उत्तराखंड में धामी सरकार की एक योजना सीमांत किसानों को आत्मनिर्भर बना रही है. इस योजना की मदद से छोटे किसानों ने बड़ा कारनामा कर दिखाया है. इसकी वजह से राज्य के 253 किसानों ने 5 महीने में मोटी कमाई की है. उत्तराखंड के दुर्गम सीमावर्ती क्षेत्रों में अब देश की रक्षा करने वाले जवानों को ताजा मटन, चिकन और मछली की आपूर्ति पहाड़ के अपने ही किसानों से मिल रही है. यह सब संभव हो पाया है सीएम पुष्कर सिंह धामी की उस पहल से, जिसमें उन्होंने स्थानीय किसानों को भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) से सीधे जोड़ा.
253 किसानों ने कमाए 2.6 करोड़ रुपये
पहले जहां आईटीबीपी को ताजा खाद्य आपूर्ति के लिए बड़े शहरों पर निर्भर रहना पड़ता था। वहीं अब राज्य के चार सीमावर्ती जिलों पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी और चंपावत के किसान सीधे आईटीबीपी को अपनी उपज पहुंचा रहे हैं. अक्टूबर 2024 में विधिवत अनुबंध होने के बाद, महज पांच महीनों में 253 किसानों ने कुल 2.6 करोड़ रुपये की कमाई की है. धामी सरकार की इस योजना ने पहाड़ों में एक नई आर्थिक ऊर्जा फूंकी है.
इस योजना ने पलायन रोकने में मदद की - CM धामी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि इस योजना ने सीमावर्ती किसानों की आय बढ़ाई है और गांवों से हो रहे पलायन पर भी रोक लगाने में मदद की है. साथ ही, यह पहल देश की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने में भी एक अहम कड़ी बन गई है.
24 घंटे के अंदर किया जा रहा किसानों को भुगतान
पशुपालन विभाग के सचिव डॉ. बी.वी.आर.सी. पुरुषोत्तम ने बताया कि किसानों को उनकी आपूर्ति का भुगतान 24 घंटे के भीतर डीबीटी के ज़रिए कर दिया जा रहा है. इसके लिए विभाग ने 5 करोड़ रुपये का रिवॉल्विंग फंड भी तैयार किया है. सालाना 800 मीट्रिक टन आपूर्ति के लक्ष्य के साथ, इस योजना से किसानों को करीब 20 करोड़ रुपये का कारोबार मिलने की उम्मीद है.
सरकार की योजना से किसानों में खुशी
स्थानीय किसान भी इस पहल से काफी उत्साहित हैं. पिथौरागढ़ के बरालू गांव के नरेंद्र प्रसाद हर महीने लगभग 16 क्विंटल चिकन की आपूर्ति करते हैं, जिसमें से तीन क्विंटल आईटीबीपी को जाता है. वहीं, देवदर गांव के प्रकाश कोहली ने जनवरी 2025 से 11 क्विंटल बकरी की आपूर्ति कर 50 हजार रुपये का मुनाफा कमाया है.
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