कीव: यूरोप के केंद्र में तीन साल से जारी सबसे गंभीर युद्ध एक नए मोड़ पर आ गया है. शनिवार की रात रूस ने यूक्रेन पर 273 ड्रोन दागे, जिसे अब तक का सबसे बड़ा ड्रोन हमला बताया जा रहा है. यूक्रेन की वायुसेना के अनुसार, यह हमला संघर्ष की शुरुआत (2022) से अब तक की सबसे व्यापक ड्रोन आक्रामकता थी.
हमले में एक महिला की मौत हो गई, जबकि एक बच्चे सहित तीन अन्य लोग घायल हो गए. राजधानी कीव सहित कई इलाकों में रिहायशी भवनों और इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचा है. धमाकों की गूंज के बीच लगातार 9 घंटे तक सायरन बजते रहे.
पुतिन का बयान: जड़ को समाप्त करना है
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस हमले के एक दिन बाद सरकारी मीडिया से बात करते हुए कहा कि, "हमारा उद्देश्य युद्ध नहीं, बल्कि उस कारण का अंत है जिसने इसे जन्म दिया."
यह बयान ऐसे समय आया है जब रूस की सैन्य कार्रवाई लगातार तेज होती जा रही है, और यूक्रेन में नागरिक लक्ष्यों पर हमले बढ़ रहे हैं.
90 मिनट की वार्ता, कोई समाधान नहीं
16 मई को तुर्किये के इस्तांबुल में रूस और यूक्रेन के प्रतिनिधिमंडल के बीच तीन वर्षों में पहली बार प्रत्यक्ष बातचीत हुई. हालांकि यह बहुप्रतीक्षित बैठक महज 90 मिनट में समाप्त हो गई—बिना किसी समझौते के.
यूक्रेनी प्रतिनिधियों के मुताबिक, उन्होंने कम से कम एक अस्थायी संघर्षविराम (Ceasefire) की मांग की थी, जिसे रूस ने तुरंत खारिज कर दिया. यह विफलता कूटनीतिक मोर्चे पर निराशा का संकेत देती है.
पुतिन और जेलेंस्की आमने-सामने नहीं आए
बातचीत से पहले संभावना जताई जा रही थी कि दोनों राष्ट्राध्यक्ष- वोलोदिमिर जेलेंस्की और व्लादिमीर पुतिन सीधे शामिल हो सकते हैं, लेकिन क्रेमलिन ने साफ किया कि पुतिन इन वार्ताओं में शामिल नहीं होंगे.
इस पृष्ठभूमि में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का बयान आया: "जब तक मैं और पुतिन आमने-सामने नहीं बैठते, तब तक कोई समाधान संभव नहीं."
हालांकि क्रेमलिन प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि पुतिन की ट्रम्प से मुलाकात की कोई योजना नहीं है.
यूक्रेन का स्पष्ट रुख: हम जमीन नहीं छोड़ेंगे
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने वार्ता से पहले और बाद में भी एक स्पष्ट संदेश दिया: "यूक्रेन कभी अपनी ज़मीन से समझौता नहीं करेगा. चाहे वह डोनेट्स्क हो, लुहान्स्क, ज़ापोरिझिया, खेरसॉन या क्रीमिया—ये सभी यूक्रेन का हिस्सा हैं और रहेंगे."
रूस बार-बार यह मांग करता रहा है कि यूक्रेन इन चार क्षेत्रों और क्रीमिया को रूस का स्थायी हिस्सा माने. क्रीमिया पर रूस ने 2014 में कब्जा किया था और अब वह इसे गैर-मौलिक शर्त मानता है.
युद्ध की दिशा: सैन्य ताकत बढ़ती जा रही है
ड्रोन हमले की संख्या और इसके असर को देखकर साफ है कि युद्ध अब तकनीकी और साइबर स्पेस में भी तेज़ हो चुका है. यह लड़ाई अब सिर्फ ज़मीन की नहीं, हथियारों, ड्रोन्स और मनोवैज्ञानिक दबाव की भी हो गई है.
जहां एक तरफ विश्व समुदाय संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान की उम्मीद लगाए बैठा है, वहीं दूसरी ओर प्रत्यक्ष वार्ता का विफल होना और हिंसा का बढ़ना संकेत है कि यह युद्ध अभी लंबा चल सकता है.
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