एक शिक्षक की कलम जितनी सधी होती है, उतनी ही सशक्त होती है किसी बच्चे की ज़िंदगी की दिशा. लेकिन जब यही शिक्षक खुद बुनियादी ज्ञान में चूकने लगे, तो सवाल सिर्फ उस व्यक्ति पर नहीं, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र पर उठते हैं. छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले से सामने आए एक वायरल वीडियो ने शिक्षा व्यवस्था की साख पर करारी चोट की है.
वीडियो में एक सरकारी स्कूल के अंग्रेज़ी शिक्षक को देखा जा सकता है, जिनसे निरीक्षण के दौरान आसान शब्दों की अंग्रेज़ी वर्तनी पूछी गई. मगर जब ब्लैकबोर्ड पर उन्होंने “eleven” की जगह “aivene” और “nineteen” की जगह “ninithin” लिखा, तो वहां मौजूद हर कोई चौंक गया. आश्चर्य की बात ये रही कि शिक्षक ने इस गलती को स्वीकारने के बजाय, आत्मविश्वास के साथ इसे सही बताया.
कॉन्फिडेंस लाजवाब, लेकिन ज्ञान गायब!
इस अंग्रेज़ी शिक्षक से जब ‘11’ और ‘19’ की स्पेलिंग लिखने को कहा गया, तो वो बड़ी सहजता से ब्लैकबोर्ड पर कुछ ऐसा लिख बैठे जिसे कोई शब्दकोश भी स्वीकार नहीं करेगा. ‘aivene’ और ‘ninithin’ जैसे जवाबों पर जब अफसरों ने दोबारा पुष्टि की, तो शिक्षक ने पूरे यकीन से कहा—“हां, यही सही है.” इस रवैये ने वहां मौजूद निरीक्षण दल को हैरानी में डाल दिया. वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि शिक्षक को अपनी गलती का एहसास तक नहीं था. और इससे भी ज़्यादा चिंता की बात ये है कि इसी शिक्षक के भरोसे बच्चों का भविष्य गढ़ा जा रहा है.
A video from a government school in Chhattisgarh has gone viral, sparking widespread outrage over the quality of education. In the clip, a government-appointed English teacher with five years of experience is seen struggling to spell basic English words like “eleven” and… pic.twitter.com/1gSY46wCYG
— The Siasat Daily (@TheSiasatDaily) July 28, 2025
वायरल वीडियो से भड़की बहस
@talk2anuradha नाम के एक्स (पूर्व ट्विटर) यूजर द्वारा शेयर किए गए इस वीडियो को अब तक 5 लाख से अधिक लोग देख चुके हैं. कैप्शन में लिखा गया अगर देश को बर्बाद करना है तो शिक्षा का सिस्टम तबाह कर दो. 70-80 हजार की सैलरी लेने वाला टीचर ‘इलेवन’ तक नहीं लिख पा रहा, यह शर्म की बात है. वीडियो वायरल होते ही सोशल मीडिया पर लोग न सिर्फ शिक्षक की आलोचना कर रहे हैं, बल्कि सरकारी शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता पर भी सवाल उठा रहे हैं. कई यूजर्स ने यह तक कहा कि बच्चों का भविष्य ऐसे ‘शिक्षकों’ के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता.
क्या सिस्टम भी उतना ही ज़िम्मेदार?
यह वाकया केवल एक व्यक्ति की अक्षमता नहीं है, बल्कि एक बड़ी और जटिल समस्या की बानगी है. सवाल उठता है कि भर्ती प्रक्रिया में ऐसी चूक कैसे होती है? क्या ऐसे शिक्षकों की दक्षता की समय-समय पर जांच नहीं होनी चाहिए? और यदि होती है, तो नतीजे इतने चौंकाने वाले क्यों हैं?
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