नई दिल्ली: इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) की पहचान ही दमदार ऑलराउंडर्स की मौजूदगी रही है — वे खिलाड़ी जो एक हाथ में बल्ला और दूसरे में गेंद लेकर मैच की दिशा पलट देते हैं. लेकिन 2025 के सीज़न ने इस सोच को नया मोड़ दिया है. आंकड़े बताते हैं कि इस बार ऑलराउंडर्स की प्रभावशीलता में खासी गिरावट आई है, और इसकी सबसे बड़ी वजह है इम्पैक्ट प्लेयर नियम.
ऑलराउंडर्स IPL की जान हुआ करते थे
पिछले कई सीज़न ऐसे रहे हैं जहां ऑलराउंडर्स ने अपने दम पर टीमों को ट्रॉफी जिताई. 2023 में रवींद्र जडेजा ने आखिरी दो गेंदों में 10 रन बनाकर चेन्नई को चैंपियन बना दिया था, वहीं 2024 में कोलकाता की जीत में सुनील नरेन ने 488 रन और 17 विकेट लेकर अहम भूमिका निभाई थी.
लेकिन इस बार आंकड़े हैरान करने वाले
ये गिरावट महज़ एक संयोग नहीं है, बल्कि बदलती रणनीति और नियमों का नतीजा है.
इम्पैक्ट प्लेयर रूल का असर?
इम्पैक्ट प्लेयर रूल की शुरुआत ने IPL के संतुलन को नया आयाम दिया है. इस नियम के तहत टीमें मैच के दौरान एक खिलाड़ी को बाहर करके उसकी जगह किसी स्पेशलिस्ट बैटर या बॉलर को शामिल कर सकती हैं. इससे मैच की रणनीति और टीम कॉम्बिनेशन पूरी तरह बदल गया है.
इस वजह से मल्टी-स्किल्ड खिलाड़ियों की अहमियत घट गई है, और यह सीधा असर ऑलराउंडर्स के प्रदर्शन और चयन पर पड़ रहा है.
कोचेस की राय: नई व्यवस्था, नई मुश्किलें
राजस्थान रॉयल्स के कोच राहुल द्रविड़ ने इस बदलाव को लेकर चिंता जताई है.
"पहले सिर्फ 11 खिलाड़ियों के चयन से ऑलराउंडर्स को ज्यादा मौके मिलते थे. अब वे सीमित हो गए हैं क्योंकि टीमों को मैच के दौरान अपने प्लान को बदलने का विकल्प मिल गया है."
मुंबई इंडियंस के कोच महेला जयवर्धने ने भी मिलती-जुलती बात कही, "इम्पैक्ट प्लेयर नियम से कुछ खास ऑलराउंडर्स को ही जगह मिल रही है, बाकी प्रतिभाएं मौका ही नहीं पा रहीं."
क्या खत्म हो जाएगा ऑलराउंडर का युग?
यह कहना जल्दबाजी होगी कि ऑलराउंडर्स का दौर समाप्त हो गया है. लेकिन इतना जरूर है कि अब उन्हें प्लेइंग XI में जगह पाने के लिए अधिक प्रभावशाली और विशेषज्ञ बनना होगा. वे केवल “दोनों काम करने वाले खिलाड़ी” नहीं, बल्कि “दोनों में एक्सपर्ट” बनकर ही टिक पाएंगे.
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