जहां एक ओर भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के ज़रिए सीमा पार आतंक के अड्डों पर जोरदार जवाब दिया, वहीं उत्तर प्रदेश ने भी आतंकी नेटवर्कों की कमर तोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. बीते आठ वर्षों में यूपी में आतंकवाद के खिलाफ हुई कार्रवाइयों के आंकड़े अब सामने आए हैं और ये आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश अब सिर्फ एक राजनीतिक ताकत नहीं, बल्कि आतंकी मंसूबों के लिए एक बड़ी दीवार बन चुका है.
यूपी बना आतंकवाद विरोधी कार्रवाई का मॉडल
2017 से लेकर 2025 तक के बीच, यूपी पुलिस और एंटी टेररिज्म स्क्वॉड (ATS) ने आतंकवादी संगठनों के खिलाफ जिस मुस्तैदी से अभियान चलाए, वो किसी ऑपरेशन से कम नहीं रहे. राज्य में कुल 142 स्लीपर मॉड्यूल्स या तो पूरी तरह से खत्म किए गए या उनकी गिरफ्तारी हुई — यानी हर छह हफ्ते में एक बड़ी आतंकी साजिश को नाकाम किया गया. 131 सक्रिय मॉड्यूल्स, जो सीधे तौर पर आतंकियों को मदद पहुंचा रहे थे , उन्हें धर दबोचा गया. 11 मॉड्यूल्स ऐसे थे जो आतंकी गतिविधियों को आर्थिक मदद देने में शामिल थे, इन पर भी शिकंजा कसा गया.
किन संगठनों पर हुई कार्रवाई?
इन अभियानों के दायरे में सिर्फ एक या दो संगठन नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय और घरेलू आतंकी संगठनों का पूरा जाल आया है. ISIS, अल-कायदा, ISI, PFI (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) पर कड़ी कार्रवाई हुई है. इसके अलावा SIMI (स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) जैसे संगठनों की गतिविधियों पर प्रभावी रोक लगाई गई.
बाहरी तत्वों पर भी नजर
यूपी पुलिस ने राज्य में रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठ नेटवर्क्स पर भी सख्ती से काम किया. फर्जी दस्तावेजों से रहने वाले और आतंकवादी गतिविधियों से संभावित संबंध रखने वाले तत्वों की पहचान कर उन्हें निष्कासित किया गया.
धार्मिक उन्माद फैलाने की कोशिशें नाकाम
राम मंदिर निर्माण जैसे संवेदनशील मुद्दों पर माहौल बिगाड़ने की साजिश रचने वालों के खिलाफ भी सरकार ने कोई नरमी नहीं बरती. साम्प्रदायिक तनाव फैलाने की कोशिश करने वालों पर सख्त कार्रवाई की गई और कानून-व्यवस्था को बनाए रखा गया.
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