भारत फिर से अंतरिक्ष में इतिहास रचने को तैयार है। इस बार नाम है शुभांशु शुक्ला, भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन और गगनयान मिशन के उम्मीदवार, जो जल्द ही नासा और इसरो के संयुक्त अंतरिक्ष मिशन X-4 के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की यात्रा पर निकलेंगे। इस मिशन की एक खास बात जो इसे न केवल वैज्ञानिक बल्कि सांस्कृतिक और तकनीकी रूप से भी यादगार बनाती है — वो है ओमेगा की ऐतिहासिक घड़ियां, जो अंतरिक्ष यात्रियों के साथ 1960 के दशक से साथी बनी हुई हैं।
ओमेगा की घड़ियां: सिर्फ समय नहीं, विज्ञान का प्रतीक
X-4 मिशन में दो घड़ियां दी जा रही हैं.
ओमेगा स्पीडमास्टर प्रोफेशनल मूनवॉच — यही घड़ी अपोलो मिशन के समय नील आर्मस्ट्रॉन्ग और बज़ एल्ड्रिन ने पहनी थी।
ओमेगा X-33 स्काईवॉकर — एक डिजिटल और एनालॉग हाइब्रिड, जिसे खासतौर पर अंतरिक्ष मिशनों के लिए डिजाइन किया गया है।
ये घड़ियां सिर्फ फैशन स्टेटमेंट नहीं हैं — ये -160°C से 200°C तक का तापमान, ज़ीरो ग्रैविटी, 40G तक झटके और स्पेस वैक्यूम तक को झेलने की ताकत रखती हैं। सच में, ये घड़ियां अंतरिक्ष के हर सेकंड को मापने में नासा की भरोसेमंद साथी हैं।
कौन हैं शुभांशु शुक्ला?
शुभांशु शुक्ला का जन्म 10 अक्टूबर 1985 को लखनऊ में हुआ था. उनके कैरियर की शुरुआत 2006 में इंडियन एयरफोर्स में कमीशन से हुई थी. उन्हें उड़ान का अच्छा खासा अनुभव है. वह मिग-21 से लेकर सुखोई-30 जैसे विमानों में 2000 घंटे की उड़ान भर चुके हैं. 2019 में IAF के अंतरिक्ष यात्री कार्यक्रम के लिए उनका चयन हुआ था. रूस के गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर और इसरो से प्रशिक्षण लिया है. शुक्ला भारत के उन दुर्लभ और गौरवशाली व्यक्तियों में से हैं जो देश को फिर से सितारों तक ले जा रहे हैं। राकेश शर्मा के बाद वे दूसरे भारतीय होंगे जो अंतरिक्ष में जाएंगे।
X-4 मिशन में कौन-कौन देश शामिल हैं?
Axiom Space की ओर से ऑपरेट किए जा रहें X-4 मिशन भारत, पोलैंड और हंगरी के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह तीनों देशों का चार दशकों बाद पहला सरकारी-प्रायोजित अंतरिक्ष मिशन होगा. इसमें 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग शामिल है. इस दौरान पृथ्वी विज्ञान, सूक्ष्मजीव विज्ञान, और जैव चिकित्सा पर शोध किया जाएगा. अंतरराष्ट्रीय सहयोग और तकनीकी साझेदारी का उदाहरण पेश किया जाएगा.
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