नई दिल्ली: भारत के एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र ने आज एक ऐतिहासिक छलांग लगाई है. टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) और फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन ने मिलकर ऐसा करार किया है, जो आने वाले वर्षों में भारत को फाइटर जेट निर्माण के वैश्विक मानचित्र पर प्रमुखता से स्थापित करेगा.
इस साझेदारी के तहत राफेल फाइटर जेट की फ्यूजलाज यूनिट, यानी उसका मुख्य ढांचा पहली बार फ्रांस के बाहर, भारत के हैदराबाद शहर में तैयार किया जाएगा.
2028 से हर महीने दो यूनिट तैयार होंगी
हैदराबाद में बन रहे अत्याधुनिक प्रोडक्शन प्लांट से 2028 से राफेल की मेन बॉडी की पहली यूनिट असेंबली लाइन से निकलेगी. लक्ष्य है कि यहां हर महीने दो फुल-स्केल फ्यूजलाज तैयार हों.
यह कदम न केवल भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा, बल्कि इससे भारतीय इंजीनियरों और टेक्निशियनों को विश्वस्तरीय एयरोस्पेस निर्माण कौशल भी प्राप्त होगा.
यह एक तकनीकी विश्वास का प्रतीक है- सुकरन सिंह
TASL के CEO सुकरन सिंह ने इस ऐतिहासिक करार पर कहा, "राफेल फाइटर जेट जैसी रणनीतिक संपत्ति का निर्माण भारत में होना इस बात का प्रमाण है कि हमारी निर्माण क्षमताएं अब वैश्विक मानकों को छू रही हैं. यह डसॉल्ट एविएशन के साथ हमारे मजबूत संबंधों और भारत के डिज़ाइन तथा निर्माण कौशल पर भरोसे का नतीजा है."
Precision meets partnership ✈️⚙️
— Tata Advanced Systems Limited (@tataadvanced) June 5, 2025
Dassault Aviation partners with Tata Advanced Systems to manufacture Rafale fighter aircraft fuselage for India and other global markets.#TataAdvancedSystems #DassaultAviation #Rafale #MakeInIndia #Aerospace #DefenceManufacturing… pic.twitter.com/MDLIOzXwxx
क्या है एयरक्राफ्ट फ्यूजलाज और क्यों है यह अहम?
फ्यूजलाज किसी भी विमान का मुख्य ढांचा होता है- वो कंकाल जो बाकी सभी हिस्सों (जैसे पंख, इंजन, लैंडिंग गियर, कॉकपिट) को एक साथ जोड़ता है.
फाइटर जेट्स में यह विशेष रूप से पतला, मजबूत और एरोडायनामिक बनाया जाता है ताकि अत्यधिक गति पर हवा का प्रतिरोध न्यूनतम हो.
यह हिस्सा न केवल संरचनात्मक मजबूती प्रदान करता है, बल्कि विमान की सुरक्षा और गतिशीलता का मूल आधार होता है.
Make in India की उड़ान को मिली नई ऊंचाई
टाटा ग्रुप पहले से ही राफेल और मिराज 2000 जैसे विमानों के कई महत्वपूर्ण पुर्जे भारत में ही तैयार करता है. पर अब फ्यूजलाज निर्माण के साथ भारत, एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरिंग में ‘कोर स्ट्रक्चरल सिस्टम’ विकसित करने वाला देश बन गया है.
डसॉल्ट एविएशन ने इसे भारत-फ्रांस रक्षा सहयोग का "गहरा पड़ाव" बताया है. कंपनी के अनुसार, यह कदम भारत में विकेंद्रीकृत उत्पादन और स्थानीय प्रतिभा विकास को प्रेरित करेगा.
भारत को क्यों मिला यह अवसर?
भारत ने पिछले एक दशक में:
के बल पर वैश्विक रक्षा कंपनियों को आकर्षित किया है. हैदराबाद, बेंगलुरु और नागपुर जैसे शहर अब "डिफेंस इनोवेशन क्लस्टर्स" बनते जा रहे हैं.
डसॉल्ट और टाटा: दो दिग्गज, एक मिशन
निर्माता: राफेल, मिराज 2000, फाल्कन जेट्स
भारत से जुड़ाव: 2016 की 36 राफेल डील, 2025 की 26 राफेल मरीन डील
विशेषज्ञता: ड्रोन्स, मिसाइल सिस्टम, एयरफ्रेम्स
साझेदार: बोइंग, लॉकहीड मार्टिन, सिकोरस्की, डसॉल्ट.
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