Shangri-La Dialogue 2025: आज के समय में युद्ध सिर्फ सीमा पर लड़ी जाने वाली लड़ाई नहीं रह गई है. तकनीक के इस युग में युद्ध के स्वरूप में जबरदस्त बदलाव आया है. इसी संदर्भ में भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने शांगरी-ला डायलॉग 2025 में भविष्य की जंगों को लेकर अहम बातें कहीं. उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का हवाला देते हुए बताया कि अब पारंपरिक युद्ध के बजाय "नॉन-कॉन्टैक्ट वॉरफेयर" यानी बिना सीधे टकराव के लड़ी जाने वाली लड़ाई ही भविष्य की रणनीति होगी.
अब युद्ध सिर्फ सीमा पर नहीं होगा
जनरल चौहान ने कहा कि आधुनिक युद्ध केवल हथियारों और सेनाओं की ताकत पर निर्भर नहीं करेगा, बल्कि यह एक मल्टी-डायमेंशनल लड़ाई होगी. उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने आकाश मिसाइल सिस्टम के साथ-साथ देसी और विदेशी रडार सिस्टम का कुशल उपयोग किया. इस ऑपरेशन के दौरान भारत ने पाकिस्तान के संभावित हवाई हमलों को निष्फल कर दिया और साथ ही साइबर हमलों को भी विफल कर दिखाया. उनके अनुसार, आज की जंग केवल जल, थल और वायु तक सीमित नहीं है. इसमें हाइब्रिड वॉरफेयर, रणनीतिक प्रोपेगेंडा, सूचना युद्ध और साइबर अटैक जैसी चीजें भी शामिल होती जा रही हैं.
क्या है नॉन-कॉन्टैक्ट वॉरफेयर?
नॉन-कॉन्टैक्ट वॉरफेयर (Non-Contact Warfare) एक ऐसी सैन्य रणनीति है जिसमें विरोधी से प्रत्यक्ष मुठभेड़ किए बिना उसे लक्ष्य बनाया जाता है. इसमें पारंपरिक हथियारों के साथ-साथ तकनीकी और सूचना आधारित हमलों की भूमिका अहम होती है. बता दें कि इस कॉन्ट्रैक्ट में सीधे युद्ध का टकराव नहीं होता. ड्रोन, मिसाइल, साइबर और इलेक्ट्रॉनिक हथियारों का इस्तेमाल. दुश्मन की सोच और मनोबल को तोड़ने के लिए अफवाहें व दुष्प्रचार. दुश्मन के कम्युनिकेशन और नेटवर्क को निष्क्रिय करना.
नॉन-कॉन्टैक्ट वॉर का उदाहरण
CDS चौहान ने ऑपरेशन सिंदूर का हवाला देते हुए कहा कि भारत ने पूरी रणनीति तकनीकी दक्षता और दूर से नियंत्रित हथियार प्रणालियों पर आधारित रखी थी. पाकिस्तान द्वारा किए गए साइबर प्रयासों को निष्क्रिय किया गया और भारतीय वायुसेना की आधुनिक क्षमताओं ने हर हमले को विफल कर दिया. यह ऑपरेशन इस बात का उदाहरण है कि भारत अब पारंपरिक युद्ध से हटकर आधुनिक युद्ध के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है.
नॉन-कॉन्टैक्ट युद्ध के फायदे:
भविष्य की तैयारी
भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पहले ही भविष्य की सैन्य रणनीतियों पर बल दे चुके हैं. देश के पहले CDS दिवंगत जनरल बिपिन रावत ने "ढाई मोर्चे की जंग" की थ्योरी दी थी. चीन, पाकिस्तान और आंतरिक सुरक्षा. अब यह बात और स्पष्ट हो गई है कि भारत को तीनों मोर्चों पर सतर्क रहना होगा, खासकर सूचना और तकनीकी युद्ध के मोर्चे पर.
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