Unique Village in India: जब दुनिया भर में चमगादड़ों को बीमारी और अशुभता का प्रतीक माना जाता है, वहीं भारत के एक गांव में इन्हें पूजनीय देवता का दर्जा दिया गया है. यह अनोखी परंपरा न सिर्फ हैरान करती है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विविधता की झलक भी पेश करती है.
वैशाली का सरसई गांव: जहां चमगादड़ हैं ग्राम देवता
बिहार के वैशाली जिले में स्थित सरसई गांव का नाम आज देशभर में चर्चित है, लेकिन इसकी पहचान किसी ऐतिहासिक किले या महल से नहीं, बल्कि हजारों की संख्या में बसे चमगादड़ों से है. यहां के लोग इन्हें ग्राम देवता मानते हैं और श्रद्धा से पूजा करते हैं.
समृद्धि और सुरक्षा के प्रतीक माने जाते हैं चमगादड़
सरसई गांव के लोगों का मानना है कि जहां चमगादड़ वास करते हैं, वहां कभी धन की कमी नहीं होती. यही नहीं, ये गांव के रक्षक भी हैं. लोगों का दावा है कि यदि रात को कोई बाहरी व्यक्ति गांव में दाखिल होता है तो चमगादड़ शोर मचाने लगते हैं, जबकि गांव वालों को पहचान कर चुपचाप रहते हैं.
धार्मिक आस्था और पर्यावरण का मेल
गांव के पास मौजूद तालाब और पुराने पेड़ों पर बसे ये चमगादड़, तालाब के किनारे बने प्राचीन शिवालय और हरियाली के साथ एक आध्यात्मिक वातावरण बनाते हैं. यह तालाब साल 1402 में राजा शिव सिंह द्वारा बनवाया गया था और आज भी गांववालों की धार्मिक आस्था का केंद्र बना हुआ है.
पर्यटकों की भी बढ़ी दिलचस्पी
सरसई गांव अब पर्यटन का केंद्र बनता जा रहा है. यहां चमगादड़ों की अनोखी पूजा देखने के लिए देशभर से लोग आते हैं. गांववाले इनकी पूजा के साथ-साथ सुरक्षा का भी पूरा ध्यान रखते हैं और यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है.
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