Janmashtami 2025: भक्ति, प्रेम और आनंद से भरा श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पावन पर्व इस वर्ष 16 अगस्त 2025 को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाएगा. यह वह दिन है जब मथुरा की धरती पर भगवान श्रीकृष्ण ने अवतार लेकर अन्याय और अधर्म का अंत किया था. देशभर के मंदिरों में भव्य सजावट, कीर्तन, भजन और झांकियों की तैयारी जोरों पर है. भक्तगण उपवास रखकर मध्यरात्रि में कान्हा का जन्मोत्सव मनाते हैं और अपने जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की कामना करते हैं.
तिथि और शुभ मुहूर्त
इस वर्ष अष्टमी तिथि 15 अगस्त की रात 11:50 बजे से शुरू होकर 16 अगस्त की रात 9:35 बजे समाप्त होगी. चूंकि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मध्यरात्रि में हुआ था, इसलिए व्रत और उत्सव 16 अगस्त, शनिवार को मनाया जाएगा. पूजा का शुभ मुहूर्त रात 12:45 से 1:26 बजे तक रहेगा. खास बात यह है कि इस वर्ष जन्माष्टमी भरणी नक्षत्र में होगी.
पूजा विधि
जन्माष्टमी के दिन सुबह उठकर “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें. स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें और पूजा स्थल की अच्छी तरह सफाई करें. गंगाजल से स्थान को पवित्र करें और अशोक पत्तियों, फूलों और मालाओं से सजाएं. लड्डू गोपाल की मूर्ति या श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप को पालने में विराजमान करें. बच्चों के लिए छोटे-छोटे खिलौने रखें और भजन-कीर्तन करें.
मध्यरात्रि में “ॐ क्रीं कृष्णाय नमः” मंत्र का जाप करते हुए दक्षिणावर्ती शंख में घी, दूध, दही, शक्कर और शहद मिलाकर भगवान का अभिषेक करें. चंदन का तिलक लगाकर श्रृंगार करें और माखन-मिश्री, धनिया-सौंठ, मोर पंख, तुलसी, गुलाल और अबीर अर्पित करके आरती करें. यह दिन गोविंद भोग लगाने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है.
व्रत के नियम
संभव हो तो जन्माष्टमी पर निराहार या फलाहार व्रत रखें. दिनभर भक्ति और कीर्तन में समय बिताएं. शाम को भजन संध्या में भाग लें और रात्रि में पंचामृत से अभिषेक करें. प्रभु को मिठाई, माखन और तुलसी दल का भोग लगाएं. अंत में प्रसाद का वितरण करें और सभी के मंगल की कामना करें.
अगर व्रत न रख पाएं तो
यदि किसी कारण व्रत रखना संभव न हो, तो किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन कराएं. यदि यह भी संभव न हो तो इतना धन दें जिससे वह दो समय का भोजन कर सके. और अगर यह भी न हो पाए, तो गायत्री मंत्र की 11 माला का जाप करें.
विशेष उपाय और मंत्र
संतान सुख के लिए: “संतान गोपाल स्तोत्र” का पाठ करें. दाम्पत्य जीवन में सामंजस्य के लिए: श्रीकृष्ण मंदिर में दक्षिणावर्ती शंख से जलाभिषेक करें, शहद और इलायची का भोग लगाएं और “क्लीं कृष्णाय स्वाहा” मंत्र का 108 बार जाप करें.
जन्माष्टमी कथा और महत्व
कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में कंस के अत्याचार से मुक्त कराने और धर्म की स्थापना के लिए हुआ था. माता देवकी और पिता वासुदेव के कारावास में जन्म लेने के बावजूद, उनके जीवन का हर पल धर्म और सत्य की विजय का प्रतीक रहा. यह पर्व हमें सिखाता है कि कठिन परिस्थितियों में भी साहस, भक्ति और सत्य के मार्ग पर चलते रहना चाहिए.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. भारत 24 किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.
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