बेंगलुरु भगदड़ के तीन महीने बाद RCB की वापसी, भावुक पत्र के जरिए किया बडा़ ऐलान

    Bengaluru Stampede: खेल सिर्फ जीत और हार का नाम नहीं होता, उसमें भावनाएं, उम्मीदें और जिम्मेदारियां भी जुड़ी होती हैं. रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) ने इस साल पहली बार IPL ट्रॉफी जीतकर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की.

    RCB returns three months after the Bangalore stampede big announcement
    Image Source: ANI/ File

    Bengaluru Stampede: खेल सिर्फ जीत और हार का नाम नहीं होता, उसमें भावनाएं, उम्मीदें और जिम्मेदारियां भी जुड़ी होती हैं. रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) ने इस साल पहली बार IPL ट्रॉफी जीतकर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की. विराट कोहली के 18 साल पुराने सपने के पूरे होने की खुशी पूरे देश में मनाई गई. लेकिन इस जश्न का रंग कुछ ही घंटों में फीका पड़ गया.

    4 जून को बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में टीम की जीत का जश्न मनाने के लिए आयोजित कार्यक्रम में भारी भीड़ उमड़ी. अफसोस की बात यह रही कि कार्यक्रम की व्यवस्था इतनी असंगठित थी कि वहां भगदड़ मच गई, जिसमें कई लोगों की जान चली गई.

    इस दर्दनाक हादसे के बाद, RCB का सोशल मीडिया पूरी तरह शांत हो गया. तीन महीने तक किसी भी तरह की पोस्ट या घोषणा नहीं की गई, न कोई जश्न, न कोई प्रमोशन, न कोई गतिविधि. यह खामोशी सिर्फ डिजिटल नहीं थी, यह उनकी संवेदनशीलता और आत्ममंथन का प्रतीक बन गई.

    सिर्फ एक पोस्ट नहीं, एक वादा

    तीन महीने की इस चुप्पी को आज, 28 अगस्त को तोड़ा गया, पर शोर के साथ नहीं, बल्कि संवेदना और प्रतिबद्धता के साथ. RCB ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर "RCB Cares" नाम से एक राहत अभियान की घोषणा की.

    पोस्ट में लिखा गया, "डियर 12th मैन आर्मी, ये पत्र आपके लिए है. तीन महीने हो गए, जब हमने आखिरी बार यहां कुछ साझा किया था. ये चुप्पी हमारी अनुपस्थिति नहीं थी, ये हमारा शोक था. फ्रेंचाइजी ने बताया कि वे इस दौरान सिर्फ दुख मना नहीं रहे थे, बल्कि सीख रहे थे, सुन रहे थे और आगे के लिए ज़िम्मेदार योजना बना रहे थे. “RCB Cares” नामक पहल उसी सोच का परिणाम है, एक ऐसा मंच जो उन लोगों के लिए है जो इस हादसे में प्रभावित हुए, और उनके लिए जो भविष्य में सुरक्षित और जिम्मेदार फैन एक्सपीरियंस डिज़र्व करते हैं.

    विराट कोहली और खिलाड़ियों ने भी दी थी श्रद्धांजलि

    हादसे के तुरंत बाद विराट कोहली समेत कई खिलाड़ियों ने सोशल मीडिया के माध्यम से मृतकों को श्रद्धांजलि दी थी. लेकिन टीम के आधिकारिक हैंडल्स पर तीन महीने तक सन्नाटा पसरा रहा. आज की पोस्ट से यह साफ हुआ कि यह मौन एक सोची-समझी संवेदनशीलता का हिस्सा था.

    मैनेजमेंट की चूक, भारी कीमत

    इस घटना के पीछे सबसे बड़ा सवाल आयोजन की प्लानिंग को लेकर उठा. कार्यक्रम जल्दबाज़ी में आयोजित किया गया था, और भीड़ नियंत्रण की समुचित व्यवस्था नहीं की गई. नतीजा, एक ऐतिहासिक जीत का उत्सव मातम में बदल गया.

    एक नई शुरुआत, ज़िम्मेदारी के साथ

    "RCB Cares" अब सिर्फ एक राहतकोष नहीं, बल्कि एक मिशन है, यह मान्यता कि खेल सिर्फ मैदान तक सीमित नहीं होता. यह फैंस की सुरक्षा, भावना और भरोसे से जुड़ा होता है. RCB की यह पहल बताती है कि जीत का मतलब सिर्फ ट्रॉफी नहीं होता, बल्कि उन लोगों के प्रति ज़िम्मेदारी भी होती है जो हर साल, हर मैच में अपने दिल से टीम को सपोर्ट करते हैं.

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