मध्य प्रदेश के लाखों कर्मचारियों की आई मौज, मोहन सरकार ने बढ़ाई सैलरी, जानिए कब से मिलेगा लाभ

    MP News: मध्य प्रदेश के लाखों संविदा कर्मचारियों को हाल ही में राज्य सरकार की ओर से वेतन वृद्धि का तोहफा मिला है. मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व वाली सरकार ने लगभग 1.5 लाख संविदा अधिकारियों और कर्मचारियों के वेतन में 2.94 प्रतिशत की बढ़ोतरी की घोषणा की है.

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    MP News: मध्य प्रदेश के लाखों संविदा कर्मचारियों को हाल ही में राज्य सरकार की ओर से वेतन वृद्धि का तोहफा मिला है. मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व वाली सरकार ने लगभग 1.5 लाख संविदा अधिकारियों और कर्मचारियों के वेतन में 2.94 प्रतिशत की बढ़ोतरी की घोषणा की है. यह संशोधित वेतन 1 अप्रैल 2025 से लागू होगा.

    राज्य के वित्त विभाग ने गुरुवार शाम आदेश जारी कर सभी विभागाध्यक्षों, संभागीय आयुक्तों, कलेक्टरों और अन्य संबंधित अधिकारियों को दिशा-निर्देश भेज दिए हैं. यह वेतनवृद्धि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर तय की गई है, जिसकी गणना सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 22 जुलाई 2023 को जारी सर्कुलर के अनुसार की गई थी.

    न्यूनतम बढ़ोतरी से कर्मचारियों में असंतोष

    हालांकि सरकार की इस घोषणा से संविदा कर्मचारी खुश नहीं हैं. उनका कहना है कि यह वेतन वृद्धि केवल औपचारिकता भर है. वर्तमान में संविदा कर्मचारियों को 12 हजार से 65 हजार रुपए प्रतिमाह वेतन मिलता है, और इस 2.94 प्रतिशत की बढ़ोतरी से उन्हें केवल 300 से 1500 रुपए तक का ही अतिरिक्त लाभ मिलेगा.

    संविदा अधिकारी-कर्मचारी महासंघ का कहना है कि पिछले साल यानी वित्त वर्ष 2024-25 में यह बढ़ोतरी 3.78 प्रतिशत थी, जिससे कर्मचारियों को 2 हजार से 8 हजार रुपए तक का फायदा हुआ था. इस बार उम्मीद थी कि सरकार कम से कम 4 प्रतिशत तक वेतन बढ़ाकर राहत देगी, लेकिन 2.94 प्रतिशत की वृद्धि ने कई कर्मचारियों को निराश कर दिया है.

    संतुलन साधने की कोशिश?

    विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला राज्य सरकार की एक संतुलित रणनीति का हिस्सा हो सकता है. जहां वे एक ओर आर्थिक भार नहीं बढ़ाना चाहती, वहीं दूसरी ओर कर्मचारियों को न्यूनतम राहत देकर अपनी छवि सुधारने की कोशिश कर रही है.

    हालांकि यह कहना मुश्किल है कि यह मामूली राहत सरकार के पक्ष में कितनी सहायक होगी, लेकिन इतना तय है कि संविदा कर्मचारियों की अपेक्षाएं अभी भी अधूरी हैं. आने वाले दिनों में अगर कोई नया संशोधन नहीं हुआ, तो सरकार को कर्मचारियों के असंतोष का सामना करना पड़ सकता है.

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