हर साल पराली जलाने की समस्या से जूझते पंजाब के लिए अब एक नई उम्मीद की किरण नजर आई है. राज्य सरकार ने एक ऐसी योजना की शुरुआत की है, जिससे न सिर्फ पराली जलाने की समस्या पर लगाम लगेगी, बल्कि किसान और उद्योगपति दोनों को इससे आर्थिक फायदा भी मिलेगा.
सरकार की इस नई नीति के तहत अब पराली से बॉयलर ईंधन तैयार किया जाएगा, जिससे उद्योगों की ऊर्जा ज़रूरतें पूरी होंगी. खास बात यह है कि इसके लिए राज्य सरकार उद्योगों को करोड़ों की सब्सिडी भी दे रही है, ताकि वे पराली आधारित बॉयलर स्थापित कर सकें.
पराली से ईंधन बनाने पर मिलेगी सब्सिडी
कैबिनेट मंत्री तरुणप्रीत सौंद ने इस योजना की जानकारी देते हुए कहा, "यह केवल एक पर्यावरणीय कदम नहीं, बल्कि एक आर्थिक क्रांति की शुरुआत है. इससे न केवल वायु प्रदूषण में भारी कमी आएगी, बल्कि किसानों की पराली अब उनके लिए कमाई का साधन बनेगी."
राज्य सरकार ने इस उद्देश्य से नई कैपिटल सब्सिडी योजना लागू की है, जिसके तहत यदि कोई उद्योग 8 टन प्रति घंटा (TPH) क्षमता वाला बॉयलर लगाता है, तो उसे 1 करोड़ रुपये तक की सब्सिडी दी जाएगी. इतना ही नहीं, यदि कोई उद्योग पहली बार पराली से संचालित बॉयलर अपनाता है, तो उसे 5 करोड़ रुपये तक की सब्सिडी मिल सकती है.
जो अभी तेल, कोयला या अन्य बायोमास पर चल रहे हैं सरकार ने ऐसे सभी उद्योगों से अपील की है कि वे इस अवसर का लाभ उठाएं और राज्य को स्वच्छ व हरित बनाने में योगदान दें.
पर्यावरण संरक्षण के साथ तगड़ा मुनाफा
पंजाब में पराली से प्रदूषण नहीं, समाधान निकलेगा. यह योजना एक ऐसा कदम है जो पर्यावरण संरक्षण, किसानों की आमदनी और औद्योगिक प्रगति—तीनों को एक साथ आगे बढ़ाने की दिशा में मिसाल बन सकता है.
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