ब्रिटेन की एक बड़ी लापरवाही ने 1 लाख से अधिक अफगान नागरिकों की सुरक्षा को गंभीर संकट में डाल दिया है. ब्रिटिश सरकार ने उन अफगान नागरिकों की गोपनीय जानकारी लीक कर दी, जिन्होंने वर्षों तक ब्रिटिश सेना और खुफिया एजेंसियों के लिए काम किया था. यह लीक डेटा तालिबान के हाथ लगने की आशंका को जन्म दे रहा है, जिससे इन लोगों की जान को भारी खतरा हो सकता है.
गोपनीय लिस्ट की लापरवाह लीक
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटिश सरकार ने अफगान नागरिकों की व्यक्तिगत जानकारी को गलत तरीके से लीक कर दिया, जिसके कारण अब कई लोग तालिबान के निशाने पर हैं. हाल के दिनों में तीन हत्याएं भी हो चुकी हैं, जिनका सीधा संबंध ब्रिटेन से जुड़ा था. मंगलवार को इन अफगान नागरिकों को सरकार की तरफ से एक 'सॉरी' नोट भेजा गया, जिसमें बताया गया कि उनका निजी डेटा लीक हो गया है. यह घटना ब्रिटेन के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी डेटा चूक मानी जा रही है. इस गलती के कारण 1 लाख से अधिक अफगान नागरिकों की जान खतरे में है.
तालिबान का बढ़ता खतरा
अफगान नागरिकों का कहना है कि अगर तालिबान के पास वह लिस्ट पहुंच गई है, तो हत्याओं का सिलसिला और तेज हो सकता है. एक अफगान सैनिक, जो ब्रिटेन भागकर सुरक्षित हुआ था, ने बताया कि उसके भाई को इसलिए मारा गया क्योंकि तालिबान को पता था कि वह ब्रिटेन से जुड़ा था. इसके बाद से अफगान नागरिकों में भय का माहौल है. यदि तालिबान के हाथ में पूरी लिस्ट पहुंची तो भविष्य में और भी हत्याएं हो सकती हैं. इस स्थिति का जिम्मेदार ब्रिटेन सरकार को ठहराया जा रहा है.
300 से ज्यादा हत्याएं हुईं, ब्रिटेन ने चुप्पी साधी
ब्रिटेन की इस चूक के बाद डेली मेल ने 300 से ज्यादा हत्याओं का डोज़ियर देखा, जिसमें वे लोग शामिल थे जिन्होंने ब्रिटिश सरकार की अफगान पुनर्वास योजना (ARAP) के तहत आवेदन किया था. कर्नल शफीर अहमद खान, जो ब्रिटिश सेना के साथ काम कर चुके थे, को मई 2022 में उनके घर के बाहर गोली मार दी गई. इसके अलावा, कमांडो अहमदजई और सैनिक कासिम की भी हत्या की गई. इस घटनाक्रम ने ब्रिटेन सरकार की गंभीर लापरवाही को उजागर किया है.
ब्रिटेन सरकार की खामोशी और सांसदों का विरोध
तालिबान द्वारा अफगान नागरिकों की हत्याओं के बीच ब्रिटिश सरकार ने 'ऑपरेशन रूबिफिक' नामक एक गुप्त निकासी अभियान चलाया, जिसके तहत अगस्त 2023 से अब तक 18,500 अफगान नागरिकों को ब्रिटेन लाया गया. कुल 23,900 अफगान नागरिकों को ब्रिटेन लाने की योजना थी, लेकिन 75,000 अफगान नागरिक अभी भी वहीं फंसे हुए हैं. इन लोगों को केवल "सुरक्षा संबंधी सुझाव" दिए गए, परंतु उन्हें कोई ठोस मदद नहीं मिल पाई.
यह पूरी घटना ब्रिटेन सरकार के लिए शर्मनाक साबित हो रही है, क्योंकि उन्होंने इस मामले को पहले सार्वजनिक नहीं किया. डेली मेल ने इस मुद्दे को अदालत में दो साल तक लड़ा, जिसके बाद यह जानकारी सार्वजनिक हो पाई. अब ब्रिटिश संसद में इस पर हंगामा मच चुका है. तीन संसदीय जांच शुरू हो चुकी हैं और सांसद यह सवाल कर रहे हैं कि सरकार ने इस बारे में पहले क्यों नहीं बताया.
सांसदों का सवाल: सरकार ने 7 अरब पाउंड क्यों मंजूर किए?
ब्रिटेन सरकार ने अक्टूबर में बिना किसी बहस के 7 अरब पाउंड (लगभग ₹75,000 करोड़) खर्च करने की मंजूरी दे दी थी. यह कदम बेहद चौंकाने वाला था, खासकर जब ब्रिटेन सरकार अफगान नागरिकों के लिए जरूरी कदम उठाने में असफल रही है. अब संसद में इस मामले को लेकर तीखी आलोचना हो रही है और सरकार से इस घोटाले पर स्पष्ट जवाब मांगा जा रहा है.
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