दगाबाज यूक्रेन... ट्रंप को खुश करने में लगे जेलेंस्की! भारत के खिलाफ उगल रहे जहर

    यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की एक बार फिर चर्चा में हैं. इस बार अपने उस बयान को लेकर, जिसमें उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से भारत को निशाने पर लिया है. अमेरिका और उसके पूर्व डोनाल्ड ट्रंप की तारीफ में दिए गए उनके इस बयान से भारत की कूटनीतिक छवि को चोट पहुंची है.

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    यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की एक बार फिर चर्चा में हैं. इस बार अपने उस बयान को लेकर, जिसमें उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से भारत को निशाने पर लिया है. अमेरिका और उसके राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तारीफ में दिए गए उनके इस बयान से भारत की कूटनीतिक छवि को चोट पहुंची है.एक ऐसा देश, जिसे युद्ध के समय भारत ने समर्थन दिया, आज वही देश भारत के खिलाफ टैरिफ जैसे आर्थिक प्रतिबंधों को सही ठहरा रहा है.

    इसका सीधा संकेत है कि यूक्रेन अब भी अपने पुराने रुख से पीछे नहीं हटा है. जहां उसका झुकाव बार-बार पाकिस्तान की तरफ दिखाई दिया है, और भारत के साथ खड़े होने की बजाय पश्चिमी शक्तियों को खुश करना उसकी प्राथमिकता बन गई है.

    क्या कहा जेलेंस्की ने?

    हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, जेलेंस्की ने ट्रंप के उस विचार का समर्थन किया, जिसमें रूस से व्यापार करने वाले देशों पर उच्च टैरिफ लगाने की बात कही गई थी. जेलेंस्की बोले “जो देश रूस के साथ सौदे कर रहे हैं, उन पर टैरिफ लगाने का विचार मुझे उचित लगता है.” हालांकि उन्होंने भारत का नाम नहीं लिया, लेकिन अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में यह बयान भारत पर अप्रत्यक्ष कटाक्ष के रूप में देखा जा रहा है. क्योंकि अमेरिका पहले ही रूस से तेल खरीदने पर भारत पर 50% तक टैरिफ लगाने की बात कह चुका है.

    भारत की उपेक्षा, अमेरिका को प्रसन्न करने की कोशिश

    इस बयान से यह साफ झलकता है कि जेलेंस्की अमेरिका की नीतियों का आंख मूंदकर समर्थन कर रहे हैं, शायद इसलिए कि वह ट्रंप जैसे नेताओं को फिर से अपने पक्ष में करना चाहते हैं. याद रहे, फरवरी 2025 की वह घटना अभी भूली नहीं गई है, जब वॉशिंगटन डीसी में वोलोदिमीर जेलेंस्की की सार्वजनिक तौर पर ट्रंप ने उपेक्षा कर दी थी. कैमरों के सामने उन्हें झिड़क दिया गया था. अब जेलेंस्की उन्हीं ट्रंप को खुश करने के लिए भारत जैसे पुराने सहयोगी को नजरअंदाज कर रहे हैं. उन्होंने यह भी भूल गया कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच पीएम नरेंद्र मोदी खुद कीव पहुंचे थे, जबकि ट्रंप जैसे नेताओं ने उनसे मिलने तक से इनकार कर दिया था.

    भारत का समर्थन, यूक्रेन की भूल

    यूक्रेन की ये बयानबाज़ी नई नहीं है. उसने अतीत में भी कई मौकों पर भारत का साथ छोड़कर पाकिस्तान का समर्थन किया है. कुछ उदाहरण. T-80UD टैंक डील (1997-1999): भारत की चिंता जताने के बावजूद, यूक्रेन ने पाकिस्तान को सैकड़ों टैंक सप्लाई किए. Il-78 टैंकर विमानों की बिक्री (2008-2012): पाकिस्तान को 4 एयर-टैंकर विमान बेचे. मरम्मत और अपग्रेड कॉन्ट्रैक्ट (2020-21): पाकिस्तानी टैंकों और विमानों के लिए सेवा समझौते किए गए.

    यूएन में भी दोहरी नीति

    परमाणु परीक्षण पर आलोचना (1998): जब भारत ने पोखरण-2 परीक्षण किया, तो यूक्रेन ने संयुक्त राष्ट्र में भारत की आलोचना करने वाले प्रस्ताव के पक्ष में वोट किया. कश्मीर पर स्टैंड: 1990 के दशक में, यूक्रेन ने यूएन ह्यूमन राइट्स कमीशन में कश्मीर पर यूएन हस्तक्षेप के पक्ष में समर्थन जताया.

    भारत को लेकर यूक्रेन की दगाबाजी का सिलसिला जारी

    ऐसा प्रतीत होता है कि यूक्रेन अपनी कूटनीतिक प्राथमिकताओं को भारत जैसे साझेदार देशों की बजाय पश्चिमी समर्थन हासिल करने तक सीमित रखता है. ट्रंप की नीतियों का समर्थन कर, जेलेंस्की केवल वॉशिंगटन को रिझाना चाहते हैं, भले ही इसके लिए उन्हें भारत जैसे दोस्त की उपेक्षा क्यों न करनी पड़े.

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