RSS और ABVP की पृष्ठभूमि, पार्षद से मंत्री तक का सफर... जानें कौन हैं संजय सरावगी, जो बने बिहार BJP के प्रदेश अध्यक्ष

    Sanjay Saraogi: भारतीय जनता पार्टी ने संगठनात्मक स्तर पर बड़े फैसले लेते हुए बिहार में नेतृत्व परिवर्तन किया है. पार्टी ने दिलीप जायसवाल की जगह वरिष्ठ नेता और दरभंगा सदर से लगातार कई बार विधायक रहे संजय सरावगी को बिहार बीजेपी का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है.

    RSS ABVP councilor to minister who is Sanjay Saraogi became the state president of Bihar BJP
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    Sanjay Saraogi: भारतीय जनता पार्टी ने संगठनात्मक स्तर पर बड़े फैसले लेते हुए बिहार में नेतृत्व परिवर्तन किया है. पार्टी ने दिलीप जायसवाल की जगह वरिष्ठ नेता और दरभंगा सदर से लगातार कई बार विधायक रहे संजय सरावगी को बिहार बीजेपी का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है. यह नियुक्ति ऐसे समय में हुई है, जब बीजेपी देश और राज्यों में संगठन को मजबूत करने की दिशा में लगातार बदलाव कर रही है. हाल ही में पार्टी ने नितिन नबीन को कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी थी और अब बिहार संगठन में भी नया चेहरा सामने आया है.

    संजय सरावगी को संगठनात्मक राजनीति और सरकार में काम करने का लंबा अनुभव है. वह उन नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने जमीनी राजनीति से लेकर सत्ता के शीर्ष स्तर तक का सफर तय किया है. विधायक से मंत्री तक की जिम्मेदारियां संभाल चुके सरावगी पार्टी के लिए एक भरोसेमंद चेहरा माने जाते हैं. संगठन में उनकी पकड़ और प्रशासनिक अनुभव को देखते हुए पार्टी ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की अहम जिम्मेदारी सौंपी है.

    एबीवीपी से शुरू हुआ राजनीतिक सफर

    संजय सरावगी का राजनीतिक जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से शुरू हुआ. छात्र राजनीति के दौरान ही उन्होंने सक्रिय भूमिका निभानी शुरू कर दी थी. वर्ष 1990 में लालकृष्ण आडवाणी की गिरफ्तारी के विरोध में हुए आंदोलन में हिस्सा लेने के कारण उन्हें समस्तीपुर में गिरफ्तार किया गया था और करीब 15 दिनों तक जेल में रहना पड़ा था. इस दौर को उनके राजनीतिक जीवन का अहम मोड़ माना जाता है.

    बीजेपी से जुड़ाव और संगठन में मजबूती

    1995 में संजय सरावगी ने औपचारिक रूप से भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ली और युवा मोर्चा के जरिए संगठनात्मक राजनीति में सक्रिय हो गए. इसके बाद उन्होंने पार्टी में अलग-अलग जिम्मेदारियां निभाईं और धीरे-धीरे अपनी पहचान मजबूत करते चले गए. संगठन में उनकी सक्रियता और चुनावी क्षमता ने उन्हें पार्टी नेतृत्व की नजरों में अहम बना दिया.

    पार्षद से विधायक तक का सफर

    चुनावी राजनीति में संजय सरावगी ने अपने करियर की शुरुआत नगर निगम पार्षद के तौर पर की. वर्ष 2000 में वह दरभंगा नगर निगम के वार्ड से पार्षद चुने गए और इसके दो साल बाद फिर से नगरपालिका चुनाव में जीत दर्ज की. इसके बाद पार्टी ने 2005 में उन्हें दरभंगा नगर सीट से विधानसभा चुनाव में उतारा. यहां से विधायक बनने के बाद उन्होंने इस क्षेत्र को बीजेपी के मजबूत गढ़ के रूप में स्थापित किया.

    लगातार चुनावी जीत और मंत्री पद का अनुभव

    संजय सरावगी पिछले दो दशकों से एक ही सीट से जीत दर्ज करते आ रहे हैं. वह फरवरी 2005, नवंबर 2005, 2010, 2015, 2020 और 2025 में बीजेपी के टिकट पर दरभंगा सदर से विधायक चुने गए. नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली पिछली सरकार में हुए कैबिनेट विस्तार में उन्हें मंत्री भी बनाया गया था. मंत्री पद की शपथ उन्होंने मैथिली भाषा में लेकर ली थी, जो उस समय चर्चा का विषय बनी थी.

    शिक्षा और सामाजिक पृष्ठभूमि

    संजय सरावगी का जन्म 28 अगस्त 1969 को दरभंगा के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम परमेश्वर सरावगी है. वह दरभंगा के गांधी चौक इलाके के निवासी हैं. उन्होंने ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की है और एमकॉम तथा एमबीए की डिग्री हासिल की है. इसके अलावा वह महात्मा गांधी कॉलेज की शासी निकाय के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.

    मिथिलांचल में मजबूत पकड़

    दरभंगा और पूरे मिथिला क्षेत्र में संजय सरावगी बीजेपी के एक प्रमुख और चर्चित चेहरे के तौर पर जाने जाते हैं. वैश्य समुदाय से आने वाले सरावगी की व्यापारी वर्ग में भी अच्छी पकड़ मानी जाती है. पार्टी के पारंपरिक वोटबैंक में वैश्य समाज की अहम भूमिका रही है और इसी सामाजिक समीकरण को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है.

    बीजेपी का सियासी संदेश

    संजय जायसवाल और दिलीप जायसवाल के बाद संजय सरावगी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर बीजेपी ने साफ संकेत दिया है कि वह अपने कोर वोटबेस को साधे रखना चाहती है. संगठनात्मक अनुभव, चुनावी सफलता और सामाजिक संतुलन, इन तीनों पहलुओं को देखते हुए संजय सरावगी की नियुक्ति को बिहार बीजेपी के लिए एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है. आने वाले समय में उनके नेतृत्व में पार्टी बिहार में संगठन को किस दिशा में आगे ले जाती है, इस पर सबकी नजरें टिकी रहेंगी.

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