हवा में हुकूमत की जंग! रूस और यूक्रेन युद्ध में नया मोड़, ट्रंप कूदे तो बढ़ गई जेलेंस्की की पावर; जानें कैसे?

    Russia and Ukraine: रूस और ईरान के बीच ड्रोन निर्माण में हो रही तेज़ी के बीच, अब अमेरिका भी इस युद्ध तकनीकी दौड़ में कूद पड़ा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी सहयोगी और विदेश मंत्री पीट हेगसेथ ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण घोषणा की.

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    Russia and Ukraine: रूस और ईरान के बीच ड्रोन निर्माण में हो रही तेज़ी के बीच, अब अमेरिका भी इस युद्ध तकनीकी दौड़ में कूद पड़ा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी सहयोगी और विदेश मंत्री पीट हेगसेथ ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण घोषणा की, जिसके तहत अमेरिका अब युद्ध में अपनी ड्रोन ताकत बढ़ाने के लिए 'यूएस ड्रोन डोमिनेंस प्लान' पर काम करेगा. इसका मतलब है कि अमेरिका अब युद्ध के मैदान में अपनी पूरी ताकत से ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल करेगा और अपनी ड्रोन क्षमता को दुनिया में सबसे बेहतर बनाने के लिए उत्पादन में तेजी लाएगा.

    ड्रोन डोमिनेंस प्लान क्या है

    इस नई योजना के तहत, अमेरिका 'मेड इन अमेरिका' ड्रोन पर जोर देगा. इससे न केवल तेज़ मंजूरी और उत्पादन प्रक्रिया में सुधार होगा, बल्कि अत्याधुनिक तकनीकों जैसे हाई-टेक सेंसर, एआई और लंबी दूरी वाले वारहेड से लैस ड्रोन तैयार किए जाएंगे. यह फैसला खास तौर पर ट्रंप प्रशासन की नज़र में अमेरिका की ड्रोन तकनीकी में पिछड़ने के खतरों को देखते हुए लिया गया है. अमेरिका मानता है कि ड्रोन युद्ध की यह बढ़ती शक्ति उसकी रक्षा नीति का अहम हिस्सा बननी चाहिए.

    क्यों है यह कदम जरूरी?

    रूस और ईरान ने संयुक्त रूप से कई प्रभावी और सस्ते ड्रोन विकसित किए हैं, जिनका उपयोग यूक्रेन और सीरिया में पहले ही युद्ध में हो चुका है. इन ड्रोन का युद्ध में प्रभाव अमेरिका के लिए एक गंभीर रणनीतिक खतरा बनता जा रहा है. अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ड्रोन युद्ध अब सिर्फ भविष्य का विषय नहीं, बल्कि वर्तमान युद्धों का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है. ऐसे में, अमेरिका के लिए यह आवश्यक हो गया था कि वह अपनी ड्रोन क्षमता को बढ़ाए और अपनी रक्षा नीति में नई दिशा दे.

    ट्रंप प्रशासन का उद्देश्य

    ट्रंप प्रशासन का उद्देश्य अब दुनिया की सबसे बड़ी और प्रभावी ड्रोन शक्ति बनना है. यह ड्रोन डोमिनेंस प्लान न केवल अमेरिकी रक्षा क्षेत्र को एक नई दिशा देगा, बल्कि यह घरेलू उद्योग, रोज़गार और तकनीकी क्षेत्र को भी सशक्त बनाएगा. इसके अलावा, अमेरिका का यह कदम उसे भविष्य के युद्धों में अग्रणी बनाकर एक नई स्थिति में खड़ा कर सकता है. यह निश्चित तौर पर संकेत है कि आने वाले समय में युद्ध की शैली बदलने वाली है, और यह युद्ध शायद टैंकों से नहीं, बल्कि आकाश से उड़ते ड्रोन और रोबोटों से लड़ा जाएगा.

    क्या है इसका वैश्विक असर?

    रूस-ईरान गठबंधन ने ड्रोन तकनीक में अपना दबदबा बना लिया है और अमेरिका का यह कदम उस दबदबे को चुनौती देने का संकेत है. अब अमेरिका युद्ध के मैदान में सिर्फ एक दर्शक नहीं रहेगा, बल्कि वह खुद भी मुकाबले में उतरने के लिए तैयार है. यह कदम युद्ध के नज़रों को एक नई दिशा देगा, जिसमें ड्रोन और उन्नत तकनीक का इस्तेमाल होगा.

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