लाल किले पर कब्जे की मांग कर रही थी सुल्ताना बेगम, अदालत ने कहा- फतेहपुर सिकरी-ताजमहल को क्यों छोड़ दिया?

    देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में एक अजीबोगरीब याचिका पर सुनवाई हुई, जिसने न सिर्फ अदालत को चौंकाया बल्कि सुनने वालों के चेहरे पर भी मुस्कान ला दी. यह याचिका दायर की थी सुल्ताना बेगम ने, जो खुद को मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर के परपोते की विधवा बताती हैं.

    लाल किले पर कब्जे की मांग कर रही थी सुल्ताना बेगम, अदालत ने कहा- फतेहपुर सिकरी-ताजमहल को क्यों छोड़ दिया?
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    देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में एक अजीबोगरीब याचिका पर सुनवाई हुई, जिसने न सिर्फ अदालत को चौंकाया बल्कि सुनने वालों के चेहरे पर भी मुस्कान ला दी. यह याचिका दायर की थी सुल्ताना बेगम ने, जो खुद को मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर के परपोते की विधवा बताती हैं. उन्होंने कोर्ट से दिल्ली स्थित लाल किले का ‘मालिकाना हक’ मांगा था.

    क्या थी याचिका?

    सुल्ताना बेगम का दावा था कि वह बहादुर शाह जफर की कानूनी उत्तराधिकारी हैं, और इसी हैसियत से उन्हें लाल किला सौंपा जाए. उनका कहना था कि 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेजों ने मुगल वंश से यह किला छीन लिया था, जिसे अब उन्हें लौटाया जाना चाहिए.

    सुप्रीम कोर्ट का जवाब: याचिका नहीं, कल्पना है

    मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति पीवी संजय कुमार की पीठ ने सुल्ताना बेगम की इस मांग को खारिज करते हुए कहा कि यह याचिका "बिल्कुल बेबुनियाद" है और इसमें कोई कानूनी आधार नहीं है. कोर्ट ने हल्के-फुल्के तंज के अंदाज में कहा  "सिर्फ लाल किला ही क्यों, फतेहपुर सीकरी क्यों नहीं मांगा?" कोर्ट ने साफ कहा कि यह याचिका सुनवाई के लायक भी नहीं है और इसके पीछे कोई ठोस तर्क नहीं है.

    164 साल बाद की गई अपील

    आपको बता दें कि यह पहली बार नहीं था जब सुल्ताना बेगम ने ऐसा दावा किया हो. इससे पहले 2021 में दिल्ली हाईकोर्ट में उन्होंने यही मांग रखी थी, जिसे 164 साल की देरी का हवाला देते हुए खारिज कर दिया गया था. उनका मकसद संभवतः यह था कि सरकार इस दावे पर ध्यान दे और उन्हें आर्थिक मदद मिल सके. मगर अदालतों ने इसे कानून की नज़र से बिल्कुल असंभव और अव्यवहारिक माना. वहीं बात करें हाईकोर्ट से मामला खारिज होने की तो बता देंं कि उन्होंने ढाई साल से भी ज्यादा समय लगा दिया. इस वजह से कोर्ट ने याचिका सुनने से मना कर दिया और फिर वह सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं.

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