1981 से क्यों बंद है कुतुब मीनार का ये हिस्सा? जानिए उस दर्दनाक हादसे की कहानी जिसने हमेशा के लिए लगा दिया ताला

    दिल्ली का कुतुब मीनार सिर्फ एक ऐतिहासिक स्मारक नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और स्थापत्य विरासत का एक बेहद अहम प्रतीक है. इसकी ऊंचाई, अद्भुत नक्काशी और इतिहास में गहराई से जुड़ी कहानियां हर साल लाखों पर्यटकों को अपनी ओर खींचती हैं. लेकिन एक सवाल आज भी लोगों के मन में रह जाता है आखिर कुतुब मीनार के अंदर जाने पर पाबंदी क्यों है?

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    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    दिल्ली का कुतुब मीनार सिर्फ एक ऐतिहासिक स्मारक नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और स्थापत्य विरासत का एक बेहद अहम प्रतीक है. इसकी ऊँचाई, अद्भुत नक्काशी और इतिहास में गहराई से जुड़ी कहानियाँ हर साल लाखों पर्यटकों को अपनी ओर खींचती हैं. लेकिन एक सवाल आज भी लोगों के मन में रह जाता है आखिर कुतुब मीनार के अंदर जाने पर पाबंदी क्यों है? बहुत कम लोग जानते हैं कि इस ऐतिहासिक इमारत के अंदर पिछले चार दशकों से भी ज्यादा समय से आम जनता का प्रवेश वर्जित है. इसका कारण सिर्फ संरचनात्मक सुरक्षा नहीं, बल्कि एक ऐसा भयावह हादसा है जिसे याद कर आज भी रूह कांप उठती है.

    वो दिन जिसने इतिहास को झकझोर दिया

    4 दिसंबर 1981.. यह तारीख कुतुब मीनार के इतिहास में एक काले अध्याय की तरह दर्ज है. उस दिन, मीनार के भीतर लगभग 300 से ज्यादा लोग मौजूद थे, जिनमें बड़ी संख्या में स्कूली बच्चे शामिल थे. वे मीनार की 379 सीढ़ियों से होकर ऊपर चढ़ने का रोमांच महसूस कर रहे थे. तभी अचानक बिजली चली गई, और पूरा मीनार अंधेरे में डूब गया. सीढ़ियाँ बेहद संकरी और घुमावदार थीं. अंधेरे में जब बच्चों ने चीखना-चिल्लाना शुरू किया तो घबराहट में भगदड़ मच गई. लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे, धक्का-मुक्की होने लगी. वहां कोई वैकल्पिक निकास द्वार नहीं था, जिससे यह स्थिति और भी भयावह हो गई.

    45 मासूम जिंदगियों का अंत

    इस भीषण भगदड़ में 45 लोगों की जान चली गई. अधिकतर मृतक स्कूली छात्र थे, जिनकी जान दम घुटने, गिरने और कुचले जाने के कारण गई. हादसे के बाद पूरे देश में शोक की लहर फैल गई और सरकार को तत्काल कार्रवाई करनी पड़ी.

    तब से हमेशा के लिए बंद कर दिए गए दरवाज़े

    भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने इस हादसे के बाद तत्काल प्रभाव से कुतुब मीनार के अंदर आम प्रवेश पर रोक लगा दी. यह निर्णय इसलिए लिया गया ताकि भविष्य में ऐसी कोई और त्रासदी न हो. मीनार की संरचना को देखते हुए यह स्पष्ट था कि उसमें आपात स्थिति में सुरक्षित निकासी संभव नहीं है.

    क्या भविष्य में खुल सकता है कुतुब मीनार का अंदरूनी हिस्सा?

    फिलहाल इसका उत्तर ‘ना’ में है. सुरक्षा कारणों और संरचनात्मक जटिलताओं को देखते हुए ASI अब भी इस पाबंदी को हटाने के पक्ष में नहीं है. हालांकि तकनीक के सहारे अब लोग वर्चुअल टूर, 3D मॉडल और डिजिटल माध्यमों से मीनार के अंदरूनी हिस्से की भव्यता का अनुभव कर सकते हैं.

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