पाकिस्तान के सपोर्ट में बहुत उछल रहा था तुर्की, अब भारत से हर दिन मिल रही करोड़ों की चोट

    भारतीयों ने तुर्की के खिलाफ बायकॉट का अभियान शुरू कर दिया है, जिससे तुर्की को टूरिज्म, डेस्टिनेशन वेडिंग, व्यापार और फल निर्यात जैसे कई क्षेत्रों में भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

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    File Image Source ANI

    Boycott Turkey: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में कई बदलावों को जन्म दिया है. खासकर जब तुर्की ने पाकिस्तान के पक्ष में बयान दिया, तो इसका असर भारत-तुर्की संबंधों पर स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है. तुर्की के इस रुख से भारतीय आमजन में असंतोष गहराया है और सोशल मीडिया से लेकर पर्यटन व व्यापार तक इसका असर महसूस हो रहा है. भारतीयों ने तुर्की के खिलाफ बायकॉट का अभियान शुरू कर दिया है, जिससे तुर्की को टूरिज्म, डेस्टिनेशन वेडिंग, व्यापार और फल निर्यात जैसे कई क्षेत्रों में भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

    वेडिंग इंडस्ट्री पर संकट

    तुर्की भारतीय अमीर वर्ग के लिए एक प्रमुख वेडिंग डेस्टिनेशन रहा है. हर साल तुर्की में आयोजित होने वाली हाई-प्रोफाइल भारतीय शादियों से उसे करीब 140 मिलियन डॉलर की आमदनी होती थी. लेकिन मई 2025 तक की जानकारी के अनुसार, इस साल की 50 शादियों में से लगभग 30 रद्द हो चुकी हैं. एक शादी पर औसतन 25 करोड़ रुपये खर्च होते हैं, जिससे अनुमान है कि अकेले डेस्टिनेशन वेडिंग सेक्टर में ही तुर्की को लगभग 770 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है.

    पर्यटन उद्योग को करारा झटका

    भारतीय पर्यटक तुर्की के लिए एक अहम बाज़ार रहे हैं. लेकिन हालिया घटनाक्रम के बाद भारतीयों ने तुर्की की यात्रा से दूरी बना ली है. उत्तर प्रदेश से ही करीब 2000 करोड़ रुपये के टूर पैकेज रद्द हुए हैं. EaseMyTrip और MakeMyTrip जैसी कंपनियों ने भी बताया है कि तुर्की के लिए बुकिंग में भारी गिरावट आई है — MakeMyTrip पर 250% से अधिक टूर पैकेज रद्द हुए हैं, वहीं EaseMyTrip पर यह आंकड़ा 22% से अधिक है. इससे तुर्की की 2025 में पर्यटन से होने वाली अनुमानित 300 मिलियन डॉलर की आमदनी पर बुरा असर पड़ सकता है.

    व्यापार पर भी दिखा असर

    तुर्की से भारत को भेजे जाने वाले सेब भी इस बायकॉट की चपेट में आ गए हैं. तुर्की हर साल भारत को सैकड़ों करोड़ रुपये के सेब निर्यात करता है. वित्तीय वर्ष 2023-24 में यह आंकड़ा 821 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था. लेकिन अब डिमांड में 50% तक की गिरावट दर्ज की गई है, जिससे यह व्यापारिक संबंध खतरे में पड़ गए हैं. तुर्की के किसानों और निर्यातकों को अब अपने उत्पाद घरेलू बाजार में खपाने की चुनौती का सामना करना पड़ सकता है.

    क्या तुर्की बदलेगा अपना रुख?

    भारत में तुर्की के खिलाफ गहराता रोष सिर्फ आम लोगों तक सीमित नहीं है, इसका असर व्यवसायिक फैसलों में भी साफ दिखने लगा है. अगर यही स्थिति जारी रही, तो तुर्की को आने वाले महीनों में पर्यटन, व्यापार और वेडिंग इंडस्ट्री में अरबों रुपये का नुकसान झेलना पड़ सकता है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि तुर्की सरकार अपने रुख में कोई बदलाव लाती है या नहीं.

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