित हुआ.साल 2020 में, जोहरान ममदानी न्यूयॉर्क राज्य विधानसभा के लिए चुने गए, जहां उन्होंने क्वींस जिले का प्रतिनिधित्व किया. उनकी सबसे चर्चित उपलब्धि थी. एक साल के लिए शहर की बस सेवाओं को मुफ्त करने वाला पायलट प्रोग्राम, जिससे हजारों लोगों को राहत मिली.
न्यूयॉर्क में नई उम्मीदों की सुबह
ममदानी की जीत को अमेरिका में प्रवासी भारतीय समुदाय की सबसे बड़ी राजनीतिक उपलब्धियों में से एक माना जा रहा है. उनके नेतृत्व में अब न्यूयॉर्क एक नए सामाजिक और आर्थिक मॉडल की ओर बढ़ेगा. जहां अवसरों की बराबरी, सस्ती आवास व्यवस्था और सार्वजनिक सेवाओं में सुधार प्राथमिकता होगी. जोहरान ममदानी ने अपने विजय भाषण में कहा “यह जीत केवल मेरी नहीं, बल्कि हर उस न्यूयॉर्कवासी की है, जो एक ऐसे शहर का सपना देखता है जहाँ न्याय, समानता और सहानुभूति की जीत हो.उनकी यह बात अब न केवल न्यूयॉर्क बल्कि पूरे अमेरिका में गूंज रही है.
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