Rajasthan News: राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर नामकरण की गर्माहट महसूस की जा रही है. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अगुवाई वाली भाजपा सरकार ने पूर्व कांग्रेस सरकार द्वारा बनाए गए खैरथल-तिजारा जिले का नाम बदलने का ऐलान कर दिया है. अब यह जिला ‘भर्तृहरि नगर’ के नाम से जाना जाएगा. इसके साथ ही जिला मुख्यालय को भिवाड़ी में स्थापित करने की मंजूरी भी दी गई है.
फैसले के पीछे सांस्कृतिक आधार
राज्य सरकार का कहना है कि यह फैसला धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से लिया गया है. केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह क्षेत्र महान तपस्वी भर्तृहरि नाथ की तपोभूमि रही है, और नया नाम धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देगा. सरकार का दावा है कि यह बदलाव सिर्फ नाम का नहीं, पहचान और विरासत को सम्मान देने की पहल है.
कांग्रेस का विरोध, विधायक का तीखा हमला
सरकार के इस फैसले पर सियासत गरमा गई है. कांग्रेस ने इस पर कड़ा ऐतराज जताया है. खासकर किशनगढ़बास से कांग्रेस विधायक दीपचंद खैरिया ने तीखा बयान देते हुए चेतावनी दी कि यदि मुख्यालय को कहीं और शिफ्ट किया गया तो "सरकार के लोग गांवों में घुस भी नहीं पाएंगे." यानी सियासत में अब यह नामकरण मुद्दा बनकर पूरी तरह सक्रिय हो चुका है.
ऐसे पूरी होगी नाम बदलने की प्रक्रिया
नाम बदलने की यह प्रक्रिया कई चरणों में पूरी होगी. सबसे पहले राजस्व विभाग कैबिनेट में प्रस्ताव रखेगा. कैबिनेट की मंजूरी के बाद प्रस्ताव विधानसभा में जाएगा. विधानसभा से पास होते ही यह प्रस्ताव केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा जाएगा. मंत्रालय की अनुमति के बाद अधिसूचना जारी होगी और नाम आधिकारिक रूप से लागू हो जाएगा.
खैरथल-तिजारा जिले की पृष्ठभूमि
गौरतलब है कि अगस्त 2023 में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार ने इस नए जिले की घोषणा की थी. इससे पहले यह अलवर जिले का हिस्सा था. इसमें 5 उपखंड और 7 तहसीलें शामिल हैं, टपूकड़ा, तिजारा, किशनगढ़ बास, कोटकासिम और मुंडावर प्रमुख हैं. खैरथल को एक मिनी सचिवालय और बायोडायवर्सिटी पार्क जैसी सुविधाएं देने की योजना बनाई गई थी.
नाम बदलेगा या राजनीति?
भले ही भर्तृहरि नगर नाम धार्मिक संदर्भ से जुड़ा हो, लेकिन इसे लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच टकराव तेज होता दिख रहा है. यह निर्णय अब "आस्था बनाम राजनीति" की लड़ाई का रूप ले चुका है. सवाल यह है कि क्या यह बदलाव जनता के समर्थन को बढ़ाएगा या नए विवादों को जन्म देगा?
सूत्रों की मानें तो यह सिर्फ शुरुआत है. भजनलाल सरकार पहले भी गहलोत सरकार की कई योजनाओं के नाम बदल चुकी है और अब जिलों और कस्बों के नामों में बदलाव की प्रक्रिया तेज हो सकती है. यह मुद्दा आने वाले दिनों में राजस्थान की सियासी दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकता है.
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