इस्लामाबाद: पाकिस्तान में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर राजनीतिक और सैन्य तनाव बढ़ता जा रहा है. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हाल ही में अपने एक बयान में कहा कि ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तान ने भारत को ऐसा सबक सिखाया जिसे वह नहीं भूलेगा. शहबाज ने कहा कि यह सबक भारत के लिए "दिल्ली से लेकर मुंबई तक" यादगार रहेगा.
हालांकि, इस बयान के पीछे पाकिस्तान के आंतरिक राजनीतिक दबाव की भी कहानी है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की जनता और विपक्षी दल शहबाज सरकार और पाकिस्तानी सेना के वरिष्ठ अधिकारियों की आलोचना कर रहे हैं. पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थक खुले तौर पर सरकार के संचालन और सेना की तैयारियों पर सवाल उठा रहे हैं.
ऑपरेशन सिंदूर और भारतीय प्रतिक्रिया
ऑपरेशन सिंदूर पाकिस्तान के भीतर भारतीय सैन्य कार्रवाई को संदर्भित करता है. ऑपरेशन के दौरान भारत ने कश्मीर में पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में कार्रवाई की. इसमें भारत की सेना ने ब्राह्मोस मिसाइल और एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल करते हुए पाकिस्तान के कुछ एयरबेस और रणनीतिक स्थानों को निशाना बनाया.
सैटलाइट इमेज और अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स में इन हमलों की पुष्टि हुई है. पाकिस्तानी मीडिया में इन घटनाओं को लेकर विरोध और आलोचना देखी गई है.
पाकिस्तान में राजनीतिक स्थिति
शहबाज शरीफ की सरकार फिलहाल कई आंतरिक चुनौतियों से जूझ रही है:
आर्थिक दबाव: पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था संकटग्रस्त है. बेरोजगारी और महंगाई दर उच्चतम स्तर पर हैं. सरकार को चीन, सऊदी अरब और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से आर्थिक मदद के लिए संपर्क करना पड़ रहा है.
राजनीतिक विवाद: खैबर पख्तूनख्वा में इमरान खान की पार्टी PTI की सरकार है, जिसे शहबाज और सेना के वरिष्ठ अधिकारी हटाने के प्रयास में हैं.
सुरक्षा चुनौतियाँ: खैबर पख्तूनख्वा में लगातार टीटीपी (TTP) आतंकवादी हमले हो रहे हैं, जिससे स्थानीय सुरक्षा बल और आम नागरिक प्रभावित हो रहे हैं.
शहबाज ने खैबर पख्तूनख्वा में अपने भाषण में स्थानीय लोगों की बहादुरी की तारीफ की और कहा कि वे दशकों से आतंकवाद से जूझ रहे हैं.
इमरान खान और बुशरा बीवी पर निशाना
शहबाज शरीफ ने अपने बयान में इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीवी की ओर संकेत करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने "कड़ी मेहनत से देश को संकट से बचाया". उन्होंने इशारा किया कि बुशरा बीवी के जादू-टोने और तांत्रिक गतिविधियों के आरोपों के बावजूद सरकार ने देश की स्थिति संभाली.
इन टिप्पणियों के बावजूद, पाकिस्तान में आम नागरिक आर्थिक कठिनाइयों और राजनीतिक अस्थिरता के कारण निराश हैं. शहबाज की सरकार पर बाहरी देशों से कर्ज लेने और आंतरिक राजनीतिक विरोधियों को नियंत्रित करने का दबाव बढ़ गया है.
आंतरिक और अंतरराष्ट्रीय असर
सैन्य प्रभाव: ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तानी सेना की तैयारियों और रणनीतिक निर्णयों पर सवाल उठे हैं.
राजनीतिक असर: इमरान खान के समर्थक शहबाज सरकार पर लगातार दबाव डाल रहे हैं. खैबर पख्तूनख्वा और अन्य प्रांतों में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ रही है.
आर्थिक दबाव: महंगाई, बेरोजगारी और विदेशी ऋण की जरूरत ने सरकार की नीतियों को सीमित कर दिया है.
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