UP News: उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (UP STF) ने साइबर अपराधों की बढ़ती घटनाओं के बीच एक बड़ी सफलता हासिल की है. एसटीएफ ने रविवार को एक रिटायर्ड वैज्ञानिक से 1 करोड़ 29 लाख रुपये की ठगी करने वाले गिरोह के दो और सदस्यों को गिरफ्तार किया. इस मामले में पहले ही गिरोह के चार सदस्य गिरफ्तार किए जा चुके हैं, और अब एसटीएफ ने इस गिरोह का पर्दाफाश करने में और भी तेजी दिखाई है.
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान
गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान प्रदीप कुमार सिंह और महफूज के रूप में हुई है. प्रदीप एक कंपनी का डायरेक्टर है और दोनों आरोपियों का संबंध बरेली के भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) के रिटायर्ड वैज्ञानिक शुकदेव नंदी से ठगी के मामले में था.
कैसे हुई ठगी?
गैंग के सदस्य खुद को सीबीआई अधिकारी बताकर रिटायर्ड वैज्ञानिक शुकदेव नंदी से संपर्क करते थे और उन्हें ‘डिजिटल अरेस्ट’ की धमकी देते थे. तीन दिनों तक नंदी को इस फर्जी गिरफ्तारी का सामना करना पड़ा, जिसके दौरान आरोपियों ने नंदी से अलग-अलग बैंक खातों में कुल 1 करोड़ 29 लाख रुपये ट्रांसफर करवा लिए.
डिजिटल अरेस्ट का धंधा
एसटीएफ की पूछताछ में प्रदीप कुमार सिंह ने बताया कि गैंग ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ का रूपांतरण एक व्यापार के रूप में किया था. वह नंदी के खाते से पैसे ट्रांसफर कराते थे और फिर उस पैसे को निकालकर दूसरे गैंग के सदस्यों को दे देते थे. इसके बदले में प्रदीप को कमीशन मिलता था. प्रदीप ने यह भी बताया कि शुकदेव नंदी के खाते से 1.29 करोड़ रुपये ट्रांसफर कराने के बदले अब तक उसे 871 अमेरिकी डॉलर का कमीशन मिल चुका था, जबकि बाकी कमीशन बाकी था.
एसटीएफ की कार्रवाई जारी
यूपी एसटीएफ इस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है और गिरोह के बाकी सदस्यों की तलाश कर रही है. इस ठगी के तरीके से जूझ रहे साइबर अपराधी अब तक कई लोगों को अपना शिकार बना चुके हैं. एसटीएफ के अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए आम जनता को ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है और किसी भी अज्ञात व्यक्ति को अपनी निजी जानकारी या बैंक डिटेल्स नहीं देनी चाहिए.
साइबर ठगी से बचने के टिप्स
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