पाकिस्तान को नर्क से भी बदतर मानते हैं जावेद अख्तर, बोले- वे लोग कहते हैं काफिर हूं जहन्नुम जाऊंगा

    मुंबई में आयोजित पुस्तक विमोचन समारोह ‘नरकातला स्वर्ग’ में मंच से बोलते हुए अख्तर ने तीखे राजनीतिक और सामाजिक सवालों पर खुलकर राय रखी.

    Javed Akhtar considers Pakistan to be worse than hell
    जावेद अख्तर/Photo- ANI

    मुंबई: जाने-माने लेखक, गीतकार और सामाजिक चिंतक जावेद अख्तर ने एक बार फिर अपने बेबाक विचारों से सुर्खियां बटोरीं. मुंबई में आयोजित पुस्तक विमोचन समारोह ‘नरकातला स्वर्ग’ में मंच से बोलते हुए अख्तर ने तीखे राजनीतिक और सामाजिक सवालों पर खुलकर राय रखी. उनका बयान—"अगर मुझे पाकिस्तान और नर्क में से चुनना हो, तो मैं नर्क को प्राथमिकता दूंगा"—ने पूरे सभागार को तालियों से गूंजा दिया, लेकिन साथ ही एक तीखी बहस को भी जन्म दिया.

    मैं हर विचारधारा से सवाल करता हूं

    अख्तर ने अपने भाषण की शुरुआत में स्पष्ट किया कि वे किसी राजनीतिक पार्टी से नहीं जुड़ते, बल्कि सच्चाई के साथ खड़े रहना उनका उसूल है. उन्होंने कहा, "हर लोकतंत्र को ऐसे लोगों की ज़रूरत होती है जो किसी पार्टी से नहीं, बल्कि अपनी अंतरात्मा से संचालित होते हैं."

    उन्होंने यह भी बताया कि उनकी इस निष्ठा का परिणाम यह होता है कि वे दाएं और बाएं दोनों चरमपंथियों के निशाने पर रहते हैं.

    "ट्विटर और वॉट्सएप पर मुझे दोनों तरफ से गालियां मिलती हैं—यही संतुलन का प्रमाण है," वे बोले.

    पाकिस्तान और जहन्नुम में मैं जहन्नुम चुनूंगा

    इस सत्र के सबसे चर्चित क्षण में अख्तर ने कट्टरपंथियों पर तीखा तंज कसते हुए कहा: "कोई कहता है मैं काफिर हूं और जहन्नुम जाऊंगा, कोई कहता है मैं जिहादी हूं और पाकिस्तान चला जाऊं. तो मैं साफ कर दूं—अगर इन दो में ही चुनना हो तो मैं जहन्नुम जाना पसंद करूंगा."

    इस बयान को श्रोताओं ने केवल तालियों से नहीं, बल्कि एक स्पष्ट सामाजिक संदेश के रूप में लिया: कट्टरता किसी भी ओर से हो, उसे नकारना ज़रूरी है.

    आतंकवाद पर स्पष्ट रुख: "जड़ पाकिस्तान में"

    अख्तर ने हालिया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और पहलगाम आतंकी हमले के संदर्भ में पाकिस्तान पर सीधा आरोप लगाया कि आतंकवाद की अधिकांश गतिविधियों की जड़ें पाकिस्तान में हैं.

    उन्होंने कहा: "आतंकवादी यूरोप या अफ्रीका से नहीं आते. हमारी सीमा के उस पार से आते हैं और यह कोई नया सच नहीं है."

    उन्होंने सभी भारतीय सरकारों की शांति-इच्छा को रेखांकित करते हुए वाजपेयी की लाहौर यात्रा का भी ज़िक्र किया और यह सवाल उठाया कि पाकिस्तान ने हमेशा भरोसे को तोड़ा ही क्यों.

    हमें पाकिस्तान के आम लोगों से कोई बैर नहीं

    अख्तर ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके और आम पाकिस्तानी नागरिकों के बीच कोई दुश्मनी नहीं है. उन्होंने कहा, "हमारा विरोध पाकिस्तान की सेना और सरकार की नीतियों से है, आम लोगों से नहीं. वे भी शांति चाहते हैं, लेकिन उन्हें भड़काया जाता है."

    उन्होंने पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर के हिंदुओं पर दिए गए बयान को भी "संवेदनहीन और घृणास्पद" कहा और यह सवाल उठाया कि क्या पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं की कोई गरिमा नहीं है?

    पाकिस्तानी कलाकारों के बहिष्कार पर समर्थन

    पिछले वर्षों में कई बार विवादों के केंद्र में रहे इस विषय पर भी अख्तर ने साफ कहा कि भारतीय कलाकारों ने हमेशा पाकिस्तानी कलाकारों को सम्मान दिया है, जबकि पाकिस्तान ने कभी ऐसा दृष्टिकोण नहीं अपनाया.

    उन्होंने कहा, "भारत-पाकिस्तान का सांस्कृतिक रिश्ता भी एकतरफा रहा है. जब तक पाकिस्तान अपने रुख में बदलाव नहीं लाता, संवाद संभव नहीं."

    ये भी पढ़ें- समुद्र के अंदर तैनात होगा मेड इन इंडिया एंटी-सबमरीन वॉरफेयर सिस्टम्स, अडानी की कंपनी ने की बड़ी डील