S jaishankar Slams Rahul Gandhi: संसद के मानसून सत्र का आठवां दिन भी तीखे सवाल-जवाब और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के नाम रहा. लोकसभा में जहां ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर बहस खत्म हो चुकी है, वहीं राज्यसभा में यह मुद्दा अब भी चर्चा में बना हुआ है. इस बीच, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संसद में अपना पक्ष रखते हुए पाकिस्तान, चीन और विपक्ष, तीनों पर जोरदार हमला बोला.
विदेश मंत्री जयशंकर ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी को निशाने पर लेते हुए उन्हें ‘चाइना गुरु’ कह डाला. उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी चीन के राजदूत से मुलाकात कर ट्यूशन लेते हैं और चीन-पाकिस्तान की नजदीकी की जो बातें वो करते हैं, वे नया कुछ नहीं है. जयशंकर ने साफ कहा कि ये गठजोड़ तब शुरू हुआ जब भारत ने POK (पाक अधिकृत कश्मीर) को छोड़ दिया था. उनके शब्दों में, "अगर आपको यह बात अब समझ आ रही है तो इसका मतलब है कि आप इतिहास की कक्षा में सो रहे थे."
विपक्ष की चीन नीति पर सवाल
जयशंकर ने 2006 के भारत-चीन संबंधों की चर्चा करते हुए उस समय के फैसलों पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि तब भारत में टेलीकॉम जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में चीनी कंपनियों को आमंत्रित किया गया, जो आज राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से गंभीर चूक साबित हो रही है. उन्होंने तंज कसते हुए कहा, "जिस देश से युद्ध हो चुका है, उसे स्ट्रैटेजिक पार्टनर कह देना समझदारी नहीं है."
‘खून और पानी साथ नहीं बहेंगे’
सिंधु जल संधि को लेकर विदेश मंत्री का रुख बेहद सख्त नजर आया. उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन बंद नहीं करता, तब तक यह संधि स्थगित रहेगी. उन्होंने दो टूक कहा, “खून और पानी कभी एक साथ नहीं बह सकते.” यह बयान पाकिस्तान के प्रति भारत की नीति में बदलाव का संकेत भी माना जा रहा है, खासकर कूटनीतिक और जल-संबंधी रणनीतियों में.
चीन-पाक गठजोड़ पर जयशंकर की दो टूक
जयशंकर ने यह भी कहा कि पाकिस्तान और चीन का साथ आना कोई नई बात नहीं है, लेकिन इसे नजरअंदाज करना और उसी के साथ व्यापारिक समझौते करना एक बड़ी भूल थी. उन्होंने कहा, "2006 में हू जिंताओ की भारत यात्रा के दौरान व्यापार बढ़ाने को लेकर समझौते हुए, टास्क फोर्स बनी, और आज उसी चीन को हम चुनौती मान रहे हैं."
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