अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और 2025 के चुनावी दौड़ में शामिल डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपने बयान से राजनीतिक और कानूनी बहस को हवा दे दी है. ट्रंप ने अब ऐसे अमेरिकी नागरिकों को देश से बाहर निकालने की वकालत की है जो गंभीर आपराधिक गतिविधियों में शामिल पाए गए हैं — चाहे वे अमेरिका में ही जन्मे क्यों न हों.
फ्लोरिडा में प्रवासी केंद्र के दौरे पर दिया बयान
मंगलवार, 1 जुलाई को फ्लोरिडा में एक प्रवासी हिरासत केंद्र के दौरे के दौरान ट्रंप ने कहा कुछ लोग जो अमेरिका में ही पैदा हुए हैं, उन्होंने ऐसे अपराध किए हैं जिन्हें माफ नहीं किया जा सकता. जैसे किसी को बेसबॉल बैट से पीटना. ऐसे अपराधियों को देश से डिपोर्ट किया जाना चाहिए. ट्रंप ने इस नीति को अपनी संभावित अगली सरकार के एजेंडे का हिस्सा बताया और कहा कि अमेरिका को अपराध मुक्त बनाना उनकी प्राथमिकता रहेगी.
संविधान और कानून से टकराता ट्रंप का विचार
वर्तमान अमेरिकी संविधान के अनुसार, जन्म से नागरिकता प्राप्त करने वाले किसी व्यक्ति को देश से निर्वासित नहीं किया जा सकता जब तक कि यह साबित न हो जाए कि उसने नागरिकता धोखाधड़ी से हासिल की है. ऐसे में ट्रंप का यह बयान संवैधानिक प्रावधानों से सीधे टकराता है. मानवाधिकार संगठनों और कानूनी विशेषज्ञों ने ट्रंप की इस सोच को न सिर्फ असंवैधानिक बताया है बल्कि इसे लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खतरा करार दिया है.
न्यूयॉर्क घटनाओं का दिया हवाला
ट्रंप ने न्यूयॉर्क शहर की घटनाओं का उदाहरण देते हुए कहा कि हाल ही में वहां कई "जानबूझकर की गई हिंसक घटनाएं" हुई हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि ये कोई हादसे नहीं थे, बल्कि सुनियोजित हमले थे. ऐसे लोगों को अमेरिका में रहने का हक नहीं है, चाहे वे यहीं जन्मे हों.”
राजनीतिक एजेंडे और चुनावी रणनीति
ट्रंप का यह बयान एक बार फिर उनके "कानून-व्यवस्था" पर केंद्रित चुनावी एजेंडे को उजागर करता है. इससे पहले भी वे अवैध प्रवासियों और अपराधियों के खिलाफ कड़े रुख के लिए चर्चा में रहे हैं. लेकिन इस बार उन्होंने देश में जन्मे नागरिकों को भी डिपोर्ट करने की बात कहकर नया विवाद खड़ा कर दिया है. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि यदि यह नीति लागू की जाती है, तो यह अमेरिका की लोकतांत्रिक और संवैधानिक जड़ों पर सीधा प्रहार होगा.
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