कौन-कौन से देश फिलिस्तीन को मानते हैं एक आजाद राष्ट्र? अब फ्रांस भी देगा मान्यता, देखें पूरी लिस्ट

    मध्य-पूर्व में दशकों से चला आ रहा इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष एक बार फिर वैश्विक फोकस में है, और इस बार वजह है फ्रांस का ऐतिहासिक ऐलान.

    Which countries recognize Palestine as an independent nation
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ Sociel Media

    नई दिल्ली/पेरिस: मध्य-पूर्व में दशकों से चला आ रहा इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष एक बार फिर वैश्विक फोकस में है, और इस बार वजह है फ्रांस का ऐतिहासिक ऐलान. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने स्पष्ट कर दिया है कि उनका देश जल्द ही फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र, सार्वभौमिक राष्ट्र के रूप में मान्यता देगा. यह घोषणा उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर की और बताया कि सितंबर में होने वाले संयुक्त राष्ट्र अधिवेशन के दौरान इसे औपचारिक रूप से लागू किया जाएगा.

    इस कदम के साथ फ्रांस दुनिया के सात सबसे प्रभावशाली औद्योगिक देशों के समूह G7 में ऐसा करने वाला पहला देश बन जाएगा. यह सिर्फ कूटनीतिक स्तर पर बदलाव नहीं है, बल्कि एक मजबूत वैश्विक संदेश है, जिसने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नई लहर पैदा कर दी है.

    फ्रांस की घोषणा क्यों है इतना अहम?

    फ्रांस पश्चिमी यूरोप का एक प्रमुख लोकतांत्रिक राष्ट्र है जहां दुनिया की सबसे बड़ी मुस्लिम और यहूदी आबादी एक साथ निवास करती है. मिडिल ईस्ट के किसी भी मुद्दे पर फ्रांस का निर्णय वहां की आंतरिक राजनीति और सामाजिक ताने-बाने पर गहरा प्रभाव डालता है. ऐसे में फिलिस्तीन को मान्यता देना सिर्फ एक कूटनीतिक ऐलान नहीं, बल्कि मध्य-पूर्व के प्रति फ्रांस की नीति और पश्चिमी दुनिया के भीतर बढ़ते दबाव का प्रतिबिंब है.

    इस कदम से अब यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और कनाडा जैसे अन्य G7 देश भी फ्रांस की राह पर चलेंगे? और यदि हां, तो इसका इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष पर क्या असर पड़ेगा?

    इज़राइल की तीखी प्रतिक्रिया

    जैसे ही फ्रांस की घोषणा सार्वजनिक हुई, इज़राइल की प्रतिक्रिया तेज़ और तीखी रही. प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने आरोप लगाया कि फिलिस्तीन को मान्यता देना दरअसल "आतंकवाद को पुरस्कार देने" जैसा है. उन्होंने कहा कि फिलिस्तीनी राज्य इज़राइल के साथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का माध्यम नहीं बनेगा, बल्कि उसे समाप्त करने की योजना का मंच बन जाएगा.

    नेतन्याहू का यह बयान साफ दर्शाता है कि इज़राइली सरकार फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र देश के रूप में स्वीकार करने के किसी भी वैश्विक प्रयास को अपने राष्ट्रीय हितों के खिलाफ मानती है.

    कितने देश मानते हैं फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र?

    वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से 147 देश फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र के रूप में मान्यता दे चुके हैं. यानी लगभग 75% दुनिया फिलिस्तीन को एक देश मान चुकी है. यह संख्या अपने-आप में दर्शाती है कि वैश्विक जनमत इस मुद्दे पर किस दिशा में जा रहा है.

    प्रमुख देशों की सूची:

    • एशिया: भारत, चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मलेशिया
    • अफ्रीका: नाइजीरिया, दक्षिण अफ्रीका, केन्या, अल्जीरिया, ट्यूनीशिया
    • लैटिन अमेरिका: ब्राजील, अर्जेंटीना, वेनेजुएला, क्यूबा, मेक्सिको
    • यूरोप: स्वीडन, नॉर्वे, स्पेन, आयरलैंड, स्लोवेनिया
    • मिडिल ईस्ट और अरब देश: सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, मिस्र, कतर, जॉर्डन

    इन देशों की मान्यता फिलिस्तीन की राजनीतिक वैधता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और मजबूत करती है.

    यूरोप की बदली हुई रणनीति

    फिलिस्तीन को मान्यता देने के मामले में यूरोप भी अब स्पष्ट दोराहे पर नहीं खड़ा.

    • 2014: स्वीडन बना पहला पश्चिमी यूरोपीय देश जिसने फिलिस्तीन को देश माना.
    • 2024: 22 मई को नॉर्वे, आयरलैंड और स्पेन ने एक साथ यह ऐलान किया कि वे फिलिस्तीन को 1967 की सीमाओं के आधार पर मान्यता देंगे.
    • 4 जून 2024: स्लोवेनिया भी इस सूची में जुड़ गया.
    • प्रतीक्षा में: बेल्जियम, माल्टा और कुछ अन्य यूरोपीय देश भी फिलहाल इस पर विचार कर रहे हैं.

    यानी अब यूरोप में भी यह धारणा मजबूत हो रही है कि फिलिस्तीन को संप्रभु राष्ट्र के रूप में मान्यता देना, मिडिल ईस्ट में शांति बहाली की दिशा में एक ठोस कदम है.

    G7 और अमेरिका का स्टैंड: अब तक क्यों चुप्पी?

    G7 में शामिल अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, कनाडा, जापान और इटली अब तक फिलिस्तीन को आधिकारिक रूप से स्वतंत्र देश नहीं मानते थे. हालांकि वे “Two-State Solution” यानी इज़राइल और फिलिस्तीन दोनों के सहअस्तित्व की नीति का समर्थन करते रहे हैं, लेकिन संप्रभु मान्यता से अब तक बचते आए हैं.

    फ्रांस का ये निर्णय इस लंबे संतुलन को तोड़ता नजर आता है और अब ये देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिका, जो इज़राइल का सबसे मजबूत सहयोगी है, इस पर क्या रुख अपनाता है.

    इतिहास में कब-कब मिली मान्यता?

    • 1988: फिलिस्तीनी नेता यासिर अराफात ने फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित किया. 80 से अधिक देशों ने तुरंत मान्यता दी.
    • 1993: ऑस्लो समझौता हुआ जिसमें इज़राइल और फिलिस्तीन पहली बार सीधी बातचीत की मेज पर आए, लेकिन अलग देश बनने का सपना अधूरा रह गया.
    • 2012: संयुक्त राष्ट्र महासभा ने फिलिस्तीन को "नॉन-मेंबर ऑब्जर्वर स्टेट" का दर्जा दिया.
    • 2014: स्वीडन ने पश्चिमी यूरोप से पहला देश बनकर मान्यता दी.
    • 2024: यूरोप में मान्यता की लहर तेज हो गई.

    फिलिस्तीन को मान्यता क्यों है महत्वपूर्ण?

    राजनयिक सशक्तिकरण: फिलिस्तीन को मान्यता मिलने से उसकी वैश्विक स्थिति मजबूत होती है, जिससे वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रभावी ढंग से अपनी बात रख सकता है.

    इज़राइल पर दबाव: ऐसे कदम इज़राइल को अंतरराष्ट्रीय कानून और समझौतों के प्रति जवाबदेह बनाने में भूमिका निभाते हैं.

    दो-राष्ट्र समाधान को समर्थन: यह मान्यता इस विचार को सशक्त करती है कि इज़राइल और फिलिस्तीन को अलग-अलग, स्वतंत्र रूप से अस्तित्व में रहना चाहिए.

    गाज़ा संकट पर वैश्विक संकेत: ऐसे निर्णय दुनिया के इस संदेश को मजबूती देते हैं कि नागरिकों पर अत्याचार और युद्ध की राजनीति अब स्वीकार नहीं की जा सकती.

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