टॉप 10 टेक कंपनियों के CEO ने अपनी सिक्योरिटी पर खर्च किया ₹369 करोड़, अचानक क्यों बढ़ा रहे सुरक्षा?

    टेक्नोलॉजी की दुनिया में शीर्ष पर बैठे दिग्गज अब केवल अपने व्यवसाय की चिंता नहीं करते, बल्कि अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर भी सतर्क हो गए हैं.

    Why are the CEOs of top tech companies increasing their security
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ Sociel Media

    न्यूयॉर्क: टेक्नोलॉजी की दुनिया में शीर्ष पर बैठे दिग्गज अब केवल अपने व्यवसाय की चिंता नहीं करते, बल्कि अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर भी सतर्क हो गए हैं. इन उद्योगपतियों की बढ़ती सार्वजनिक प्रोफाइल, सामाजिक-राजनीतिक प्रभाव और अरबों डॉलर की संपत्ति ने उन्हें वैश्विक आलोचना और संभावित हमलों के केंद्र में ला दिया है. यही कारण है कि बड़ी टेक कंपनियां अब अपने सीईओ की निजी सुरक्षा पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही हैं.

    2024 में सुरक्षा पर ₹369 करोड़ से ज्यादा खर्च

    बीते साल यानी 2024 में दुनिया की दस सबसे बड़ी टेक फर्म्स ने अपने सीईओ और उनके परिवार की सुरक्षा पर अनुमानित ₹369 करोड़ (लगभग 45 मिलियन अमेरिकी डॉलर) से अधिक राशि खर्च की. इस राशि का सबसे बड़ा हिस्सा मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग और उनके परिवार की सुरक्षा व्यवस्था पर गया.

    मार्क जुकरबर्ग की सुरक्षा पर अकेले ₹221 करोड़ खर्च

    मेटा (पूर्व में फेसबुक) के प्रमुख मार्क जुकरबर्ग को मिलने वाली सुरक्षा अभूतपूर्व स्तर की है. 2024 में कंपनी ने जुकरबर्ग और उनके परिवार की सुरक्षा व्यवस्था पर ₹221 करोड़ (लगभग 27 मिलियन डॉलर) खर्च किए. इसमें उनके पैलो आल्टो स्थित घर की सुरक्षा, यात्रा के दौरान निजी सुरक्षा टीमों की तैनाती, हाई-टेक सर्विलांस सिस्टम और डिजिटल सुरक्षा सेवाएं शामिल हैं.

    जुकरबर्ग की सार्वजनिक प्रोफाइल और मेटा के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के कारण वे लंबे समय से जन भावनाओं, राजनीतिक आलोचनाओं और निजी हमलों के केंद्र में रहे हैं. फेसबुक पर डेटा गोपनीयता, चुनावी हस्तक्षेप और गलत सूचना फैलने जैसे गंभीर मुद्दों के चलते उनकी सुरक्षा प्राथमिकता बन चुकी है.

    इलॉन मस्क: खुद की सुरक्षा टीम, 20 गार्ड्स के साथ चलते हैं

    टेस्ला, स्पेसएक्स और एक्स (पूर्व ट्विटर) के मालिक इलॉन मस्क भी सुरक्षा के मामले में पीछे नहीं हैं. हालांकि उनके ऊपर हुए खर्च का पूरा आंकड़ा सार्वजनिक नहीं किया गया है, फिर भी 2023 में टेस्ला ने उनकी सुरक्षा पर ₹21 करोड़ खर्च किए थे.

    इलॉन मस्क अब अपनी ही एक प्राइवेट सिक्योरिटी फर्म के जरिए सुरक्षा की व्यवस्था करते हैं और उनके साथ हर समय लगभग 20 बॉडीगार्ड्स रहते हैं. उनके विवादित ट्वीट्स, वैश्विक राजनीति पर टिप्पणियां, और विभिन्न देशों के साथ टकराव जैसे कारणों से उन्हें लगातार खतरे का सामना करना पड़ता है.

    जेफ बेजोस और एनवीडिया के हुआंग की सुरक्षा भी महंगी

    अमेजन के संस्थापक जेफ बेजोस की सुरक्षा पर कंपनी हर साल लगभग ₹13 करोड़ खर्च करती है. हालांकि वे अब सीईओ नहीं हैं, लेकिन उनकी प्रोफाइल और प्रभाव अब भी वैश्विक स्तर पर बना हुआ है. मौजूदा अमेजन सीईओ एंडी जासी की सुरक्षा पर भी बजट तेजी से बढ़ रहा है.

    एनवीडिया के सीईओ जेन्सन हुआंग, जिनकी कंपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में अग्रणी है, की सुरक्षा पर 2024 में ₹29 करोड़ खर्च किए गए. उनकी 13 लाख करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति और वैश्विक एआई नीति में भूमिका उन्हें गंभीर खतरे की श्रेणी में लाती है.

    अन्य सीईओ भी हाई रिस्क पर: जेपी मॉर्गन और पेलांटिर

    बैंकिंग क्षेत्र के दिग्गज जेपी मॉर्गन चेस के सीईओ जेमी डाइमोन की सुरक्षा पर भी 2024 में ₹7.2 करोड़ खर्च किए गए. वहीं पेलांटिर टेक्नोलॉजी के सीईओ एलेक्स कार्प को इजराइल और अमेरिकी इमिग्रेशन विभाग के साथ काम करने के कारण जान से मारने की धमकियां मिलती रही हैं.

    अमेरिका में सीईओ की हत्या के बाद बढ़ा डर

    2024 में यूनाइटेड हेल्थकेयर के सीईओ ब्रायन थॉम्पसन की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. यह घटना एक बड़ा झटका साबित हुई क्योंकि सोशल मीडिया पर हमलावर को काफी समर्थन मिला था. इसने वैश्विक कॉर्पोरेट दुनिया को सुरक्षा के प्रति और ज्यादा गंभीर बना दिया.

    2025 में न्यूयॉर्क के एक ऑफिस टॉवर में हुई गोलीबारी की घटना में चार लोगों की जान गई, जिसमें हमलावर ने NFL (नेशनल फुटबॉल लीग) को निशाना बनाया था. ऐसे मामलों ने कंपनियों के लिए सुरक्षा को "कॉरपोरेट बजट" का एक स्थायी हिस्सा बना दिया है.

    सुरक्षा में डिजिटल इंटेलिजेंस और साइबर निगरानी

    अब खतरे सिर्फ हथियारबंद हमलों या किसी फिजिकल एसेस से नहीं जुड़े हैं. सोशल मीडिया पर फैलाई जाने वाली नफरत, डीपफेक तकनीक, साइबर घुसपैठ और फर्जी लेन-देन जैसी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं.

    सुरक्षा एजेंसियां अब पारंपरिक बॉडीगार्ड सेवा तक सीमित नहीं हैं. वे साइबर सुरक्षा, डिजिटल इंटेलिजेंस, सोशल मीडिया मॉनिटरिंग और डीपफेक डिटेक्शन जैसे उच्च तकनीकी उपाय भी अपना रही हैं.

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