Saudi Arabia: ईरान और सऊदी अरब, दोनों देशों में सजा-ए-मौत का मुद्दा न केवल वैश्विक मानवाधिकार संगठनों के लिए चिंता का विषय बन चुका है, बल्कि इन देशों में सजा-ए-मौत की संख्या लगातार बढ़ रही है. ईरान जहां अपनी सरकार विरोधियों और इजराइल से जुड़े लोगों को फांसी दे रहा है, वहीं सऊदी अरब ने नशीली दवाओं से जुड़े अपराधियों को सजा देने का सिलसिला तेज कर दिया है. दोनों देशों में फांसी की सजा की बढ़ती संख्या को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंताएं और अधिक गहरी होती जा रही हैं.
सऊदी में नशीली दवाओं से जुड़े अपराधियों को सजा
वहीं, सऊदी अरब में सजा-ए-मौत की संख्या में एक नया और चौंकाने वाला उछाल देखा गया है. एमनेस्टी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2014 से जून 2025 के बीच सऊदी अरब ने 1,816 लोगों को मृत्युदंड दिया. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि इनमें से लगभग 75% लोग विदेशी नागरिक थे और इन्हें नशीली दवाओं से संबंधित अपराधों के लिए फांसी दी गई थी. सऊदी अरब में ड्रग्स के दोषियों को फांसी देने का सिलसिला तेजी से बढ़ा है, जिसमें हर महीने सैकड़ों लोग सूली पर चढ़ाए जाते हैं.
सऊदी अरब में जून 2025 में 46 लोगों को फांसी दी गई, जिनमें से 37 लोगों को नशीली दवाओं से संबंधित अपराधों के लिए सजा दी गई. एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार, औसतन प्रतिदिन एक से ज्यादा नशीली दवाओं से संबंधित मौत की सजा दी जा रही है. इसमें से अधिकांश लोग विदेशी नागरिक हैं, जो सऊदी अरब में ड्रग्स के व्यापार में शामिल थे.
ईरान का बढ़ता मृत्युदंड आंकड़ा
ईरान में सजा-ए-मौत का चलन पहले भी रहा है, लेकिन हाल के महीनों में यह आंकड़ा तेजी से बढ़ा है. विशेष रूप से ईरान ने इजराइल के खिलाफ जासूसी करने वाले और सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले नागरिकों को फांसी दी है. मानवाधिकार परिषद (HRC) के 59वें सत्र में इस बात पर चिंता व्यक्त की गई थी कि ईरान में फांसी की सजा देने की घटनाएं बढ़ रही हैं, विशेषकर उन लोगों के खिलाफ जो राज्य की नीतियों के खिलाफ खड़े होते हैं. इस साल के पहले चार महीनों में ईरान ने कम से कम 343 लोगों को फांसी दी, जो पिछले साल की तुलना में 75% ज्यादा था. इस वृद्धि के पीछे ईरान में राजनीतिक असहमति और इजराइल के खिलाफ जासूसी के मामलों में सजा की संख्या का बढ़ना है.
सजा-ए-मौत के आंकड़े और अंतरराष्ट्रीय चिंताएं
यह आंकड़े न केवल सऊदी अरब और ईरान में सजा-ए-मौत के बढ़ते चलन को उजागर करते हैं, बल्कि यह भी दर्शाते हैं कि इन देशों में मानवाधिकार उल्लंघन की गंभीर समस्याएं हैं. जबकि ईरान अपने नागरिकों और इजराइल से जुड़े लोगों के खिलाफ सजा-ए-मौत दे रहा है, सऊदी अरब नशीली दवाओं के दोषियों को सूली पर चढ़ा रहा है. मानवाधिकार संगठनों ने इन दोनों देशों से बार-बार अपील की है कि वे सजा-ए-मौत की संख्या को नियंत्रित करें और अधिक न्यायसंगत प्रक्रियाएं अपनाएं. हालांकि, इन देशों के लिए सजा-ए-मौत अभी भी एक प्रमुख कानूनी प्रक्रिया बनी हुई है.
ग्लोबल रिएक्शन और भविष्य की दिशा
संयुक्त राष्ट्र और विभिन्न मानवाधिकार संगठनों ने सजा-ए-मौत के बढ़ते आंकड़ों पर गहरी चिंता व्यक्त की है. खासकर, सऊदी अरब में विदेशी नागरिकों को दी जा रही फांसी की सजा पर सवाल उठाए जा रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ने के बावजूद, इन दोनों देशों में फांसी की सजा का सिलसिला रुकता हुआ नहीं दिख रहा है.
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