ऑपरेशन सिंदूर में फ्रांस ने दिया था धोखा, रद्द हो सकती राफेल मरीन डील, कौन-सा विमान खरीदेगा भारत?

    भारत की रक्षा रणनीति में एक बड़ा मोड़ आता दिख रहा है. फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन कंपनी द्वारा राफेल फाइटर जेट का सोर्स कोड साझा न करने के फैसले ने भारत को अपनी रक्षा साझेदारियों पर पुनर्विचार करने पर मजबूर कर दिया है

    Rafale Marine deal can be cancelled India can buy this aircraft
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- FreePik

    पेरिस: भारत की रक्षा रणनीति में एक बड़ा मोड़ आता दिख रहा है. फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन कंपनी द्वारा राफेल फाइटर जेट का सोर्स कोड साझा न करने के फैसले ने भारत को अपनी रक्षा साझेदारियों पर पुनर्विचार करने पर मजबूर कर दिया है. इस स्थिति में रूस का पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर SU-57 भारत के लिए नया विकल्प बनकर उभरा है.

    सोर्स कोड नहीं, तो 'नो डील' का संकेत!

    • फ्रांसीसी कंपनी का अड़ियल रवैया भारत को राफेल जेट में स्वदेशी मिसाइल सिस्टम और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर तकनीक जोड़ने से रोक रहा है.
    • सोर्स कोड किसी भी फाइटर जेट का मूल सॉफ्टवेयर होता है, जिसके जरिए उसमें अन्य तकनीकों का समावेश संभव होता है.
    • राफेल में ब्रह्मोस मिसाइल, भारतीय रडार और सेटेलाइट नेटवर्क को जोड़ने के लिए भारत को बार-बार फ्रांस की मंजूरी लेनी पड़ती.

    इस तकनीकी निर्भरता ने भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति को झटका दिया है, जिससे अब भारत राफेल मरीन डील को रद्द करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है.

    रूस का टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और भारत में निर्माण

    • रूस ने भारत के सामने SU-57 फाइटर जेट की न केवल खरीद बल्कि इसके भारत में उत्पादन और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का भी प्रस्ताव रखा है.
    • रूस की कंपनी ने कहा है कि यदि भारत सहमत होता है, तो SU-57 का निर्माण भारत में SU-30MKI की प्रोडक्शन यूनिट से ही इस साल शुरू किया जा सकता है.
    • SU-57, रूस का एडवांस्ड फिफ्थ जनरेशन फाइटर है जो स्टील्थ, सुपरक्रूज और हाई मैन्युवरिबिलिटी जैसी खूबियों से लैस है.
    • रूस ने हमेशा भारत के साथ रक्षा टेक्नोलॉजी साझा करने में उदारता दिखाई है, चाहे वह ब्रह्मोस हो या S-400 सिस्टम.

    दोस्ती की नई मिसाल

    जब फ्रांस ने भारत के स्वदेशी ‘कावेरी टर्बोफैन इंजन’ को लेकर सहयोग देने से मना कर दिया, तब रूस ने न केवल परीक्षण की सहमति दी, बल्कि अपने इल्यूशिन-76 विमान में इसकी टेस्टिंग भी शुरू कर दी. यह इंजन भविष्य के स्वदेशी फाइटर जेट्स के लिए महत्वपूर्ण है और रूस इसमें भारत का साझेदार बन चुका है.

    राफेल मरीन डील पर संशय की छाया

    • भारत ने 26 राफेल मरीन फाइटर जेट्स की खरीद के लिए फ्रांस से डील की थी, लेकिन अब यह सौदा खतरे में है.
    • सोर्स कोड के अभाव में भारत अपनी भविष्य की जरूरतों के अनुसार इन जेट्स को कस्टमाइज नहीं कर पाएगा.
    • मिराज जेट्स के साथ पहले भी भारत को यही समस्या झेलनी पड़ी थी, जब दशकों बाद भी फ्रांस ने उसका सोर्स कोड साझा नहीं किया.

    S-500 की ओर भारत का झुकाव

    भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की आगामी रूस यात्रा के दौरान S-400 की नई यूनिट्स के साथ-साथ S-500 एयर डिफेंस सिस्टम पर भी बातचीत होने की संभावना है. रूस पहले ही S-500 की पेशकश कर चुका है, जो भविष्य की हाइपरसोनिक मिसाइल थ्रेट्स के खिलाफ कवच हो सकता है.

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