अयोध्या में दीपों की जगमगाहट के बीच CM योगी का विपक्ष पर वार, बोले- सपा ने राम मंदिर भक्तों पर चलाई थी गोलियां

    अयोध्या की पावन धरती एक बार फिर दीपों की रोशनी से जगमगा उठी. छोटी दिवाली के उपलक्ष्य में आयोजित दीपोत्सव ने सरयू घाट को एक दिव्य दृश्य में बदल दिया, जहां हजारों दीयों की चमक ने श्रद्धा और आस्था का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया.

    Uttar Pradesh CM Yogi Prays at barber tomb attacked on sp and congress
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    अयोध्या की पावन धरती एक बार फिर दीपों की रोशनी से जगमगा उठी. छोटी दिवाली के उपलक्ष्य में आयोजित दीपोत्सव ने सरयू घाट को एक दिव्य दृश्य में बदल दिया, जहां हजारों दीयों की चमक ने श्रद्धा और आस्था का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया. इस भव्य आयोजन में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने भी भाग लिया.

    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दीपोत्सव के दौरान अपने संबोधन में अयोध्या की धार्मिक और सांस्कृतिक गरिमा को रेखांकित करते हुए इसे “सप्तपुरियों में प्रथम” बताया. उन्होंने कहा कि यहां की मिट्टी में मर्यादा है और जन-जन के ह्रदय में प्रभु श्रीराम का वास है.

    राजनीतिक मंच पर राम और आस्था की गूंज

    हालांकि दीपों की रोशनी के इस उत्सव में राजनीति की गरमाहट भी दिखी. सीएम योगी ने अपने भाषण में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा, “आज जब अयोध्या दीपों से सजी है, हमें यह याद रखना चाहिए कि एक समय ऐसा भी था जब इन्हीं अयोध्या की धरती पर रामभक्तों पर गोलियां चलाई गई थीं.” उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर यह दावा किया गया कि भगवान राम एक काल्पनिक पात्र हैं. वहीं समाजवादी पार्टी पर उन्होंने आरोप लगाया कि उसके शासनकाल में अयोध्या में राम भक्तों को गोली का सामना करना पड़ा.

    ‘राम मंदिर विरोधियों’ पर सख्त टिप्पणी

    मुख्यमंत्री ने कहा कि वही राजनीतिक दल जो बाबर की कब्र पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, वे राम मंदिर के उद्घाटन जैसे ऐतिहासिक अवसरों पर आमंत्रण स्वीकार करने से इनकार कर देते हैं. उन्होंने कहा, “इन लोगों ने मंदिर निर्माण के विरोध में अदालतों में वकीलों की पूरी फौज उतार दी थी, ताकि राम मंदिर का रास्ता रोका जा सके.” उन्होंने यह भी जोड़ा कि राम मंदिर सिर्फ एक निर्माण नहीं है, बल्कि यह 500 वर्षों के संघर्ष, बलिदान और आस्था का प्रतीक है. “यह मंदिर हमारी सभ्यता, संस्कृति और आत्मा का जीवंत स्वरूप है, जो आने वाली पीढ़ियों को हमारी सनातन परंपरा से जोड़ता रहेगा.”

    बाबर की कब्र को लेकर उठे सवाल

    सीएम योगी के वक्तव्य के बाद यह चर्चा भी तेज हो गई कि बाबर की कब्र आखिर कहां है और भारतीय नेता वहां क्यों जाते रहे हैं. इतिहास के पन्नों में दर्ज है कि मुगल शासक बाबर की कब्र भारत में नहीं, बल्कि अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के ‘बाग-ए-बाबर’ में स्थित है. इसे अफगान सरकार ने राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा दिया हुआ है और हर साल अनेक विदेशी प्रतिनिधि, जिनमें भारतीय नेता भी शामिल रहे हैं, यहां श्रद्धांजलि अर्पित करने जाते रहे हैं. पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह की आत्मकथा One Life is Not Enough में इस बात का ज़िक्र है कि नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और राहुल गांधी तक, कई कांग्रेसी नेता अफगान सरकार के निमंत्रण पर बाबर की कब्र पर गए थे.मुख्यमंत्री ने अंत में कहा, “हर दीप हमें यह सिखाता है कि सत्य को दबाया तो जा सकता है, लेकिन पराजित नहीं किया जा सकता. सत्य की विजय अनिवार्य है. राम मंदिर उसी सत्य का प्रतीक है, जिसके लिए सदियों तक संघर्ष किया गया.”

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