पेरिस: भारत की रक्षा रणनीति में एक बड़ा मोड़ आता दिख रहा है. फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन कंपनी द्वारा राफेल फाइटर जेट का सोर्स कोड साझा न करने के फैसले ने भारत को अपनी रक्षा साझेदारियों पर पुनर्विचार करने पर मजबूर कर दिया है. इस स्थिति में रूस का पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर SU-57 भारत के लिए नया विकल्प बनकर उभरा है.
सोर्स कोड नहीं, तो 'नो डील' का संकेत!
इस तकनीकी निर्भरता ने भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति को झटका दिया है, जिससे अब भारत राफेल मरीन डील को रद्द करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है.
रूस का टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और भारत में निर्माण
दोस्ती की नई मिसाल
जब फ्रांस ने भारत के स्वदेशी ‘कावेरी टर्बोफैन इंजन’ को लेकर सहयोग देने से मना कर दिया, तब रूस ने न केवल परीक्षण की सहमति दी, बल्कि अपने इल्यूशिन-76 विमान में इसकी टेस्टिंग भी शुरू कर दी. यह इंजन भविष्य के स्वदेशी फाइटर जेट्स के लिए महत्वपूर्ण है और रूस इसमें भारत का साझेदार बन चुका है.
राफेल मरीन डील पर संशय की छाया
S-500 की ओर भारत का झुकाव
भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की आगामी रूस यात्रा के दौरान S-400 की नई यूनिट्स के साथ-साथ S-500 एयर डिफेंस सिस्टम पर भी बातचीत होने की संभावना है. रूस पहले ही S-500 की पेशकश कर चुका है, जो भविष्य की हाइपरसोनिक मिसाइल थ्रेट्स के खिलाफ कवच हो सकता है.
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