सीवान: बिहार की राजनीति में विरासत की भूमिका हमेशा से अहम रही है, और अब यह एक बार फिर चर्चा में है. इस बार फोकस है सीवान जिले की रघुनाथपुर विधानसभा सीट, जहां राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने ओसामा शहाब को अपना उम्मीदवार बनाया है. ओसामा, सीवान के पूर्व बाहुबली सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन के बेटे हैं. शहाबुद्दीन के राजनीतिक प्रभाव और जनता में पकड़ की चर्चा आज भी होती है. अब उनके बेटे की राजनीति में सक्रिय भागीदारी ने इस सीट को बिहार विधानसभा चुनाव की सबसे चर्चित सीटों में से एक बना दिया है.
शहाबुद्दीन की विरासत अब बेटे के कंधों पर
मोहम्मद शहाबुद्दीन कभी बिहार की राजनीति में एक प्रभावशाली और विवादास्पद चेहरा रहे हैं. उन्होंने 1990 से लेकर 2000 के दशक तक सीवान की राजनीति पर गहरी छाप छोड़ी. वे चार बार लोकसभा सांसद और दो बार विधायक रहे. शहाबुद्दीन का राजनीतिक नेटवर्क सिर्फ मुस्लिम मतदाताओं तक सीमित नहीं था; उन्होंने यादव, अन्य पिछड़ा वर्ग और कुछ अगड़े जातियों तक भी अपनी पकड़ बनाई थी.
उनके निधन के बाद उनकी राजनीतिक विरासत को उनकी पत्नी हिना शहाब ने कुछ हद तक आगे बढ़ाया. उन्होंने 2009, 2014 और 2019 में सीवान से लोकसभा चुनाव लड़ा और हार के बावजूद उन्हें अच्छी खासी वोटिंग मिली, जो परिवार की राजनीतिक पकड़ को दर्शाता है.
ओसामा शहाब की राजनीतिक पारी की शुरुआत
2025 में हिना शहाब ने आरजेडी नेतृत्व से मुलाकात कर अपने बेटे ओसामा शहाब के लिए राजनीतिक अवसर की मांग की. इसके बाद, रघुनाथपुर विधानसभा सीट से ओसामा की उम्मीदवारी की घोषणा हुई. खास बात यह रही कि मौजूदा विधायक हरिशंकर यादव, जिन्होंने 2020 में यह सीट लगभग 18 हजार वोटों से जीती थी, उन्होंने पार्टी के हित में सीट छोड़ दी और ओसामा के पक्ष में खुलकर समर्थन दिया.
यह निर्णय आरजेडी की रणनीति का अहम हिस्सा माना जा रहा है, जिससे यह साफ होता है कि पार्टी शहाबुद्दीन के परिवार को संगठन के भीतर एक मजबूत सामाजिक-राजनीतिक स्तंभ के रूप में देख रही है.
सामाजिक समीकरण: मुस्लिम-यादव गठजोड़
बिहार में आरजेडी की सबसे मजबूत चुनावी ताकत उसका मुस्लिम-यादव गठजोड़ है, जिसे 1990 के दशक से लालू प्रसाद यादव ने मजबूत किया. 2020 विधानसभा चुनाव में आरजेडी को कुल 23.1% वोट मिले थे, जो किसी भी पार्टी के मुकाबले सबसे अधिक थे.
रघुनाथपुर सीट पर मुस्लिम और यादव मतदाता मिलकर कुल मतों का लगभग 55–60% हैं. यह जातीय समीकरण आरजेडी के पक्ष में स्वाभाविक बढ़त बनाता है. ओसामा की उम्मीदवारी मुस्लिम समुदाय को भावनात्मक रूप से जोड़ सकती है, जबकि यादव वोट पहले से ही पार्टी के साथ माने जाते हैं.
राजनीतिक जानकारों के अनुसार, ओसामा शहाब की एंट्री से मुस्लिम वोटों में बिखराव की संभावना नहीं है, बल्कि पारिवारिक और भावनात्मक जुड़ाव उन्हें और अधिक संगठित कर सकता है.
रघुनाथपुर सीट का चुनावी इतिहास
अब ओसामा के मैदान में उतरने से समीकरण पूरी तरह बदल सकते हैं. यह पहली बार है जब शहाबुद्दीन परिवार से कोई सदस्य औपचारिक रूप से विधानसभा चुनाव लड़ रहा है.
राजनीतिक रणनीति और विपक्ष की चुनौती
राजद का यह कदम चुनावी रणनीति के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है. एक तरफ पार्टी अपने परंपरागत वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी तरफ वह अपने संगठन को जमीनी स्तर पर फिर से खड़ा करने में जुटी है.
हालांकि, विपक्ष (जदयू, भाजपा या अन्य दल) के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन सकता है. उन्हें अब एक ऐसे उम्मीदवार से मुकाबला करना होगा, जो केवल जातीय समीकरण पर नहीं, बल्कि पारिवारिक विरासत, पहचान और स्थानीय जनभावनाओं के बल पर चुनावी मैदान में है.
विपक्ष को अब रघुनाथपुर जैसे सीट पर नए सिरे से चुनावी रणनीति बनानी होगी, जो जातीय संतुलन, स्थानीय मुद्दों और प्रत्याशी की छवि पर केंद्रित हो.
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