इंसानों के साथ दौड़ लगा रहे रोबोट, चीन में आयोजित हुई हाफ मैराथॉन; VIDEO में देखें 21 KM की रेसट

    तकनीक की दुनिया में चीन एक बार फिर सुर्खियों में है. इस बार वजह बना बीजिंग में हुआ एक ऐसा इवेंट, जो अब तक सिर्फ साइंस फिक्शन फिल्मों में देखा गया था.  दुनिया की पहली ह्यूमनॉइड रोबोट हाफ मैराथन. जी हां, बीजिंग के इकोनॉमिक-टेक्नोलॉजिकल ज़ोन में शनिवार को एक ऐतिहासिक दौड़ हुई.

    Robot Marathon in china with humans see video
    Image Source: Social Media

    तकनीक की दुनिया में चीन एक बार फिर सुर्खियों में है. इस बार वजह बना बीजिंग में हुआ एक ऐसा इवेंट, जो अब तक सिर्फ साइंस फिक्शन फिल्मों में देखा गया था.  दुनिया की पहली ह्यूमनॉइड रोबोट हाफ मैराथन. जी हां, बीजिंग के इकोनॉमिक-टेक्नोलॉजिकल ज़ोन में शनिवार को एक ऐतिहासिक दौड़ हुई, जिसमें इंसानों के साथ-साथ ह्यूमनॉइड रोबोट्स ने भी 21 किलोमीटर का सफर तय किया. यह सिर्फ स्पीड या तकनीक का इम्तिहान नहीं था, बल्कि चीन के इनोवेशन विज़न की एक झलक भी थी.

    ट्रैक पर दौड़ते मशीन... इंसानों की तरह

    इस रेस में भाग लेने वाले रोबोट्स को इंसानों की तरह ढलानों और मोड़ों वाले रास्ते से गुजरना पड़ा. टेक्नोलॉजी हैंडलर्स उनके साथ-साथ चल रहे थे, और फॉर्मूला 1 की तर्ज पर बैटरी पिट स्टॉप्स भी किए गए। रेस के दौरान रोबोट्स को सिर्फ टाइमिंग के लिए नहीं, बल्कि बेस्ट एंड्योरेंस, बेस्ट गेट डिज़ाइन और मोस्ट इनोवेटिव फॉर्म जैसी कैटेगिरी में भी आंका गया. हालांकि दौड़ के दौरान कुछ रोबोट्स लड़खड़ाए, स्टार्ट लाइन पर गिरे भी  लेकिन यही दिखाता है कि ये सिर्फ प्रदर्शन नहीं, एक तरह की तकनीकी परीक्षा भी थी.

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    जीत का ताज किसे मिला?

    रोबोट्स की रेस में तियांगोंग अल्ट्रा नाम के एक रोबोट ने 2 घंटे 40 मिनट में फिनिश लाइन पार की. वहीं इंसानों की कैटेगिरी में इथोपिया के एलियास डेस्टा ने सिर्फ 1 घंटे 2 मिनट में जीत दर्ज की। यानी इंसान अभी भी रोबोट्स से तेज हैं. फिलहाल के लिए  विशेषज्ञों के मुताबिक, यह इवेंट एआई या मशीन इंटेलिजेंस के ब्रेकथ्रू से ज़्यादा, रोबोट हार्डवेयर की स्टेबिलिटी और बैटरी परफॉर्मेंस की टेस्टिंग था.

    2030 तक 8.7 लाख करोड़ का रोबोट बाज़ार?

    सरकारी मीडिया Xinhua की रिपोर्ट के अनुसार, चीन का ह्यूमनॉइड रोबोट मार्केट साल 2030 तक ₹8.7 लाख करोड़ (119 बिलियन डॉलर) का हो सकता है. और ऐसे इवेंट्स इस दिशा में पब्लिक इंटरेस्ट और इंडस्ट्रियल पोटेंशियल दोनों को मजबूत करते हैं.

    हर कोई सहमत नहीं...

    हालांकि हर विशेषज्ञ इस मैराथन को AI की प्रगति का बड़ा संकेत नहीं मानते. ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी के कंप्यूटर साइंस प्रोफेसर एलन फर्न का कहना है कि “ये रेस AI की नहीं, हार्डवेयर एंड्योरेंस की थी। चलने-फिरने, दौड़ने या डांस करने की क्षमता किसी मशीन की इंटेलिजेंस का पूरा पैमाना नहीं हो सकती.”

    भविष्य दौड़ रहा है, लेकिन किस दिशा में?

    बीजिंग की यह ह्यूमनॉइड मैराथन भले ही तकनीकी प्रदर्शन हो, लेकिन यह चीन के उस विज़न का हिस्सा है, जिसमें वह AI और रोबोटिक्स का वैश्विक लीडर बनना चाहता है. यह शुरुआत है. नतीजा नहीं सवाल यह है कि क्या बाकी दुनिया इस रेस में पीछे छूट जाएगी, या आगे निकलने की अपनी रणनीति बना रही है?