आदि कैलाश की यात्रा होगी आसान, 5.4KM की सुरंग से घटेगी 22KM की दूरी, खर्च होंगे 1600 करोड़

    उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में जल्द ही एक नई सुरंग बनने जा रही है, जो कि धार्मिक यात्रा के साथ-साथ सामरिक दृष्टि से भी अहम साबित होगी. केंद्रीय सरकार ने इस सुरंग के निर्माण की मंजूरी दी है, जो बुंदी और गर्ब्यांग के बीच 5.4 किलोमीटर लंबी होगी.

    tunnel on the Pithoragarh Adi Kailash Om Parvat Yatra
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    उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में जल्द ही एक नई सुरंग बनने जा रही है, जो कि धार्मिक यात्रा के साथ-साथ सामरिक दृष्टि से भी अहम साबित होगी. केंद्रीय सरकार ने इस सुरंग के निर्माण की मंजूरी दी है, जो बुंदी और गर्ब्यांग के बीच 5.4 किलोमीटर लंबी होगी. इससे यात्रा मार्ग में 22 किलोमीटर की कमी आएगी और समय भी बचेगा. साथ ही, इसके निर्माण से क्षेत्रीय विकास को भी नया आकार मिलेगा.

    सुरंग से यात्रा होगी सुगम और सुरक्षित

    पिथौरागढ़ में बनने वाली यह सुरंग आदि कैलाश और ओम पर्वत की यात्रा को और भी सुगम और सुरक्षित बनाएगी. केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री अजय टम्टा ने इस सुरंग के निर्माण की घोषणा करते हुए बताया कि यह छियालेख पहाड़ी के पास बनेगी, जहां सड़क की हालत काफी खराब है. बड़े वाहनों को इस रास्ते से गुजरने में कठिनाई होती है, लेकिन सुरंग बनने के बाद इन समस्याओं का समाधान हो जाएगा. इससे न केवल धार्मिक पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी, बल्कि स्थानीय लोगों को भी बड़ी राहत मिलेगी.

    1600 करोड़ रुपये की लागत से क्षेत्र में विकास

    कैलाश मान सरोवर और आदि कैलाश की यात्रा मार्ग पर लगभग 1600 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. इस परियोजना से न केवल यात्रा का रास्ता छोटा होगा, बल्कि समय की भी बचत होगी. पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय समुदाय की जीवनशैली में भी सुधार होगा. इसके अलावा, इस सुरंग का निर्माण सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह चीन और नेपाल सीमा के पास स्थित इलाकों तक पहुंच को आसान बनाएगा, जिससे सीमा सुरक्षा और सेना की तैनाती में भी सुविधा होगी.

    धारचूलालिपुलेख सड़क परियोजना की प्रगति

    अजय टम्टा ने अपने दौरे के दौरान यह भी बताया कि धारचूला से लिपुलेख तक की सड़क निर्माण परियोजना का करीब 90% काम पूरा हो चुका है. हालांकि, छियालेख का हिस्सा अभी भी एक चुनौती बना हुआ है, जहां सड़क की हालत खतरनाक ढलानों और तीखे मोड़ों के कारण दुरुस्त नहीं है. यहां के 27 मोड़ों में से कुछ लगभग 90 डिग्री के हैं, जो बरसात के मौसम में भूस्खलन और मलबा गिरने की वजह से सड़क को बंद कर देते हैं. ऐसे में सुरंग बनने से इन दिक्कतों का समाधान होगा और यात्रा सुगम हो जाएगी.

    भूमि अधिग्रहण और मुआवजा वितरण

    सुरंग निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. सरकार ने प्रभावित लोगों के मुआवजे के रूप में 137 करोड़ रुपये का बजट तय किया है, जिसमें से लगभग 60 प्रतिशत राशि पहले ही प्रभावित परिवारों के खातों में भेजी जा चुकी है. परियोजना का विस्तृत रिपोर्ट (DPR) लगभग तैयार है, और जल्द ही काम शुरू होगा.

    सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण

    यह सुरंग सिर्फ यात्रियों के लिए ही नहीं, बल्कि सामरिक दृष्टि से भी बेहद अहम है. सुरंग का मार्ग चीन और नेपाल की सीमा के पास स्थित है, जहां भारतीय सेना, आईटीबीपी (Indo-Tibetan Border Police), और एसएसबी (Sashastra Seema Bal) की तैनाती होती है. सुरंग बनने से इन सीमांत इलाकों तक पहुंच आसान हो जाएगी, जिससे सीमा सुरक्षा को बेहतर किया जा सकेगा और त्वरित सैन्य आपरेशन को भी सुनिश्चित किया जा सकेगा.

    स्थानीय लोगों के लिए एक बड़ा वरदान

    सुरंग बनने से पिथौरागढ़ के दूरदराज इलाकों जैसे गर्ब्यांग, गुंजी, नाबी और कुटी गांवों के लोग भी फायदा उठाएंगे. यह सुरंग इन गांवों को मुख्य मार्गों से जोड़ने का कार्य करेगी, जिससे स्थानीय लोगों को अस्पतालों, बाजारों और स्कूलों तक पहुंचने में आसानी होगी. इस परियोजना से धार्मिक स्थलों, जैसे आदि कैलाश और ओम पर्वत, तक यात्रियों की संख्या में भी बढ़ोतरी होगी, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा.

    उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्रों में विकास की नई उम्मीद

    यह सुरंग परियोजना उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्रों में विकास का एक नया दौर लेकर आएगी. इसके निर्माण से न केवल स्थानीय जीवन में सुधार होगा, बल्कि यह उत्तराखंड को एक नया पहचान भी दिलाएगा. सरकार की यह पहल धार्मिक पर्यटन के अलावा स्थानीय जनता के लिए भी कई फायदों का रास्ता खोलेगी.

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