बांग्लादेश में तालिबानी राज! मोहम्मद यूनुस पर भड़के कट्टरपंथी, महिलाओं की बात करके बुरे फंसे

    बांग्लादेश में महिला अधिकारों को लेकर उठाया गया एक सुधारात्मक कदम अब एक बड़े सामाजिक और राजनीतिक टकराव का रूप लेता जा रहा है.

    Taliban rule in Bangladesh Mohammad Yunus
    मोहम्मद यूनुस | Photo: ANI

    बांग्लादेश में महिला अधिकारों को लेकर उठाया गया एक सुधारात्मक कदम अब एक बड़े सामाजिक और राजनीतिक टकराव का रूप लेता जा रहा है. नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस की अगुवाई में गठित अंतरिम सरकार द्वारा प्रस्तावित महिला-सशक्तिकरण और उत्तराधिकार सुधारों को लेकर देश में इस्लामिक कट्टरपंथी संगठनों का विरोध तेज़ हो गया है.

    शनिवार को राजधानी ढाका में इस्लामिक संगठन हिफाजत-ए-इस्लाम की अगुवाई में हजारों लोगों ने सड़कों पर उतरकर सरकार के प्रस्तावों को "इस्लाम विरोधी" बताते हुए उग्र प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों की मुख्य आपत्ति महिला और पुरुषों को संपत्ति में समान अधिकार देने की उस प्रस्तावित व्यवस्था को लेकर है, जिसे सरकार धार्मिक नियमों में संशोधन के रूप में देख रही है.

    प्रदर्शन की तस्वीर: 'पश्चिमी कानून नहीं चाहिए'

    ढाका विश्वविद्यालय के आसपास हुए इस विरोध प्रदर्शन में 20,000 से ज्यादा लोग शामिल हुए. हाथों में तख्तियां लिए प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाए—“हमारी महिलाओं पर पश्चिमी कानून मत थोपो” और “बांग्लादेश जागो”. इस्लामिक समूहों का आरोप है कि सरकार पश्चिमी विचारधारा को थोपकर देश की धार्मिक और सांस्कृतिक जड़ों को खत्म करना चाहती है.

    हिफाजत-ए-इस्लाम के वरिष्ठ नेता मामुनुल हक ने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी कि अगर सरकार ने महिला सुधार आयोग और उसके प्रस्तावों को वापस नहीं लिया, तो 23 मई को राष्ट्रव्यापी आंदोलन किया जाएगा. उन्होंने आयोग को भंग करने और उसके सदस्यों पर “धार्मिक भावनाएं आहत करने” के आरोप में कार्रवाई की मांग की.

    कट्टरपंथी मांगें और राजनीतिक संकेत

    प्रदर्शनकारियों की मांग सिर्फ महिला अधिकारों तक सीमित नहीं रही. उन्होंने अंतरिम सरकार से पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को भी प्रतिबंधित करने की मांग की. आरोप लगाया गया कि हसीना सरकार के दौरान हुए आंदोलनों में सैकड़ों छात्रों और नागरिकों की हत्या की गई. बता दें कि 2024 में हुए उग्र विरोध और अशांति के बाद शेख हसीना को सत्ता छोड़नी पड़ी थी और उन्होंने भारत में शरण ली थी.

    अल्पसंख्यकों की चिंता और बढ़ती कट्टरता

    शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद, देश में इस्लामिक ताकतों का प्रभाव बढ़ा है. खासकर अल्पसंख्यक समुदायों ने असुरक्षा और भय का माहौल होने की शिकायत की है. हालात को देखते हुए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय भी बांग्लादेश में हो रहे सामाजिक बदलावों पर नज़र रखे हुए है.

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